अध्याय-1 : हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

  • अरब भूगोलवेत्ता अल-इदरीसी ने 1151 में दुनिया के मानचित्र में पहली बार भारत की स्थिति को दर्शाया।
  • दूसरी बार भारतीय उपमहाद्वीप को स्पष्ट रूप से फ़्रांसिसी मानचित्र कार ग्विलाम द लिस्ले ने 1720 में विश्व के नक्से में दिखाया।
  • 1700 से 1750 ईसवी तक हुए परिवर्तनों की पड़ताल –

शब्दावली ( भाषा में परिवर्तन )

  • समय के साथ-साथ विभिन्न भाषाओँ की शब्दावलियों और अर्थों में अनेक बदलाव हुए। जैसे –
  • हिस्तान – आज हम इसे आधुनिक राष्ट्र राज्य ‘भारत ‘ के अर्थ में लेते है।
  • तेरहवीं सदी में फ़्रांसिसी इतिहासकार मिन्हाज-ए-सिराज हिंदुस्तानी शब्द का प्रयोग पंजाब, हरियाणा और गंगा-यमुना के बीच में स्थित इलाकों के लिए किया था।
  • सोलहवीं सदी के आरम्भ में बाबर ने हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग इस उपमहाद्वीप के भूगोल, पशु-पक्षियों और यहाँ के निवासियों की संस्कृति का वर्णन करने के लिए किया।
  • बाबर का वर्णन चौदहवीं सदी के कवि अमीर खुसरो द्वारा प्रयुक्त शब्द ‘हिन्द ‘ के ही कुछ-कुछ समान था।

विदेशी

  • आज इसका अर्थ होता है, ऐसा व्यक्ति जो भारतीय न हो।
  • मध्ययुग में किसी गांव में आने वाले कोई भी अनजान व्यक्ति जो उस समाज या संस्कृत का अंग न हो ‘विदेशी ‘ कहलाता था।

ऐतिहासिक स्रोतों के सन्दर्भ में परिवर्तन

  • इस काल खण्ड के ऐतिहासिक स्रोत सिक्के,अभिलेख,स्थापत्य ( भवन निर्माण कला ) तथा लिखित सामग्री की संख्या और विविधता बढ़ गई।
  • लोग धर्मग्रन्थ,शासकों के वृतांत , संतो के लेखन तथा उपदेश, अर्जियाँ ,अदालतों के दस्तावेज, हिसाब तथा करों के खाते इत्यादि कागजों पर लिखने लगे।
  • धनी व्यक्ति, शासक जन , मठ तथा मंदिर, पांडुलिपियाँ एकत्रित किया करते थे।
  • इन पांडुलिपियों को पुस्तकालयों तथा अभिलेखागारों में रखा जाता है।
  • नोट – अभिलेखागार – ऐसा स्थान जहाँ दस्तावेजों और पांडुलिपियों को संगृहीत किया जाता है।

सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन

  • नई प्रौद्योगिकी जैसे, सिंचाई में रहट , कटाई में चर्खे और युद्ध में आग्नेयास्त्रों ( बारूद वाले हथियार ) का इस्तेमाल।
  • खान-पान में बदलाव के रूप में आलू, मक्का, मिर्च , चाय और काफी में बदलाव।
  • राजपूतों का उदय हुआ साथ ही मराठा, सिख, जाट अहोम और कायस्थ आदि समूहों का महत्त्व राजनीतिक रूप से बढ़ा।
  • किसान तथा अन्य समुदाय विभिन्न वर्गों में बट गए थे। जिन्हे आर्थिक आधार पर ऊँच-नीच में बाटा गया था। परन्तु जाति व्यवस्था स्थाई नहीं थी। सत्ता प्रभाव एवं संसाधनों के नियंत्रण के आधार पर जातियों के दर्जे बदलते रहते थे।
  • जातियां स्वयं अपने नियम बनाती थी जिसका पालन जाति पंचायत द्वारा कराया जाता था।

क्षेत्र और साम्राज्य

  • कई क्षेत्रों के अपने-अपने भौगोलिक आयाम तय हो चुके थे और उनकी अपनी भाषा तथा संस्कृत विशेषताएं स्पष्ट हो गई थी।
  • चोल , खलजी, तुगलक और मुग़ल जैसे राजवंशों का विशाल साम्राज्य था तो कुछ क्षेत्रीय राजाओं का उदय हुआ।

धार्मिक परिवर्तन

  • किसी दैविक तत्व में आस्था यानी धर्म प्रायः स्थानीय समुदायों के सामाजिक तथा आर्थिक संगठन से सम्बंधित होती थी।
  • नए देवी-देवताओं की पूजा, मंदिरों का निर्माण ( विभिन्न शैली में ), ब्राम्हणों का धन संरक्षक के रूप में महत्त्व , प्रेमल देवी-सेवताओं के रूप के रूप में जन साधारण तक भक्ति तक पहुंच, नए धर्मो जैसे इस्लाम का आगमन इत्यादि महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए।
  • कई शासक इस्लाम और इसके विद्वान् धर्म शास्त्रियों और न्याय-शास्त्रियों अर्थात उलेमा को संरक्षण देते थे।

नोट – सिया — पैगम्बर साहब के दामाद अली को अपना नेता मानते थे।

  • सुन्नी -ये खलीफाओं को मानते है। इस्लाम के आरम्भिक दौर में इस धर्म का नेतृत्व करने वाले खलीफा कहलाते थे और आगे भी इनकी परम्परा चलती रही।
  • इस्लामी न्याय सिद्धांत – भारत में हनफ़ी और शफी।

नोट – 700 से 1750 तक लगभग 1000 वर्षों के काल खण्ड को मध्यकालीन भारत के इतिहास के अंतर्गत रखा जाता है।

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