दादा भाई नौरोजी  का जीवन परिचय ( Dada Bhai Naoroji Biography in Hindi)

दादा भाई एक महान भारतीय राजनेता और लेखक थे , इन्होने कई बड़े बड़े कार्य किए इसलिए इन्हें ग्रेंड ओल्ड मेन कहाँ जाता है . भारत की स्वतंत्रता में प्रमुख भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन में इनका महत्वपूर्ण योगदान था.

 

दादा भाई नौरोजी के संबंध में संक्षिप्त जानकारी

नाम (Name) दादाभाई पालनजी नौरोजी
जन्म तारीख (DOB) 4 सितम्बर 1825
मृत्यु (Death) 30 जून 1917

 शिक्षा , जन्म स्थान एवं पारिवारिक जानकारी ( Education , Early Life , Birth and Family):

इनका जन्म मुंबई ब्रिटिश इंडिया में हुआ था. ये एक पारसी परिवार से थे , जिनके यहाँ गुजरती भाषा बोली जाती थी . इनका परिवार बेहद गरीब था और दादाभाई केवल 4 साल के थे जब ही इनके पिता की मृत्यु हो गई . इसके बाद इनके परिवार की जिम्मेदारी इनकी माँ पर आ गई. इनकी माँ एक साहसी महिला थी इन्होने अपनी सभी जिम्मेदारी बखूबी निभाई और अपने परिवार और बच्चो का भरण पोषण किया . दादा भाई की शादी 11 वर्ष की उम्र में हो गई थी. इनकी पत्नी का नाम गुलबाई था . इन्होने  शिक्षा मुंबई के एलफिंस्टन इंस्टिट्यूट स्कूल से प्राप्त की.

 करियर ( Career ):

दादाभाई नौरोजी  राजनीति में आने से पहले एक कॉलेज में शिक्षक थे. वे गणित और प्राकृतिक विषयों को पढ़ाते थे . ये संसद के चुनाव में खडे हुए लेकिन असफल रहे , लेकिन 1892 में ये सेन्ट्रल फिनसबरी लंदन के लिए संसद के लिबरल सदस्य चुने गए . ये भारत में ब्रिटिश शासन के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बताते थे और इसके कारण ये काफी प्रसिद्ध भी हुए . इन्होने एक कपास के व्यापार की कंपनी की स्थापना की. इस कंपनी का नाम नौरोजी  एंड कंपनी रखा गया . इन्होने कई अच्छे कार्य किए, इन्होने भारत में लगाएं जा रहे कर पर भी अपनी महत्वपूर्ण राय दी और अहम भूमिका निभाई . इन्होने इनके भाषण में गरीबी और गैर ब्रिटिश शासन को शामिल किया .

ड्रेन थ्योरी :

  • दादा भाई ने एक किताब लिखी जिसका नाम था “ पावर्टी एंड अन – ब्रिटिश इन इंडिया ”. इस किताब में दादा भाई ने अंग्रेज सरकार द्वारा भारतीय उद्योगों पर उनका प्रभाव और शोषण पर प्रकाश डाला . इससे भारतीय उद्योग के विकास में अवरोध और पूंजी निर्माण में मंदी के बारे में टिपण्णी दी और इन्होने ब्रिटिश सरकार की कार्यप्रणाली का खुलासा किया .

दादा भाई का देश के लिए योगदान (Contribution towards Nation)

  • दादा भाई ने देश के हित में कई कार्य किए , इन्होने एक किताब लिखी जिसमे इन्होने भारत में गरीबी और ब्रिटिश सरकार के अनियमित शासन और भारत के आर्थिक शोषण का पर्दाफाश किया . इन्होने ब्रिटेन में हो रहे एक पक्षीय धन हस्तांतरण के बारे में बताया इससे होने वाले भयंकर नुकसान और आपातकाल का परिणाम समझाया .
  • इन्होने इनके भाषण के माध्यम से देश में जागरूकता फैलाई और भारतवासियों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने के लिए कदम बढाए . ये महिला और पुरुष को एक समान अधिकार देना चाहते थे .
  • इन्होने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, देश में हो रहे शाही शासन का असली चेहरा जनता के सामने लाकर रखा . इसी के साथ इन्होने भारत ही नहीं पूरे एशिया में ऐसे सर्वप्रथम व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त किया जिसने ब्रिटीश संसद में अपना स्थान बनाया.
  • इंग्लैंड में इन्होने भारत की दुर्दशा पर कई भाषण दिए और लेख लिखे . इन्होने ईस्ट इंडियन एसोसिएशन की स्थापना की, इस संगठन में भारत के कई उच्च अधिकारी शामिल थे . 1853 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी के नवीनीकरण की बात आई तब इन्होने इसका जमकर विरोध किया अंग्रेज सरकार को याचिका दी लेकिन अंग्रेज सरकार ने इनकी याचिका को नजरंदाज कर दिया .
  • दादा भाई ने महसूस किया की भारत में अज्ञानता के कारण ब्रिटिश भारत में भ्रष्टाचार फैला रहे है और अज्ञानता का फायदा उठा रहे है और देशवासियो की आखों में धुल झोक रहे है . इसलिए इन्होने प्रोढ शिक्षा का प्रचार किया जिसमे इन्होने रात्रि कालीन कक्षा लगाने और साक्षरता लाने का प्रयास किया . इन्होने गवर्नर वायसराय  को भारत की दुर्दशा और समस्याओं को लेकर कई याचिकाएं लिखी और उन्हें भारत की वास्तविक स्थति से अवगत कराया और इस सन्दर्भ में सहायता को याचिका की.
  • प्रगतिशील विचारों से लिप्त नौरोजी स्वदेशी वस्तुओ को हमेशा बढावा देते थे लेकिन साथ ही ये अपने देश में नए उद्योगों की स्थापना और नई नई मशीनरी के अविष्कार के समर्थक थे . इन्होने टाटा से अपने लोहा और इस्पात संयंत्रो के लिए भारतीय पूंजी को जुटाने का आग्रह किया .

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (Establishment of Indian National Congress)

  • 3 बार कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर आसीन दादा भाई कांग्रेस के संस्थापक भी थे. ये 1886 , 1893 , 1906 में तीन बार राष्ट्रपति पद पर नियुक्त किए गए . इन्होने अपने तीसरे कार्यकाल में स्वराज की मांग की और सार्वजानिक रूप से अपनी मांग रखी . इनके इस फैसले ने ब्रिटिश सरकार की नीव हिला दी .  दादा भाई अहिंसा और संवैधानिक तरीको में विश्वास रखते थे . ये कई सामाजिक संगठन के साथ में जुड़े और जनता की शिकायतों और उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवाज उठाई . इन्होने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक इतिहास रच दिया .
  • दादा भाई ने एक अखबार शुरू किया जिसका नाम था “ वायस ऑफ़ इण्डिया “ इसकी मदद से देश के लोगो में जागरूकता लाने का प्रयास किया गया .
  • दादा भाई ने अपने देश से अज्ञानता को दूर करने और जनता को अपने अधिकारों के प्रति सजग करने और अपने देश में स्वराज पप्राप्ति की लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम उठाए , इसलिए आज हम उन्हें गर्व से याद करते है . धन्य है ये भारत देश की धरती जहां ऐसे महापुरुषों का जन्म हुआ जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया .

दादा भाई नौरोजी के नाम पर धरोहर(Legacy on his name)

दादा भाई नौरोजी के सम्मान में कई सड़कों, इमारतों और चोराहो को इनका नाम दिया गया है . इनके नाम पर ना केवल भारत देश में बल्कि विदेशो में जैसे लंदन और कराची में भी सड़क का नाम रखा गया है .

दादा भाई नौरौजी के बारे में कुछ रोचक बाते (Interesting facts about Dada Bhai Noroji)

  • दादा भाई ने अपने समय में इंग्लैंड में भाषण दिए और ब्रिटिश शासको को अपनी जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित किया .
  • दादा भाई ने कई कार्य किए जिनमें से एक है , इन्होने 1852 में बॉम्बे एसोसिएशन की स्थापना की जोकि भारत में पहला राजनितिक संगठन था .
  • दादा भाई बचपन से ही भारतीय जनता की सामाजिक स्थिति के प्रति सहानुभूति रखते थे , इसलिए इन्होने अपने देशवासियों के सुधार के लिए और उन्हे शिक्षित करने के लिए एक मंडली की स्थापना की.
  • ये पहले भारतीय थे जिन्होंने यह बताया कि सरकार और आम जनता के बिच मास्टर और दास का संबंध है और जनता को अपने हक़ के बारे में समझाया .

