प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान
भूमिका
भारत के वित मंत्री अरुण जेटली द्वारा आम बजट 2018 में स्वास्थ्य ओर मेडिकल योजना शुरुआत की गयी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आयुष्मान भारतीय राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इसका शुभारंभ किया है। 10 करोड़ परिवारों को इस योजना के तहत लाभ मिलेगा। जैसे की राष्ट्रीय बीमा योजना के तहत 1 लाख मदद राशि दी जाती थी अब वही राशि बढ़ा कर 4 लाख कर दी गयी है। यह योजना ग़रीब परिवारों की सहायता के लिए शुरू की गयी है ताकि किसी भी ग़रीब परिवार के सदस्य को उपचार करवाने मे किसी मुश्किल का सामना ना करना पड़े ।
आयुष्मान भारत योजना को कैबिनेट की मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 21 मार्च 2018 को केन्द्र प्रायोजित आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन लांच करने की स्वीकृति दे दी है। इसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अयुष्मान मिशन के अंतर्गत केन्द्रीय क्षेत्र के सभी मामले शामिल हैं। इस योजना में प्रति वर्ष प्रति परिवार को 5 लाख रुपये का लाभ प्रदान किया गया है। इस योजना से 10 करोड़ से अधिक परिवार लाभांवित होंगे। यह परिवार एस.ई.सी.सी डाटा बेस पर आधारित गरीब और कमजोर आबादी के होंगे। एबी-एनएचपीएम में चालू केन्द्र प्रायोजित योजनाओं-राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) तथा वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना (एससीएचआईएस) समाहित होंगी। इस योजना में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना भी सम्लित होगी। आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 15 अगस्त 2018 या गांधी जयंती 2 अक्तूबर 2018 पर की जाएगी। इस योजना के तहत केंद्र सरकार कुल खर्च का 60 फीसदी तो राज्य सरकारें 40 फीसदी रकम खर्च करेंगी। इसका लाभ देश के 50 करोड़ लोगों को मिलेगा।
आयुष्मान भारत योजना के उद्देश्य
आयुष्मान भारत योजना प्रोग्राम 2018 वर्ष 2025 तक सम्पूर्ण भारत को रोग मुक्त करके विकास के पथ पर ले जाना है। इसके अंतर्गत प्रति वर्ष 50 करोड़ गरीब परिवारों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचना तथा 5 लाख रुपये तक का मेडिकल बीमा कवर देना है।
भारत सरकार का स्वास्थ्य कार्यक्रम
आयुष्मान भारत योजना भारत सरकार द्वारा पूरे देश में लागू लागू की गयी है। सत्र 2018 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस योजना की घोषणा की। के द्वारा बीपीएल धारको को स्वास्थ बीमा मुहैया कराया जायेगा तथा आयुष्मान भारत योजना के तहत कमजोर व गरीबो लोगों को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जायेगा। आयुष्मान भारत योजना योजना के द्वारा देश को मेडिकल क्षेत्र में कई नए मुकाम हासिल करने का अभियान है, सबसे बड़ी बात यह है कि भारत के लगभग 40 प्रतिशत सभी गरीबों तक इस योजना का लाभ पहुंचाने का संकल्प किया गया है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के आम बजट में इस योजना का सबसे बड़ा योगदान दिया। इस योजना के तहत प्रति वर्ष 50 करोड़ गरीब परिवार को इलाज के लिए 5-5 लाख रूपये तक का स्वास्थ बीमा कवर उपलब्ध करायी जाएगी।
आयुष्मान भारत योजना की प्रमुख विशेषताएं
- हर साल मिलेगा 5 लाख रुपए का कवर होगा । आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन में प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये का लाभ प्रदान होगा। इस कवर में सभी द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रक्रियाएं शामिल हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई व्यक्ति (महिलाएं, बच्चे एवं वृद्धजन) छूट न जाए, इसलिए योजना में परिवार के आकार और आयु पर किसी तरह की सीमा नहीं होगी। लाभ कवर में अस्पताल में दाखिल होने से पहले और दाखिल होने के बाद के खर्च शामिल किए जाएंगे। बीमा पॉलिसी के पहले दिन से सभी शर्तों को कवर किया जाएगा। लाभार्थी को हर बार अस्पताल में दाखिल होने पर परिवहन भत्ते का भी भुगतान किया जाएगा।
