प्रदूषण की जद में रहती है विश्व की 90 फीसदी आबादी

  •  जहां चीन जैसे कुछ देशों ने वायु प्रदूषण को कम करने में सफलता हासिल की है, वहीं इससे होने वाले नुकसान के प्रमाण तेजी से बढ़ रहे है । 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े दर्शाते हैं कि दुनिया की 90 फीसदी आबादी उन स्थानों पर रहने के लिए मजबूर है, जहां वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तय मानकों से कई गुना अधिक है ।
  • जबकि वायु प्रदूषण से होने वाली 90 फीसदी से अधिक मौतें मध्यम और निम्न आय वाले देशों में होती हैं ।
  • इसके अंतर्गत मुख्य रूप से एशिया,  अफ्रीका इसके बाद पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र, यूरोप और अमेरिका के निम्न और मध्यम आय वाले देश आते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया के लगभग 300 करोड़ लोगों (40 फीसदी आबादी) के पास अभी भी खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन और तकनीकें उपलब्ध नहीं है । जिसके कारण वायु प्रदूषण की समस्या और गंभीर होती जा रही है ।
  • जिसके सबसे अधिक बुरा प्रभाव घरेलू कार्यों में संलग्न महिलाओं पर पड़ता है ।

वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए जरुरी है ठोस नीति

  • उन देशों में जहां महिलाओं को घर के भीतर भी वायु प्रदूषण की मार झेलनी पड़ती है, वहां इससे बचना एक बड़ी गंभीर चुनौती है ।
  • उज्ज्वला योजना ने जहां न केवल महिलाओं के लिए ईंधन की समस्या को हल करने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की है, वहीं घर के अंदर होने वाले वायु प्रदूषण में भी इससे कमी आयी है ।

 

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