दादा भाई नौरोजी  का जीवन परिचय ( Dada Bhai Naoroji Biography in Hindi)

दादा भाई एक महान भारतीय राजनेता और लेखक थे , इन्होने कई बड़े बड़े कार्य किए इसलिए इन्हें ग्रेंड ओल्ड मेन कहाँ जाता है . भारत की स्वतंत्रता में प्रमुख भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन में इनका महत्वपूर्ण योगदान था.

 

दादा भाई नौरोजी के संबंध में संक्षिप्त जानकारी

नाम (Name) दादाभाई पालनजी नौरोजी
जन्म तारीख (DOB) 4 सितम्बर 1825
मृत्यु (Death) 30 जून 1917

 शिक्षा , जन्म स्थान एवं पारिवारिक जानकारी ( Education , Early Life , Birth and Family):

इनका जन्म मुंबई ब्रिटिश इंडिया में हुआ था. ये एक पारसी परिवार से थे , जिनके यहाँ गुजरती भाषा बोली जाती थी . इनका परिवार बेहद गरीब था और दादाभाई केवल 4 साल के थे जब ही इनके पिता की मृत्यु हो गई . इसके बाद इनके परिवार की जिम्मेदारी इनकी माँ पर आ गई. इनकी माँ एक साहसी महिला थी इन्होने अपनी सभी जिम्मेदारी बखूबी निभाई और अपने परिवार और बच्चो का भरण पोषण किया . दादा भाई की शादी 11 वर्ष की उम्र में हो गई थी. इनकी पत्नी का नाम गुलबाई था . इन्होने  शिक्षा मुंबई के एलफिंस्टन इंस्टिट्यूट स्कूल से प्राप्त की.

 करियर ( Career ):

दादाभाई नौरोजी  राजनीति में आने से पहले एक कॉलेज में शिक्षक थे. वे गणित और प्राकृतिक विषयों को पढ़ाते थे . ये संसद के चुनाव में खडे हुए लेकिन असफल रहे , लेकिन 1892 में ये सेन्ट्रल फिनसबरी लंदन के लिए संसद के लिबरल सदस्य चुने गए . ये भारत में ब्रिटिश शासन के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बताते थे और इसके कारण ये काफी प्रसिद्ध भी हुए . इन्होने एक कपास के व्यापार की कंपनी की स्थापना की. इस कंपनी का नाम नौरोजी  एंड कंपनी रखा गया . इन्होने कई अच्छे कार्य किए, इन्होने भारत में लगाएं जा रहे कर पर भी अपनी महत्वपूर्ण राय दी और अहम भूमिका निभाई . इन्होने इनके भाषण में गरीबी और गैर ब्रिटिश शासन को शामिल किया .

ड्रेन थ्योरी :

  • दादा भाई ने एक किताब लिखी जिसका नाम था “ पावर्टी एंड अन – ब्रिटिश इन इंडिया ”. इस किताब में दादा भाई ने अंग्रेज सरकार द्वारा भारतीय उद्योगों पर उनका प्रभाव और शोषण पर प्रकाश डाला . इससे भारतीय उद्योग के विकास में अवरोध और पूंजी निर्माण में मंदी के बारे में टिपण्णी दी और इन्होने ब्रिटिश सरकार की कार्यप्रणाली का खुलासा किया .

दादा भाई का देश के लिए योगदान (Contribution towards Nation)