- देश के किसी भी सरकार अस्पताल से उठा सकते हैं लाभ इस योजना का लाभ पूरे देश में मिलेगा और योजना के अंतर्गत कवर किये गये लाभार्थी को पैनल में शामिल देश के किसी भी सरकारी/निजी अस्पताल से कैशलेस लाभ लेने की अनुमति होगी।
- 16 से 59 वर्ष की आयु के बीच के हर व्यक्ति को मिलेगा लाभ आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन पात्रता आधारित योजना होगी और पात्रता SECC डाटा बेस में वंचन मानक के आधार पर तय की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न श्रेणियों में ऐसे परिवार शामिल हैं जिनके पास कच्ची दीवार और कच्ची छत के साथ एक कमरा हो, ऐसे परिवार जिनमें 16 से 59 वर्ष की आयु के बीच का कोई व्ययस्क सदस्य नहीं है, ऐसे परिवार जिसकी मुखिया महिला है और जिसमें 16 से 59 आयु के बीच का कोई व्ययस्क सदस्य नहीं है, ऐसा परिवार जिसमें दिव्यांग सदस्य है और कोई शारीरिक रूप से सक्षम व्ययस्क सदस्य नहीं है, अजा/जजा परिवार, मानवीय आकस्मिक मजूदरी से आय काबड़ा हिस्सा कमाने वालेभूमिहीन परिवार हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे परिवार स्वत: शामिल किये गये हैं जिनके रहने के लिए छत नहीं है,निराश्रित, खैरात पर जीवन यापन करने वाले, मैला ढोने वाले परिवार, आदिम जनजाति समूह, कानूनी रूप से मुक्त किए गये बंधुआ मजदूर हैं।
- सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों में मिलेगा लाभ लाभार्थी पैनल में शामिल सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में लाभ ले सकेंगे। एबी-एनएचपीएम लागू करने वाले राज्यों के सभी सरकारी अस्पतालों को योजना के लिए पैनल में शामिल समझा जाएगा। कर्मचारी राज्य बीमा निगम से जुड़े अस्पतालों को भी बिस्तर दाखिला अनुपात मानक के आधार पर पैनल में शामिल किया जा सकता है। निजी अस्पताल परिभाषित मानक के आधार पर ऑनलाइन तरीके से पैनल में शामिल किए जाएंगे।
- पैकेज के आधार पर होगा इलाज लागत को नियंत्रित करने के लिए पैकेज दर के आधार पर इलाज के लिए भुगतान किया जाएगा। पैकेज दर में इलाज से संबंधित सभी लागत शामिल होंगी। लाभार्थियों के लिए यह कैशलेस और पेपरलेस लेनदेन होगा। राज्य विशेष की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्यों के पास इन दरों में सीमित रूप से संशोधन का लचीलापन होगा।
- हर राज्य में लागू होगी योजना एबी-एनएचपीएम का एक प्रमुख सिद्धांत सहकारी संघवाद और राज्यों को लचीलापन देना है। इसमें सह-गठबंधन के माध्यम से राज्यों के साथ साझेदारी का प्रावधान है। इसमें वर्तमान स्वास्थ्य बीमा/केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों तथा राज्य सरकारों (उनकी अपनी लागत पर) की विभिन्न सुरक्षा योजनाओं के साथ उचित एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को एबी-एनएचपीएम के विस्तार की अनुमति होगी। योजना को लागू करने के तौर तरीकों को चुनने में राज्य स्वतंत्र होंगे। राज्य बीमा कंपनी के माध्यम से या प्रत्यक्ष रूप से ट्रस्ट/सोसायटी के माध्यम से या मिले जुले रूप में योजना लागू कर सकेंगे।
- नीति आयोग करेगा अध्यक्षता नीति निर्देश देने एवं केन्द्र और राज्यों के बीच समन्वय में तेजी लाने के लिए शीर्ष स्तर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन परिषद (एबी-एनएचपीएम) गठित करने का प्रस्ताव है। इसमें एक आयुष्मान भारत राष्ट्रीय, स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन गवर्निंग बोर्ड (एबी-एनएचपीएमजीबी) बनाने का प्रस्ताव है, जिसकी अध्यक्षता संयुक्त रूप से सचिव (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) तथा सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग द्वारा की जाएगी।
