मरुस्थलीकरण

 

GS-1 Mains & Essay

मरुस्थलीकरण- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शुष्कभूमि अपनी उत्पादकता खो देती है। इसमें पौधों को सहारा देने, अन्न उत्पादन करने, आजीविका उपलब्ध कराने की जमीन की क्षमता खत्म होने लगती है। पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं जैसे कि जल प्रबंधन प्रणाली और कार्बन के भंडारण पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। हालांकि, मरुस्थलीकरण की प्रक्रिया पूरे इतिहास में होती रही है, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि हाल के दशकों में इसकी गति ऐतिहासिक दर से 30 से 35 गुना तेज हो गई है।

  • संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि हर साल करीब 12 मिलियन हेक्टेयर जमीन मानव निर्मित रेगिस्तान में तब्दील होती जा रही है। दुनिया की कुल कृषि योग्य भूमि का एक चौथाई हिस्सा अत्यधिक निम्नीकृत (डिग्रेडेड) हो चुका है। अधिकतर शुष्कभूमि (दुनिया भर में करीब 72 फीसदी) में बहुत कम और अनियमित वर्षा होती है। खासकर विकासशील देशों में ये जगहें मरुस्थलीकरण के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। एशिया और अफ्रीका की लगभग 40 फीसदी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रह रही है, जहां लगातार मरुस्थलीकरण का खतरा बना हुआ है। इनमें से अधिकतर लोग कृषि और पशुओं के पालन-पोषण पर निर्भर हैं। 
  • मरुस्थलीकरण की गंभीर होती समस्या पर विचार विमर्श करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का कन्वेंशन टु कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) का सीओपी-14 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) 2 से 13 सितंबर के बीच भारत में होगा। इसमें 196 देशों के करीब 3,000 प्रतिनिधि पहुंचेंगे जिनमें वैज्ञानिक, नौकरशाह, गैर सरकारी संस्थाएं, राजनेता और औद्योगिक घरानों के प्रतिनिधि मुख्य रूप से होंगे। 
  • ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान, (नई दिल्ली) – अनुमान के मुताबिक, भू-क्षरण की वजह से देश के राजकोष को 48.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की चपत लग रही है। यह 2014-15 में भारत की जीडीपी के लगभग 2.08 फीसदी के बराबर है, जबकि उसी वर्ष के कृषि और वानिकी क्षेत्रों के सकल मूल्य से यह 13 प्रतिशत से भी अधिक है। 
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) द्वारा प्रकाशित मरुस्थलीकरण एवं भू-क्षरण एटलस के मुताबिक, देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का करीब 30 फीसदी हिस्सा (लगभग 96.40 मिलियन हेक्टेयर) भू-क्षरण की चपेट में है।
  • यह भारत के कुल भू-भाग का करीब एक चौथाई हिस्सा है। 76 में से 21 सूखाग्रस्त जिलों और लेह जिले के 2 उप-बेसिन में 50 फीसदी से अधिक क्षेत्र में भू-क्षरण हो रहा है।
  • तुलनात्मक तौर पर, यूरोपीय संघ की तरफ से तैयार किए गए विश्व मरुस्थल मानचित्र के आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया भर में 1950 के दशक के बाद से शुष्क भूमि में लगभग 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 

 

Source – September Month Down to Earth

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