  • दादा भाई ने देश के हित में कई कार्य किए , इन्होने एक किताब लिखी जिसमे इन्होने भारत में गरीबी और ब्रिटिश सरकार के अनियमित शासन और भारत के आर्थिक शोषण का पर्दाफाश किया . इन्होने ब्रिटेन में हो रहे एक पक्षीय धन हस्तांतरण के बारे में बताया इससे होने वाले भयंकर नुकसान और आपातकाल का परिणाम समझाया .
  • इन्होने इनके भाषण के माध्यम से देश में जागरूकता फैलाई और भारतवासियों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने के लिए कदम बढाए . ये महिला और पुरुष को एक समान अधिकार देना चाहते थे .
  • इन्होने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, देश में हो रहे शाही शासन का असली चेहरा जनता के सामने लाकर रखा . इसी के साथ इन्होने भारत ही नहीं पूरे एशिया में ऐसे सर्वप्रथम व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त किया जिसने ब्रिटीश संसद में अपना स्थान बनाया.
  • इंग्लैंड में इन्होने भारत की दुर्दशा पर कई भाषण दिए और लेख लिखे . इन्होने ईस्ट इंडियन एसोसिएशन की स्थापना की, इस संगठन में भारत के कई उच्च अधिकारी शामिल थे . 1853 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी के नवीनीकरण की बात आई तब इन्होने इसका जमकर विरोध किया अंग्रेज सरकार को याचिका दी लेकिन अंग्रेज सरकार ने इनकी याचिका को नजरंदाज कर दिया .
  • दादा भाई ने महसूस किया की भारत में अज्ञानता के कारण ब्रिटिश भारत में भ्रष्टाचार फैला रहे है और अज्ञानता का फायदा उठा रहे है और देशवासियो की आखों में धुल झोक रहे है . इसलिए इन्होने प्रोढ शिक्षा का प्रचार किया जिसमे इन्होने रात्रि कालीन कक्षा लगाने और साक्षरता लाने का प्रयास किया . इन्होने गवर्नर वायसराय  को भारत की दुर्दशा और समस्याओं को लेकर कई याचिकाएं लिखी और उन्हें भारत की वास्तविक स्थति से अवगत कराया और इस सन्दर्भ में सहायता को याचिका की.
  • प्रगतिशील विचारों से लिप्त नौरोजी स्वदेशी वस्तुओ को हमेशा बढावा देते थे लेकिन साथ ही ये अपने देश में नए उद्योगों की स्थापना और नई नई मशीनरी के अविष्कार के समर्थक थे . इन्होने टाटा से अपने लोहा और इस्पात संयंत्रो के लिए भारतीय पूंजी को जुटाने का आग्रह किया .

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (Establishment of Indian National Congress)

  • 3 बार कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर आसीन दादा भाई कांग्रेस के संस्थापक भी थे. ये 1886 , 1893 , 1906 में तीन बार राष्ट्रपति पद पर नियुक्त किए गए . इन्होने अपने तीसरे कार्यकाल में स्वराज की मांग की और सार्वजानिक रूप से अपनी मांग रखी . इनके इस फैसले ने ब्रिटिश सरकार की नीव हिला दी .  दादा भाई अहिंसा और संवैधानिक तरीको में विश्वास रखते थे . ये कई सामाजिक संगठन के साथ में जुड़े और जनता की शिकायतों और उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवाज उठाई . इन्होने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक इतिहास रच दिया .
  • दादा भाई ने एक अखबार शुरू किया जिसका नाम था “ वायस ऑफ़ इण्डिया “ इसकी मदद से देश के लोगो में जागरूकता लाने का प्रयास किया गया .
  • दादा भाई ने अपने देश से अज्ञानता को दूर करने और जनता को अपने अधिकारों के प्रति सजग करने और अपने देश में स्वराज पप्राप्ति की लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम उठाए , इसलिए आज हम उन्हें गर्व से याद करते है . धन्य है ये भारत देश की धरती जहां ऐसे महापुरुषों का जन्म हुआ जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया .

दादा भाई नौरोजी के नाम पर धरोहर(Legacy on his name)

दादा भाई नौरोजी के सम्मान में कई सड़कों, इमारतों और चोराहो को इनका नाम दिया गया है . इनके नाम पर ना केवल भारत देश में बल्कि विदेशो में जैसे लंदन और कराची में भी सड़क का नाम रखा गया है .

दादा भाई नौरौजी के बारे में कुछ रोचक बाते (Interesting facts about Dada Bhai Noroji)

  • दादा भाई ने अपने समय में इंग्लैंड में भाषण दिए और ब्रिटिश शासको को अपनी जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित किया .
  • दादा भाई ने कई कार्य किए जिनमें से एक है , इन्होने 1852 में बॉम्बे एसोसिएशन की स्थापना की जोकि भारत में पहला राजनितिक संगठन था .
  • दादा भाई बचपन से ही भारतीय जनता की सामाजिक स्थिति के प्रति सहानुभूति रखते थे , इसलिए इन्होने अपने देशवासियों के सुधार के लिए और उन्हे शिक्षित करने के लिए एक मंडली की स्थापना की.
  • ये पहले भारतीय थे जिन्होंने यह बताया कि सरकार और आम जनता के बिच मास्टर और दास का संबंध है और जनता को अपने हक़ के बारे में समझाया .

 

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