- राज्य स्वास्थय एजेंसी लागू करेगी योजना योजना को लागू करने के लिए राज्यों को राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) की जरूरत होगी। योजना को लागू करने के लिए राज्यों के पास एसएचए रूप में वर्तमान ट्रस्ट/सोसायटी/अलाभकारी कंपनी/राज्य नोडल एजेंसी के उपयोग करने का विकल्प होगा या नया ट्रस्ट/सोसायटी/अलाभकारी कंपनी/राज्य स्वास्थ्य एजेंसी बनाने का विकल्प होगा। जिला स्तर पर भी योजना को लागू करने के लिए ढांचा तैयार करना होगा।
- डायरेक्ट व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर होंगे पैसे यह सुनिश्चित करने के लिए कि धन एसएचए तक समय पर पहुंचे एबी-एनएचपीएमए के माध्यम से केन्द्र सरकार की ओर से राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों को पैसे का ट्रांसफर प्रत्यक्ष रूप से निलंब खाते से किया जा सकता है। दिए गए समय सीमा के अन्दर राज्य को बराबर के हिस्से का अनुदान देना होगा।
- पेपरलेश और कैशलेस ट्रांजेक्शन को मिलेगा बढ़ावा नीति आयोग के साथ साझेदारी में एक मजबूत, अन्तर संचालन आईटी प्लेटफार्म चालू किया जाएगा, जिसमें कागज रहित, कैशलेस लेनदेन होगा। इससे संभावित दुरूपयोग की पहचान/धोखेबाजी और दुरूपयोग रोकने में मदद मिलेगी। इसमें सुपरिभाषित शिकायत समाधान व्यवस्था होगी। इसके अतिरिक्त नैतिक खतरों (दुरूपयोग की संभावना) के साथ इलाज पूर्व अधिकार को अनिवार्य बनाया जाएगा।
- हर व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने की योजना यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह योजना वांछित लाभार्थियों तथा अन्य हितधारकों तक पहुंचे, एक व्यापक मीडिया तथा आउटरिच रणनीति विकसित की जाएगी, जिसमें अन्य बातों के अलावा प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया प्लेटफार्म, पारंपरिक मीडिया, आईईसी सामग्री तथा आउटडोर गतिविधियां शामिल हैं।
आयुष्मान भारत योजना का प्रमुख प्रभाव
आबादी के लगभग 40 प्रतिशत को बढ़ा हुआ लाभ कवर सभी द्वितीयक और तृतीयक अस्पताल कवर किए जाएंगे। प्रत्येक परिवार के लिए पांच लाख का कवरेज (परिवार के आकार पर कोई प्रतिबंध नहीं)। इससे गुणवत्ता संपन्न स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा तक पहुंच बढ़ेगी। वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण आबादी की पूरी नहीं की गई आवश्यकताएं पूरी होंगी। इससे समय पर इलाज होगा, स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा, रोगी की संतुष्टि होगी, उत्पादकता और सक्षमता में सुधार होगा, रोजगार सृजन होगा और इसके परिणाम स्वरूप जीवन की गुणवत्ता सुधरेगी।
शामिल खर्च प्रीमियम भुगतान में होने वाले खर्च वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्दिष्ट अनुपात में केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा साझा किए जाएंगे। उन राज्यों में जहां बीमा कंपनियों के माध्यम से एबी-एनएचपीएम लागू किए जाएंगे वहां कुल व्यय वास्तविक बाजार निर्धारित प्रीमियम भुगतान पर निर्भर करेगा। जिन राज्यों केन्द्र शासित प्रदेशों में ट्रस्ट/सोसायटी के माध्यम से योजना लागू की जाएगीउन राज्यों में वास्तविक खर्च या प्रीमियम सीमा (जो भी कम हो) पूर्व निर्धारित अनुपात में केन्द्रीय धन उपलब्ध कराया जाएगा।
लाभार्थियों की संख्या एबी-एनएचपीएम 10.7 करोड़ गरीब, वंचित ग्रामीण परिवारों तथा ग्रामीण और शहरी दोनों को कवर करने वाले सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के नवीनतम डाटा के आधार के अनुसार शहरी श्रमिकों की चिन्हित व्यावसायिक श्रेणी को लक्षित करेगा। यह योजना गतिशील और आकांक्षी रूप में बनाई गई है और योजना एसईसीसी डाटा में भविष्य में होने वाले अलगाव/ समावेशन और वंचन को ध्यान में रखेगी।
कवर किये गये राज्य/जिले एबी-एनएचपीएम सभी लक्षित लाभार्थियों को कवर करने के उद्देश्य से सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में प्रारंभ किया जाएगा।
आयुष्मान भारत योजना एवम डिजिटल इंडिया
इस योजना का उदेश्य भारत को रोग मुक्त बनाना। इससे हमारा भारत न्यू इण्डिया, डिजिटल इण्डिया, स्वच्छ इण्डिया, और भी बहुत सारे फायदे आसार दिखाई दे रहे है। 2025 तक हमारा भारत रोग मुक्त होगा। क्योंकि हमारे पास बड़ी से बड़ी बीमारियों से लड़ने की क्षमता हो गई है। इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए 2008 में पेश राष्टीय स्वास्थ बीमा की जगह ली है। जसमे 30,000 रूपये का सालाना बीमा कवर दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत गरीबों की मदद के लिए भारत सरकार ने देश के सभी गरीबों के स्वास्थ चिंताओं को दूर करने का प्रयास कर रही है। इसके साथ ही सरकार पूरे देश में 24 मेडिकल महाविद्यालय खोलने का संकल्प किया है। जिसकी सहायता से हर गरीबों का इलाज हो सकेगा। इन कॉलेजों में आधुनिक तकनीक से इलाज करने वाली सुविधाएं मौजूद होगी अब हर बड़ी से बड़ी बीमारियों से लड़ने की क्षमता हो गई है। इतना ही नहीं मेडिकल कॉलेज के खुलने से छात्रों को मेडिकल की कई सारी नई तकनीकी सिखने को मिलेंगी।
आयुष्मान भारत योजना के लाभ
- लोग अस्पताल के माध्यम से उपचार करवाकर इस योजना का लाभ ले सकते हैं ।
- इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को सरकार 4 लाख तक की मदद प्रदान करेगी ।
- इस योजना के तहत 10 करोड़ ग़रीब परिवारों की मदद की जाएगी ।
- भारतीय राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना 1.50 लाख नये स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों ओर सामुदायिक स्वास्थ्य क्लिनिक स्थापित करेगा ।
- इस योजना के तहत सरकार 1200 करोड़ रुपये लगाएगी और ग़ैर संचारी रोगों के लिए उपचार उपलब्ध कराएगी ।
- मेगा यूनिवर्सल हेल्थ प्रोटेक्षन स्कीम देश मैं पूरे 50 करोड़ लोगों को लाभ पहुँचाएगी ।
आयुष्मान भारत योजना से गरीबों को लाभ
इस योजना के अंतर्गत 50 करोड़ गरीबों को लाभ मिलगा। और इलाज के लिए कही दूर जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। क्योंकि ग्रामीण स्तर में भी अस्पतालों की संख्या में बढ़ोत्तरी करायी जाएगी। क्योंकि भारत में गरीब लोग पैसा के कारण बड़ी बीमारियों का इलाज नहीं करा पाते है। जिसके कारण बहुत से गरीब की मृत्यु हो जाती है तो इस योजना से जुड़े हर गरीबों को हर तरह से लाभ और समस्यों से छुटकारा मिल सकेगा। इस योजना से खास कर टीवी जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता हो गई है। टीबी मरीजों को फंड भी प्रदान किया जाएगा। भारत में प्रतिवर्ष 14% मरीजों की मृत्यु टीबी जैसी बीमारियों के कारण हो जाती है। भारत में लगभग प्रतिवर्ष 3000000 मरीज लोग अस्पताल में अपना पंजीकरण कराते है। आयुष्मान भारत योजना 2018 के अंतर्गत अब टीबी मरीजों को 6000 वार्षिक (500 रु. मासिक) की धनराशि सहायता के तौर पर प्रदान की जाएगी।
आयुष्मान भारत योजना की पात्रता
