अध्याय-7: जनजातियाँ , खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय
जनजातियाँ
- ये मुख्यतः कृषक, शिकारी, संग्राहक या पशुपालक थे।
- पंजाब में खोखर जनजाति तेरहवीं और चौदहवीं सदी तथा गक्खर जनजाति प्रमुख थी।
- अकबर ने कमाल खान गक्खर को मनसबदार बनाया था।
- मुल्तान और सिंध में लंघा और अरघुन तथा उत्तर-पश्चिम में बलोच जनजाति थी।
- पश्चिमी हिमालय में गड्डी ( गड़ेरियों की जनजाति रहती थी।
- उत्तर-पूर्व भाग पर नागा , अहोम और दूसरी जनजातियो का प्रभुत्व था।
- मौजूदा बिहार और झारखण्ड में बारहवीं सदी में चेर सरदार शाहियों का उदय हुआ था, जिन पर अकबर के सेनापति मान सिंह ने 1591 में हमला किया
- मुंडा और संथाल जनजाति – बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा तथा बंगाल में पायी जाती है।
- कर्नाटक और महाराष्ट्र की पहाड़ियों में कोली तथा बेराद जनजातियाँ।
- दक्षिण में कोरागा वेतर , मरवार इत्यादि।
- भील- पश्चिमी और मध्य भारत में।
- गोंड- मौजूदा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश।
खाना बडोस और घुमन्तु लोग –
- इनमे बंजारा लोग सबसे महत्वपूर्ण थे।
- उनका कांरवाँ टांडा कहलाता था।
- सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी बंजारों का इस्तेमाल नगर के बाजारों तक अनाज ढुलाई के लिए करते थे।
- सैन्य अभियानों के दौरान मुग़ल सेना के लिए खाद्यान्नों की ढुलाई का काम बंजारे ही करते थे।
- नोट-1 विशेषज्ञता प्राप्त शिल्पियों, सुनार, लोहार, बढ़ई और राजमिस्त्री को भी ब्राम्हणों द्वारा जातियों के रूप में मान्यता दे दी गई।
- नोट-2 वर्ण की बजाए जाति , समाज के संगठन का आधार बनी।
- नोट-3 वर्त्तमान तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली ताल्लुक में उई या कोंडन उडयार के बारहवीं शताब्दी के अभिलेख में ब्राम्हणों की एक सभा विस्तार का वर्णन मिलता है।
गोंड- ( जनजाति )
- वे गोंडवाना नामक विशाल वनप्रदेश में रहते थे।
- वे स्थानान्तरीय कृषि करते थे।
- गोंड जनजाति कई छोटी-छोटी कुलों में बटी होती थी जिसका अपना राजा या राय होता था।
- अकबरनामा में उल्लिखित गढ़ कटंगा में 70000 गाँव थे।
- गोंड की प्रशासनिक व्यवस्था केंद्रीयकृत थी – राज्य गढ़ो में विभक्त थे हर गढ़ पर गोंड कुल का नियंत्रण था।
- ये फिर चौरासी गाँवो की इकाईयों में विभाजित होते थे , जिन्हे चौरासी कहा जाता था।
- चौरासी का उपविभाजन बरहोंतो में होता था जो बारह-बारह गाँवो को मिलकर बनते थे।
- ब्राम्हणों ने गोंड राजाओ से अनुदान में भूमि प्राप्ति की।
- राजपूतों के रूप में मान्यता प्राप्त करने की चाहत में गढ़ कटंगा के राजा अमनदास ने संग्राम साह की उपाधि धारण की।
- अमन दास के पुत्र दलपत ने महोबा के चंदेल राजपूत राजा सालबाहन की पुत्री राजकुमारी दुर्गावती से विवाह किया।
- दुर्गावती ने अपने पुत्र वीर नारायण ( 5 वर्ष ) के नाम पर शासन की कमान संभाली तथा 1565 में मुग़ल आक्रमण ( आसिफ खान के नेतृत्व ) का डट कर सामना किया।
अहोम जनजाति –
- ये लोग मौजूदा म्यांमार से आकर तेरहवीं सदी में ब्रम्हपुत्र घाटी में आ बसे।
- इन्होने भुइयां ( भूस्वामी ) राजनीति का दमन किया तथा चुटियों ( 1523 ) और कोच-हाजो ( 1581 ) के राज्यों को जीता।
- इन्होने 1530 के दशक में ही आग्नेय- अस्त्रों का इस्तेमाल किया तथा 1660 के आते-आते वे उच्चस्तरीय बारूद और तोपों के निर्माण करने में सक्षम हो गए।
- 1662 में मीर जुमला के नेतृत्व में मुगलो ने अहोम राज्य पर हमला किया जिसमे अहोमो की पराजय हुई।
- अहोम राज्य बेगार पर निर्भर था। जिनलोगो से जबरन काम लिया जाता था वे पाइक कहलाते थे
- अहोम समाज कुलों में विभाजित था जिन्हे ‘ खेल ‘ कहा जाता था।
- अहोम क्षेत्र में दस्तकार निकटवर्ती क्षेत्रो से आए।
- किसान को यहाँ ग्राम समुदाय द्वारा जमीन दी जाती थी जिसे राजा भी बिना समुदाय की अनुमति के वापस नहीं ले सकता था।
- सिब सिंह ( 1714-44 ) के काल में हिन्दू धर्म वहाँ का प्रधान धर्म बन गया -अहोम राजाओ ने हिन्दू धर्म को अपनाने के बाद भी अपनी पारम्परिक आस्थाओ को नहीं छोड़ा था।
- बुरंजी नामक ऐतिहासिक कृतियों को पहले अहोम भाषा में और फिर असमिया में लिखा गया था।
अन्यत्र-मंगोल-
- पशुचारी और शिकार संग्राहक जनजाति थी।
- वे मध्य एशिया के घास मैदानों ( स्टेपी ) में बसे थे।
- 1206 में चंगेज खान ने मंगोल और तुर्की जनजातियों में एकता पैदाकर शक्तिशाली सैन्य बल बना डाला
- 1227 में चंगेज खान की मृत्यु।
- उसका साम्राज्य रूस, पूर्वी यूरोप, चीन तथा मध्य पूर्व तक फैला था।