अध्याय-6: उपनिवेशवाद और शहर
औपनिवेशिक शासन में शहर
- अठारहवीं सदी के आखिर में कलकत्ता,बम्बई और मद्रास का महत्त्व प्रेसीडेंसी शहरों के रूप में तेजी से बढ़ रहा था। वही दूसरी तरफ अन्य शहर मछलीपटनम ,सूरत और श्रीरंगपट्म जैसे शहरों का उन्नीसवीं सदी में काफी ज्यादा विषहरीकरण हुआ। बीसवीं सदी की शुरुआत में केवल 11 प्रतिशत लोग शहरों में रहते थे।
- ऐतिहासिक शाही शहर दिल्ली उन्नीसवीं सदी में एक धूल भरा छोटा सा क़स्बा बन कर रह गया , परन्तु 1911 में ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाने के बाद इसमें दोबारा जान आ गई।
दिल्ली
- यह शहर एक हजार साल से भी ज्यादा समय तक राजधानी रह चूका है।
- यमुना नदी के बाएं किनारे पर लगभग साठ वर्ग मील के छोटे से क्षेत्रफल में कम से कम 14 राजधानियाँ अलग-अलग समय पर बसाई गई।
- सारी राजधानियों में सबसे शानदार शाहजहाना बाद , जिसको 1639 में शाहजहाँ द्वारा बसाया गया।
- इसके भीतर किला महल और बगल में शहर था। लाल पत्थर से बने लाल किले में महल परिसर बनाया गया था। जिसके पश्चिम की ओर 14 दरवाजों वाला पुराना शहर था।
- चाँदनी चौक के बीचो बीच नहर थी। फैज बाजार , जामा मस्जिद ( उस समय इससे ऊँची पूरे शहर में कोई इमारत नहीं थी) इसके प्रमुख आकर्षण केंद्र थे।
- शाहजहाँ के समय दिल्ली सूफी संस्कृति का अहम् केंद्र हुआ कराती थी। यहाँ कई दरगाह , खान काह और ईदगाह थी।
- मीर तकी ने कहा था ,” दिल्ली की सड़के महज सड़के नहीं है। वो तो किसी चित्रकार की एलबम्ब के पन्ने है।
- इन सबके बावजूद अमीर और गरीब के बीच फासला बहुत गहरा था। हवेलियों के बीच गरीबों के असंख्य कच्चे मकान होते थे। त्योहारों और जलसे -जुलूसों में जब-तब टकराव भी फूट पड़ते थे
नोट-
- दरगाह-सूफी संत का मकबरा।
- खानकाह-यात्रियों के लिए विश्राम घर और ऐसा स्थान जहाँ लोग आध्यात्मिक मामलों पर चर्चा करते है।
- ईदगाह-मुसलमानों का खुला प्रार्थना स्थल जहाँ सार्वजनिक प्रार्थना और त्यौहार होते है।
- कुल-दे-सेक-ऐसा रास्ता जो एक जगह जाकर बंद हो जाता है।
नई दिल्ली का निर्माण-
- 1803 में अंग्रेजों ने मराठों को हराकर दिल्ली पर नियंत्रण कर लिया था।
- यह 1911 में तब बनना शुरू हुआ जब दिल्ली ब्रिटिश भारत की राजधानी बन गयी।
- 1824 में दिल्ली कॉलेज की स्थापना हुई जिसकी शुरुआत अठारहवीं सदी में मदरसे के रूप में हुई थी।
- 1830 से 1857 तक की अवधि को दिल्ली का पुनर्जागरण काल माना जाता है।
- 1857 के ऐतिहासिक क्रांति के बाद अंग्रेजों ने दिल्ली की ऐतिहासिक विरासत को नष्ट किया।
- अनेक मस्जिदों को नष्ट कर दिया गया या उन्हें अन्य कामों में लाया जाने लगा।
- जामा मस्जिद में पाँच साल तक किसी को नमाज की इजाजत नहीं मिली। शहर का एक तिहाई हिस्सा ढहा दिया गया।
- नहरों को पाटकर समतल कर दिया गया।
- रेलवे की स्थापना करने और शहर को चारदीवारी के बाहर फ़ैलाने के लिए 1870 के दशक में शाहजहानाबाद की पश्चिमी दीवारों को तोड़ दिया गया।
- दिल्ली कॉलेज को एक स्कूल बना दिया गया और 1877 में उसे बंद कर दिया गया।
एक नई राजधानी की योजना
- 1877 में वायसरॉय लिटन ने रानी विक्टोरिया को भारत की मलिका घोषित करने के लिए एक दरबार का आयोजन किया।
- 1911 में जब जॉर्ज पंचम को इंग्लैण्ड का राजा बनाया गया तो इस मौके पर दिल्ली में एक और दरबार का आयोजन हुआ। कलकत्ता की बजाए दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने के फैसले का भी इसी दरबार में ऐलान किया गया।
- इस दरबार में 100000 से ज्यादा भारतीय राजा-महाराजा,अंग्रेज अफसर और सिपाही जमा हुए थे।
- जॉर्ज पंचम का राज्याभिषेक ( दरबार दिल्ली में )-[12 दिसंबर 1911 ]
- इसी दिन दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया।
- रायसीना पहाड़ी पर दस वर्ग मील के इलाके में नई दिल्ली का निर्माण किया गया।
- एडवर्ड लटयंस और हर्बर्ट बेकार नाम के दो वास्तुकारों को नई दिल्ली और उसकी इमारतों का डिजाइन तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया।
- सरकारी परिसर में दो मील का चौड़ा रास्ता , वायसरॉय के महल (वर्त्तमान राष्ट्रपति भवन ) तक जाने वाला किंग्सवे ( वर्त्तमान राजपथ ) और उसके दोनों तरफ सचिवालय की इमारतें बनाई गई।
- नोट-1888 में लाहौर गेट सुधार योजना-रॉबर्ट क्लार्क द्वारा पुराने शहर के लिए।
- नोट-दिल्ली सुधार ट्रस्ट का गठन 1936 में किया गया।
- नोट-दक्षिण अफ्रीका स्थित प्रिटोरिया शहर की रूपरेखा हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी।