कोलकाता हीटवेव (लू) : रिकॉर्ड टूटना
GS-1: मुख्य परीक्षा
मुख्य बिंदु:
- अप्रैल 2024 में कोलकाता में रिकॉर्ड गर्मी की लहर चली।
- पिछले 70 वर्षों में दूसरा सबसे अधिक अप्रैल तापमान 25 अप्रैल को दर्ज किया गया (41.6°C)।
- पिछले 70 वर्षों में संयुक्त रूप से सबसे अधिक अप्रैल तापमान 29 अप्रैल को दर्ज किया गया (41.7°C)।
- 30 अप्रैल को अब तक का सबसे अधिक अप्रैल तापमान दर्ज किया गया (43°C), जो सर्वकालिक रिकॉर्ड (1954) से सिर्फ 0.3°C कम है।
- एक दशक में सबसे गर्म अप्रैल।
संभावित कारण:
- लगातार उत्तर-पश्चिमी शुष्क हवाएं।
- बंगाल की खाड़ी से नमी का दूर जाना।
- ग्लोबल वार्मिंग।
- एल Niño घटना (मौसम पैटर्न को बाधित करना)।
- “नॉरवेस्टर्स” (ठंडी गरज) की संख्या में कमी।
प्रभाव:
- गर्मी का तनाव और स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ जाना।
कोलकाता का हीटवेव: भविष्य भयावह (IPCC रिपोर्ट 6, संयुक्त राष्ट्र)
भविष्य के अनुमान (सबसे खराब स्थिति):
- 2100 तक कोलकाता में सबसे अधिक तापमान 49.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है (वर्तमान रिकॉर्ड 43.9 डिग्री सेल्सियस की तुलना में)।
- 2100 तक औसत तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है (औद्योगिक क्रांति से पहले के युग की तुलना में)।
- 2100 तक शहर में लगभग 150 दिन 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान अनुभव हो सकता है।
कारण:
- ग्लोबल वार्मिंग।
- शहरी गर्मी द्वीप प्रभाव:
- इमारतों के कारण कम वेंटिलेशन।
- मानवीय गतिविधियों से गर्मी पैदा होना।
- कंक्रीट और निर्माण सामग्री द्वारा गर्मी का अवशोषण।
- सीमित वनस्पति।
- शहरीकरण:
- कोलकाता ने प्रमुख शहरों (1950-2018) के बीच सतह के वायु तापमान (2.7 डिग्री सेल्सियस) में सबसे अधिक वृद्धि देखी है।
- 80% से अधिक वार्मिंग सीधे कोलकाता से जुड़ा हुआ है।
- नीला-हरा अवसंरचना (जल निकाय, हरियाली) घट रहा है।
प्रभाव:
- अत्यधिक गर्मी की घटनाओं और हीटवेव की वृद्धि।