एसपीसीसी डाटा बेस पर आधारित गरीब और कमजोर तबके लोग शामिल किए जाएंगे। कोई छूटे नहीं, इसके लिए परिवार के आकार और आयु पर किसी तरह की सीमा नहीं होगी। कच्ची दीवार और कच्ची छत के साथ एक कमरा वाले, वे परिवार जिनमें 16 से 59 वर्ष की आयु के बीच का कोई वयस्क सदस्य नहीं हो, ऐसे परिवार जिसमें दिव्यांग सदस्य हों और कोई शारीरिक रूप से सक्षम वयस्क सदस्य नहीं हो, अजा/जजा परिवार, मानवीय आकस्मिक मजदूरी से आय का बड़ा हिस्सा कमाने वाले भूमिहीन परिवार, ग्रामीण क्षेत्रों में बिना छत के रहने वाले, निराश्रित, खैरात पर जीवन यापन करने वाले, मैला ढोने वाले परिवार, आदिम जनजाति समूह, कानूनी रूप से मुक्त किए गए बंधुआ मजदूर। भारत के उन गरीब लोगो को इस योजना का लाभ मिल सकता है। जो (बीपीएल) सूचि के अंतर्गत आते है। जिसमे 40 प्रतिशत (बीपीएल) धारक को इसका लाभ मिल सकता है। और भारत सरकार की तरफ से 10 लाख तक का कैशलेश स्वास्थ बिमा प्राप्त कराया जायेगा। 50 करोड़ (बीपीएल) धारक को इस योजना का लाभ मिल पायेगा।
आयुष्मान भारत योजना की चयन प्रक्रिया
50 करोड़ परिवारों का चयन 2011 की जनगणना के आधार पर होगा। आधार नंबर से परिवारों की सूचि तैयार की जाएगी। पूरी तरह से सूचि तैयार हो जाने के बाद ही कार्य को आगे बढ़ाया जायेगा। इस योजना का लाभ बीपीएल कार्ड और आधार कार्ड के जरिये ही मिल पायेगा। योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड का होना अति आवश्यक है।
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत रोग मुक्त भारत बनाने का संकल्प
मान्यनीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का यह संकल्प 2022 तक भारत रोग मुक्त बनाने का सबसे बड़ा संकल्प कर लिया है। भारत को डिजिटल इण्डिया बनाने का बहुत बड़ा संकल्प किया है। जिस हिसाब से इस योजना का प्रारूप बनाया गया है। इस योजना की मदद से गरीबों की जान नहीं जा पाएगी। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की सरकार ने अपने देश के 15 प्रतिशत स्वास्थ बीमा मुहैया किया तथा। वही पर भारत सरकार ने 40 प्रतिशत (बीपीएल) धारको को स्वास्थ बीमा कवर का मुहैया किया है।
आयुष्मान भारत योजना के लागू होने से रोजगार में हुई बढ़ोत्तरी
कई अस्पताल बहुत सारे डाक्टरों की आवश्यकता, बहुत सारी नर्स की आवश्यकता, बहुत सारे सफाई कर्मचारियों की आवश्यकता, बहुत सारे हेल्फरो की आवश्यकता, और बहुत सारे रोजगार बढ़ जाएगे।
योजना के क्रियान्वयन में क्या हैं चुनौतियाँ?
- यह एक बड़ा सवाल है कि योजना के अंतर्गत शामिल किये गए लोग भारी तादाद में जब अस्पतालों में इलाज के लिये पहुँचेंगे तो ये अस्पताल कैसे मैनेज करेंगे? अस्पतालों के निर्माण पर करोड़ों रुपए खर्च करने वाले अस्पताल क्या अपने मुनाफे को कम करने के लिये तैयार होंगे? क्या गरीब और असहाय रोगियों को वे सभी सुविधाएँ उपलब्ध हो पाएंगी जिसकी कल्पना इस योजना में की गई है? ये ऐसे सवाल हैं जिन पर विचार किया जाना ज़रूरी है|
तय दर पर निजी अस्पताल तैयार नहीं
- आयुष्मान की राह में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि निजी अस्पताल सरकार की ओर से विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिये तय की गई दरों पर सहमत नहीं हैं| सरकार ने अनुमान के आधार पर दरें तय की हैं, जिन पर निजी अस्पताल इलाज करने के लिये तैयार नहीं हैं|
- सरकार का कहना है कि निजी अस्पताल एक साल तक इन दरों पर इलाज करें, एक साल बाद इस पर अध्ययन कर इन दरों को संशोधित कर दिया जाएगा| सरकार द्वारा यह दरें तकनीकी ढंग से तय की जानी चाहिये अन्यथा यह योजना भी अन्य योजनाओं की तरह दम तोड़ देगी|
स्वास्थ्य सुविधा ढाँचे का अभाव
- जितने समय में जनसंख्या सात गुनी हो गई है उस रफ्तार से अस्पताल दोगुने भी नहीं हो पाए| एक अनुमान के मुताबिक, देश में छोटे-बड़े दोनों को मिलाकर करीब 60,000 – 70,000 अस्पताल हैं, जिनमें 60 फीसदी ऐसे हैं जहाँ 30 या उससे कम बेड हैं|
- NSS की 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में 1/3 बेड खाली रहते हैं| इनका समुचित उपयोग किया जा सकता है| योजना के लिये इनका उपयोग मामूली लागत पर किया जा सकता है|
