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तीस्ता नदी विवाद
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संदर्भ: तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन पर चर्चा करने के लिए भारत का एक तकनीकी दल जल्द ही बांग्लादेश का दौरा करेगा।
पृष्ठभूमि:
- भारत और बांग्लादेश 54 नदियों को साझा करते हैं, लेकिन केवल दो में ही जल-बंटवारे की संधियाँ हैं (गंगा और कुशियारा)।
- तीस्ता, दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण नदी, विवाद का एक प्रमुख बिंदु बनी हुई है।
तीस्ता मुद्दा:
- भारत के लिए महत्व: उत्तरी बंगाल के कई जिलों के लिए जीवन रेखा।
- बांग्लादेश का दावा: 1996 की गंगा जल संधि के समान “न्यायसंगत” जल वितरण की मांग करता है।
- 2011 प्रस्तावित समझौता: बांग्लादेश को 37.5% पानी और भारत को 42.5% पानी आवंटित किया गया।
- गतिरोध: पश्चिम बंगाल सरकार ने इस प्रस्ताव का विरोध किया क्योंकि उसे अपने कृषि हितों को नुकसान पहुंचने का डर था।
जल बंटवारे की चुनौतियाँ:
- असमान प्रवाह: तीस्ता में गीले मौसम (जून-सितंबर) के दौरान उच्च प्रवाह होता है लेकिन शुष्क मौसम (अक्टूबर-मई) के दौरान पानी की कमी होती है।
- गजलडोबा बैराज विवाद: बांग्लादेश का दावा है कि पश्चिम बंगाल का बैराज अत्यधिक पानी को मोड़ देता है।
- प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता: बांग्लादेश प्रति व्यक्ति अधिक जल उपलब्धता होने के बावजूद हिस्सेदारी की मांग करता है।
तीस्ता नदी विवरण:
- ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी, सिक्किम में निकलती है, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से होकर बहती है।
- बांग्लादेश के लिए चौथी सबसे बड़ी सीमा पार नदी, इसकी आबादी और कृषि के लिए महत्वपूर्ण।
- तीस्ता का 83% जलग्रहण क्षेत्र भारत में स्थित है।
राजनीतिक विचार:
- बांग्लादेश की चिंताएँ: तीस्ता समझौते में देरी, सिक्किम में बांध, और तीस्ता बैराज परियोजना से जल प्रवाह प्रभावित होना।
- चीन का प्रस्ताव (2020): तीस्ता नदी पर बड़े पैमाने पर खुदाई कार्य, जलाशय और तटबंध (फिलहाल रुका हुआ है)।
पर्यावरणीय चिंताएं:
- सिक्किम में जलविद्युत परियोजनाओं, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन का तीस्ता के स्वास्थ्य पर प्रभाव।
- 2023 हिमनद झील फटने से बाढ़: तीस्ता बेसिन में तबाही और जानमाल का नुकसान हुआ।
कानूनी ढांचा:
- हेलसिंकी नियम (1966): अंतरराष्ट्रीय कानून सीमा पार नदियों से पानी बांटने का आदेश देता है।
- भारतीय संविधान (अनुच्छेद 253): सरकार को सीमा पार जल संधियों के गठन का अधिकार देता है।
आगे का रास्ता:
- आधुनिक जल उपयोग दक्षता तकनीकों का उपयोग करते हुए दोनों देशों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जल-बंटवारा समझौता।
- संधि के कारण सिंचाई क्षमता के संभावित नुकसान के बारे में पश्चिम बंगाल की चिंताओं का समाधान।