01 अगस्त 2022 : The Hindu Editorial Analysis

Q-पंचायती राज में प्रमुख मुद्दे क्या हैं और महत्वपूर्ण सुझाव सुझाएं

  • भारत के 15वें राष्ट्रपति
  • अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से संबंधित पहली व्यक्ति और देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर कब्जा करने वाली दूसरी महिला
  • राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति और स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाले पहले व्यक्ति
  • संथाल जनजाति: भारत में सबसे बड़े एसटी समुदायों में से एक
  • दिसंबर 1992, संसद ने 73वां और 74वां संशोधन पारित किया
  • संशोधन हजारों दलित और आदिवासी महिलाओं के लिए एक मंच प्रदान करते हैं
  • इन संवैधानिक सुधारों के पारित होने के लगभग 30 साल बाद, स्थानीय सरकारें अभी भी संशोधनों के डिजाइन और कार्यान्वयन दोनों में मुद्दों के कारण “स्व-सरकार की इकाइयाँ” शक्तिशाली नहीं बन पाई हैं।
  • 20 राज्यों ने महिला आरक्षण को 33% से बढ़ाकर 50% कर दिया है।
  • सितंबर 2020 तक, भारत भर की पंचायतों में कुल 31,87,320 निर्वाचित प्रतिनिधियों में से 14,53,973 महिलाएं हैं।

क्या दिक्कतें हैं पंचायती राज के साथ

  • धन की कमी:पंचायती राज संस्थाओं में धन की कमी होना, जिसके लिए वह पूरी तरह राज्य सरकारों पर निर्भर थी। इस दिक्कत ने पूरे प्रयास को असफल बना दिया।
  • पदाधिकारियों के बीच आपसी वैमनस्यता:पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों के बीच कार्यों को लेकर बड़ी भिन्नता है और एक-दूसरे को दोषारोपण करना आम बात बन गई है। संस्थाओं के वरिष्ठ तथा कनिष्ठ पदाधिकारियों के बीच भी आंतरिक मतभेद बने रहते हैं।
  • पंचायती व्यवस्था में अनावश्यक राजनितिक हस्तक्षेप:स्थानीय विधायक और सांसदों, साथ ही, समाज के उच्च वर्ग मसलन जमींदारों और ऊँचे तबके के लोगों के कब्जे में आकर पंचायती राज व्यवस्था ने अपना वज़ूद ही खो दिया।
  • साक्षरता और राजनीतिक जागरूकता की कमी:गांवों में निरक्षरों की भरमार और राजनीतिक जागरूकता की कमी के चलते पंचायती राज का असल मक़सद पूरा होता नहीं दिख रहा है।
  • पंचायती राज संस्थाओं में तदर्थवाद (Adhocism) कीउपस्थिति है, अर्थात् ग्राम सभा और ग्राम समितियों की बैठक में एजेंडे की स्पष्ट व्यवस्था की कमी होती है और कोई उपयुक्त संरचना मौजूद नहीं है।
  • पंचायतों के कार्यकलाप में क्षेत्रीय सांसदों और विधायकों के हस्तक्षेप ने ही उनके कार्य निष्पादन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।
  • 73वें संविधान संशोधन ने केवल स्थानीय स्वशासी निकायों के गठन को अनिवार्य बनाया जबकि उनकी शक्तियों, कार्यो व वित्तपोषण का उत्तरदायित्व राज्य विधानमंडलों को सौंप दिया दिया, जिसके परिणामस्वरूप पंचायती राज संस्थाओं की विफलता की स्थिति बनी है।
  • राजस्व सृजन का एक दूसरा माध्यम अंतरसरकारी हस्तांतरण हैजहाँ राज्य सरकारें अपने राजस्व का एक निश्चित प्रतिशत पंचायती राज संस्थाओं को सौंपती हैं। संवैधानिक संशोधन ने राज्य और स्थानीय सरकारों के बीच राजस्व की साझेदारी की सिफारिश करने के लिये राज्य वित्त आयोग का उपबंध किया। लेकिन ये केवल सिफारिशें होती हैं और राज्य सरकारें इन्हें मानने के लिये बाध्य नहीं हैं।

पंचायती राज व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सुझाव

  • पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव तय समय पर कराये जाएं।
  • पंचायती राज संस्थाओं को और अधिक कार्यपालिका अधिकार दिए जाएं। और साथ ही समय समय पर विश्वसनीय लेखा परीक्षा कराया जाय।
  • पंचायत के नियम-काम को आसान और पारदर्शी बनाया जाय ताकि आम आदमी इसे आसानी से समझ सके।
  • पंचायती राज संस्थाओं के काम में राजनीतिक दलों का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
  • पंचायतों का उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग किया जाय और उसी के अनुसार उन्हें धन आवंटित किया जाय।
  • द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 6ठीं रिपोर्ट (स्थानीय शासनभविष्य की ओर एक प्रेरणादायक यात्रा‘- Local Governance- An Inspiring Journey into the Future) में सिफारिश की गई थी कि सरकार के प्रत्येक स्तर के कार्यों का स्पष्ट रूप से सीमांकन होना चाहिये।
  • राज्यों को एक्टिविटी मैपिंग की अवधारणा को अपनाना चाहिये जहाँ प्रत्येक राज्य अनुसूची XI में सूचीबद्ध विषयों के संबंध में सरकार के विभिन्न स्तरों के लिये उत्तरदायित्वों और भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से इंगित करता है।
  • जनता के प्रति जवाबदेहिता के आधार पर विषयों को अलग-अलग स्तरों पर विभाजित कर सौंपा जाना चाहिये।
  • कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए हैं लेकिन समग्र प्रगति अत्यधिक असमान रही है।
  • हाल ही में राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों ने पंचायत चुनावों के प्रत्याशियों के लिये कुछ न्यूनतम योग्यता मानक तय किये हैं। इस तरह के योग्यता मानक शासन तंत्र की प्रभावशीलता में सुधार लाने में सहायता कर सकते हैं।

 

Q- INSTC के बारे में बताएं और इसके महत्व की व्याख्या करें

पृष्ठभूमि

  • पिछले हफ्ते, RailFreight.Com ने बताया कि लकड़ी के टुकड़े की चादरों के दो 40-फीट कंटेनर रूस के अस्त्रखान बंदरगाह से कैस्पियन सागर को पार करते हैं, ईरान के अंजली बंदरगाह में प्रवेश करते हैं, अरब सागर की ओर अपनी दक्षिण की यात्रा जारी रखते हैं,
  • बंदर अब्बास में पानी में प्रवेश किया और अंततः मुंबई में न्हावा शिव बंदरगाह पहुंचे
  • कॉरिडोर àउभरते हुए यूरेशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र को मजबूत करने की उम्मीद है।
  • यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करने से भारत का इनकार।
  • भारत के निर्णय को तब रूस पर उसकी सैन्य निर्भरता, कीमती तेल और गैस की खुली वैकल्पिक आपूर्ति रखने के उसके उद्देश्य और उसके गुटनिरपेक्षता की विरासत के संदर्भ में समझाया गया था।
  • रूस और ईरान à पश्चिमी(western countries) सरकारों द्वारा प्रतिबंधों के अधीन हैं।
  • INSTC के लिए कानूनी ढांचा 2000 में परिवहन पर यूरो-एशियाई सम्मेलन में भारत, ईरान और रूस द्वारा हस्ताक्षरित एक त्रिपक्षीय समझौते द्वारा प्रदान किया गया है।
  • तब से कजाकिस्तान, बेलारूस, ओमान, ताजिकिस्तान, अजरबैजान, आर्मेनिया और सीरिया ने आईएनएसटीसी के सदस्य बनने के लिए विलय के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • एक बार पूरी तरह से चालू हो जाने के बाद, आईएनएसटीसी से स्वेज नहर के माध्यम से पारंपरिक गहरे समुद्र मार्ग की तुलना में माल ढुलाई लागत में 30% और यात्रा के समय में 40% की कमी आने की उम्मीद है।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तरदक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC):

  • यह सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ईरान, रूस और भारत द्वारा सेंट पीटर्सबर्ग में 12 सितंबर, 2000 को स्थापित एक बहु-मॉडल परिवहन परियोजना है।
  • INSTC में ग्यारह नए सदस्यों को शामिल करने के लिये इसका विस्तार किया गया – अज़रबैजान गणराज्य, आर्मेनिया गणराज्य, कज़ाखस्तान गणराज्य, किर्गिज़ गणराज्य, ताजिकिस्तान गणराज्य, तुर्की गणराज्य, यूक्रेन गणराज्य, बेलारूस गणराज्य, ओमान, सीरिया और बुल्गारिया (पर्यवेक्षक)।
  • यह माल परिवहन के लिये जहाज़, रेल और सड़क मार्ग के 7,200 किलोमीटर लंबे मल्टी-मोड नेटवर्क को लागू करता है, जिसका उद्देश्य भारत और रूस के बीच परिवहन लागत को लगभग 30% कम करना तथा पारगमन समय को 40 दिनों के आधे से अधिक कम करना है।
  • यह कॉरिडोर इस्लामिक गणराज्य ईरान के माध्यम से हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को कैस्पियन सागर से जोड़ता है तथा रूसी संघ के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग एवं उत्तरी यूरोप से जुड़ा हुआ है।

प्रभाव

  • आईएनएसटीसी का एक बड़ा लाभ भारत को यह मिल सकता है कि वह इसके जरिए कई क्षेत्रों में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर लगाम लगा सकता है
  • चाबहार में भारत द्वारा विकसित किए जा रहे बंदरगाह से भारत की मध्य एशिया में भी मजबूत उपस्थिति सुनिश्चित होती है। पाकिस्तानी ग्वादर बंदरगाह के पश्चिम में महज 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चाबहार भारत को हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन की उपस्थिति को प्रतिसंतुलित करने का अवसर प्रदान करता है।
  • पूर्वी यूरोपीय देशों का चीन से मोहभंग होना और दूसरा , आईएनएसटीसी के प्रस्ताव डेप्ट ट्रेप डिप्लोमैसी जैसे किसी दुर्गुण से दूर हैं
  • भारत अब अफगानिस्तान, मध्य एशिया और उससे आगे तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान को बायपास कर सकता है
  • INSTC एक उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे को आकार दे सकता है जो चीन के नेतृत्व वाले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के पूर्व-पश्चिम अक्ष का पूरक हो सकता है।
  • INSTC का शुभारंभ मई 2022 में आयोजित क्वाड समिट द्वारा किया गया था, जिसमें क्वाड के नेताओं ने एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के सिद्धांतों पर फिर से जोर दिया।
  • INSTC भारत को रूस, ईरान और मध्य एशियाई गणराज्यों के साथ घनिष्ठ सहयोग करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

 

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