- इसके लिये रेगुलेशन बनाए जाने की ज़रुरत है| सभी अस्पतालों में आयुष्मान भारत के लिये बेड की संख्या तय करनी पड़ेगी| अगर ऐसा नहीं हो पाया तो इस महत्त्वाकांक्षी योजना का क्रियान्वयन एक बहुत बड़ी चुनौती होगी|
- भारत में स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी के 1 फीसदी के बराबर खर्च किया जाता है, जिसे बढ़ाकर 2.5 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य है| आयुष्मान भारत स्कीम की वज़ह से देश में बड़ी मांग उत्पन्न होगी ऐसे में निजी अस्पतालों के विस्तार के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सुदृढ़ करने की भी चुनौती होगी|
- इतनी बड़ी आबादी के इलाज के लिये डॉक्टर्स, नर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ की उपलब्धता और मांग में बड़ा अंतर भी एक बड़ी चुनौती है|
बीमा लागत को कम रखने की चुनौती
- 50 करोड़ लोगों को बीमा मुहैया कराने के लिये सरकार के सामने बड़ी चुनौती, लागत को कम रखने की होगी| लागत बढऩे से बीमा कंपनियों का प्रीमियम बढ़ेगा जिसका असर अप्रत्यक्ष रूप से सरकार पर ही पड़ेगा|
- निजी क्षेत्र में इलाज की दरों के कोई तय मानक नहीं हैं और सरकारी अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा होती तो बीमा की ज़रूरत क्यों पड़ती|
लाभार्थी को लाभ मिलना भी चुनौती होगी
- लाभार्थी को इस योजना का लाभ मिले यह एक बड़ी चुनौती है| इस योजना के संबंध तमाम फेक वेबसाइट सक्रिय हैं जो आम लोगों में भ्रम पैदा कर रही हैं| कुछ वेबसाइट के नाम हैं aayushmanbharat.net, ayushmanbharat.co.in, pradhanmantriyojna.in आदि|
- ये सभी वेबसाइट्स गलत सूचनाएँ दे रही हैं| इनके द्वारा बताया जा रहा है कि यह नामांकन आधारित योजना है| इसके लिये जनता से रुपए लेकर नामांकन का दावा किया जा रहा है| जबकि यह नामांकन आधारित योजना नहीं है| सबसे पहले जनता को इस संबंध में जागरूक करने की आवश्यकता है कि यह सामाजिक, आर्थिक, जातिगत जनगणना पर आधारित 10 करोड़ परिवारों की सूची तैयार की गई है जिसका सत्यापन सरकार द्वारा कर लिया गया है और उन्हें कार्ड देने की प्रक्रिया जारी है और ये लाभार्थी इन्हीं परिवारों के सदस्य हैं|
- इन फेक वेबसाइट्स पर लगाम लगाना भी एक चुनौती है| हालाँकि गृह मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा है कि इन तमाम वेबसाइट्स को ट्रैक कर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए|
निष्कर्ष
- यह मुहिम सिर्फ भारत सरकार या राज्य सरकारों की नहीं है| यह उनके लिये है जिनको इसकी ज़रुरत है| इसमें सबसे बड़ी भूमिका आम नागरिक के साथ साथ सभी अस्पतालों, डाक्टरों, नर्सों तथा पैरा मेडिकल स्टाफ की भी है जिनके सहयोग से गरीब जनता को उसका हक़ मिल पाएगा|
- देश में सार्वजनिक चिकित्सा सुविधाओं को बहुत अच्छा नहीं माना जाता और इनमें उत्तरदायित्व की कमी जैसे कई नकारात्मक पहलू उजागर होते हैं। साथ ही, सभी देशवासियों की पहुँच अच्छे हॉस्पिटलों तक होना अब भी सपना जैसा है।
- स्पष्ट रूप से जहाँ इस कार्यक्रम के तहत बहुत से लक्ष्यों को प्राप्त करने की रणनीति बनाई जा रही है वहीं, कई पक्ष ऐसे भी हैं जिनके विषय में और अधिक ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
- सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दबाव अधिक है| ऐसे में निजी अस्पतालों को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना होगा| सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट को बढ़ाकर स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढाँचे पर काम करने की आवश्यकता है| लाभार्थियों को इस योजना का लाभ तभी मिल सकता है जब प्राथमिक उपचार केंद्र मज़बूत हों और सरकार सभी पक्षों की भागीदारी सुनिश्चित करे|