जो वस्तुएँ पृथ्वी के धरातल अथवा उसके गर्भ से खोदकर निकाली जाती हैं उन्हें खनिज पदार्थ कहते हैं। खनिज पदार्थ जब भूमि से अनेक अनावश्यक तत्वों के साथ मिश्रित रूप में निकाले जाते हैं तो उन्हें अयस्ककहते हैं। खनिज पदार्थ देष की प्राकृतिक सम्पदा माने जाते हैं। खनिज पदार्थ मूलत: तीन प्रकार के होते हैं।
- धात्विक खनिज, लोहा, ताँबा, चाँदी, सोना टिन आदि।
- अधात्विक खनिज अभ्रक, खड़िया, गन्धक, चूना, पत्थर, बाक्साइड आदि और
- खनिज ईधन-कोयला, पेट्रोल, गैस, डीजल आदि।
खनिज पदार्थ मनुष्य को प्रकृति से प्राप्त वह धरोहर है जिसका समुचित उपयोग किया जाना चाहिए। परन्तु दुर्भाग्य से मानव सभ्यता खनिज पदार्थों का अन्धाधुन्ध दोहन करती जा रही है जिस प्रकार खनिज पदार्थों का दोहन किया जा रहा है। उसके कारण खनिज भण्डार धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। भू-गर्भ में प्राय: सभी खनिज सीमित मात्रा में है और इनके निर्माण में करोड़ों वर्ष लगते हैं। अत: इन्हें निर्मित करने का कोई विकल्प नहीं है। यदि इनका शोशण रोका न गया और नियन्त्रित उपयोग नही किया गया तो एक दिन खनिज का भण्डारण समाप्त हो जायेगा। खनिज पदार्थों को खदानों से उत्खनन विधि से निकाला जाता है।
खनिज संसाधन संरक्षण के उपाय (Mineral Resource Conservation Measures)
- खनिज सम्पदा का नियन्त्रित उपयोग किया जाये।
- खनिज को बर्बाद होने से बचाया जाये।
- कोयला, पेट्रोल आदि खनिज ईधनों का प्रयोग कम किया जाये और इनके स्थानापन्न ईधनों की खोज की जाये जैसे-विद्युत, सौर ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा आदि।
- खनिजों के उपयोग के बाद स्क्रैप को व्यर्थ न फेंक कर उनका बार-बार उपयोग किया जाये।
- खनन कार्य में वैज्ञानिक विधि अपनायी जाय। खनन कार्य पूर्व नियोजित और उन्नत तकनीकी द्वारा किया जाये।
- खनन क्षेत्र में उड़ने वाली धूल तथा कोयले के क्षेत्र में लगने वाली आग से बचाव का पूर्ण प्रबन्ध किया जाये।
- खनिजों पर सरकार का नियन्त्रण होना चाहिए। इसके खनन के लिए सरकार की स्पष्ट और कठोर नीति होनी चाहिए।
- कम मात्रा में उपलब्ध खनिजों के स्थान पर विकल्पों की तलाष की जाये।
- खनिज पदार्थों के गुण और मात्रा की जानकारी के लिए इनका सर्वेक्षण किया जाये।