संविधान सभा की कार्यप्रणाली
परिचय:
भारतीय संविधान सभा का गठन 9 दिसंबर 1946 को हुआ था। इसका उद्देश्य स्वतंत्र भारत के लिए एक संविधान का निर्माण करना था। सभा में 325 सदस्य थे, जिनमें विभिन्न राजनीतिक दल, समुदाय और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व शामिल था।
कार्यप्रणाली:
संविधान सभा की कार्यप्रणाली निम्नलिखित चरणों में हुई:
1. बैठकें:
- सभा ने 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिनों में 2,000 से अधिक बैठकों का आयोजन किया।
- बैठकें आम तौर पर दिल्ली में संसद भवन में आयोजित होती थीं।
- बैठकों की अध्यक्षता सभा के अध्यक्ष, डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा की जाती थी।
2. कार्य समूह:
- सभा ने विभिन्न विषयों पर काम करने के लिए 20 से अधिक कार्य समूहों का गठन किया था।
- इन समूहों ने संविधान के विभिन्न प्रावधानों पर मसौदे तैयार किए।
- मसौदों पर सभा में चर्चा की गई और उनमें संशोधन किए गए।
3. बहस और चर्चा:
- सभा के सदस्यों ने संविधान के विभिन्न प्रावधानों पर विस्तृत बहस और चर्चा की।
- विभिन्न विचारधाराओं और दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों ने भाग लिया।
- बहस अक्सर तीव्र और भावुक होती थी, लेकिन सदस्यों ने हमेशा सभ्यता और सम्मान बनाए रखा।
4. निर्णय लेना:
- सभा के सदस्यों ने बहुमत से निर्णय लिए।
- कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर, सदस्यों ने सर्वसम्मति से निर्णय लेने का प्रयास किया।
5. संविधान का मसौदा:
- सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान अपनाया।
- संविधान 448 अनुच्छेदों, 25 भागों और 12 अनुसूचियों वाला एक विस्तृत दस्तावेज है।
- यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
संविधान सभा की कार्यप्रणाली की विशेषताएं:
- लोकतांत्रिक: सभा की कार्यप्रणाली लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित थी।
- सर्वसम्मति: सभा ने सदस्यों के बीच सर्वसम्मति बनाने का प्रयास किया।
- विचार-विमर्श: सभा ने विभिन्न विचारधाराओं और दृष्टिकोणों के लिए खुली थी।
- विशेषज्ञता: सभा में कानून, इतिहास, राजनीति और समाज विज्ञान के क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे।
आलोचनाएं:
- धीमी गति: सभा की कार्यप्रणाली धीमी और जटिल थी।
- प्रतिनिधित्व: कुछ लोगों का मानना है कि सभा में सभी समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं था।
- विवादित मुद्दे: कुछ मुद्दों, जैसे कि धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर, काफी विवाद हुआ था।
निष्कर्ष:
संविधान सभा ने भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने भारत के लिए एक संविधान का निर्माण किया जो देश के नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करता है।