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भारत का सीमा प्रबंधन 

GS-3: मुख्य परीक्षा- आंतरिक सुरक्षा

प्रश्न: भारत को अपनी व्यापक भूमि और तटीय सीमाओं के प्रबंधन में जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उन पर चर्चा करें। ये चुनौतियाँ राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक स्थिरता को कैसे प्रभावित करती हैं?

Question : Discuss the challenges faced by India in managing its extensive land and coastal borders. How do these challenges impact national security and socio-economic stability?

भारत की व्यापक सीमाएँ:

  • भूमि सीमा: 15,200 किमी (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश के साथ)
  • तटरेखा: 7,516.6 किमी (अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप सहित)

चुनौतियाँ:

  • विविध भौगोलिक परिस्थिति: मैदानी इलाके, पहाड़ियाँ, पर्वत, रेगिस्तान, नदियाँ और दलदल।
  • अस्पष्ट सीमांकन: भूमि सीमाओं का पूर्ण रूप से सीमांकन न होना, जिससे विवाद उत्पन्न होते हैं।
  • संसाधन की कमी: सीमा रक्षक बल कम संसाधनों से युक्त और अपेक्षाकृत कम सुसज्जित हो सकते हैं।
  • समन्वय के मुद्दे: एजेंसियों के बीच गुप्त सूचना एकत्र करने और साझा करने के लिए कमजोर तंत्र।
  • क्षेत्रीय अस्थिरता: पड़ोसी देशों में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता।
  • सीमा पार के मुद्दे:
    • घुसपैठ: अनिश्चित सीमाएँ अवैध प्रवेश की सुविधा प्रदान करती हैं।
    • अवैध प्रवासन: बिना अनुमति के लोगों का सीमा पार आवागमन।
    • तस्करी और अपराध: वस्तुओं, हथियारों और ड्रग्स की तस्करी।
    • मानव तस्करी: महिलाओं और बच्चों को जबरन श्रम, यौन हिंसा और विवाह में फँसाना।
  • पूर्वोत्तर में खतरे: ड्रग्स, हथियार और प्रतिबंधित वस्तुएं (मना किया हुआ माल) असुरक्षित सीमाओं से प्रवेश कर रहे हैं।
  • तटीय सुरक्षा चिंताएँ:
    • मुंबई हमलों ने मजबूत निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित किया।
    • समुद्री मार्गों का उपयोग लोगों, हथियारों, ड्रग्स और अन्य अवैध सामानों की तस्करी के लिए किया जाता है।

ध्यान रहे : मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली और हरियाणा को छोड़कर सभी राज्यों की अंतर्राष्ट्रीय सीमा या तटरेखा है।

सरकारी पहल (Government Initiatives)

  • आधारभूत संरचना विकास (Infrastructure Development):
    • विभिन्न सीमाओं (भारत-पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार) पर बाड़ लगाना, सड़कें बनाना, फ्लडलाइट लगाना, सीमा चौकियां (BOP) और कंपनी ऑपरेटिंग बेस (COB) स्थापित करना।
    • सीमा अवसंरचना और प्रबंधन (BIM) योजना: सीमा अवसंरचना विकास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना।
  • सीमा रक्षक बलों का उन्नयन (Upgradation of Border Guarding Forces):
    • BSF, ITBP, SSB, AR और कोस्ट गार्ड के लिए MHA के व्यावसायीकरण प्रयास।
    • बेहतर सीमा रक्षा और प्रबंधन के लिए उन्नत क्षमताएं।
  • तकनीकी समाधान (Technological Solutions):
    • भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर बेहतर स्थितिजन्य जागरूकता और तेज़ प्रतिक्रिया के लिए व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) (काम करने वाले व्यक्तियों का समूह, सेंसर, नेटवर्क, गुप्तचर और कमांड नियंत्रण का एकीकरण)।
  • भारत-म्यांमार सीमा (India-Myanmar Border): पूरे 1643 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने का निर्णय।

एक मजबूत प्रणाली के लिए सुझाव (Suggestions for a Robust System)

  • सुरक्षा और व्यापार में संतुलन (Balancing Security and Trade): एक ऐसी प्रणाली विकसित करना जो राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के साथ सीमा पार प्रवाह को संतुलित करे।
  • क्षेत्रीय एकीकरण (Regional Integration): सीमा प्रबंधन को दक्षिण एशिया को आर्थिक रूप से एकीकृत करने के भारत के दृष्टिकोण के साथ संरेखित करना (सार्क, बिम्स्टेक और बीबीआईएन पहलों के लिए संपर्क और आसान आवागमन की आवश्यकता है)।
  • जन-केंद्रित दृष्टिकोण (People-Centric Approach): सीमावर्ती समुदायों को राष्ट्रीय सुरक्षा में भागीदार बनाना।
  • पड़ोसियों के साथ सहयोग (Cooperation with Neighbors): पड़ोसी देशों के साथ अच्छा सहयोग बढ़ावा देना।
  • आधुनिकीकरण (Modernization): बेहतर सीमा प्रबंधन के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, आईटी और बुनियादी ढांचे के निर्माण में प्रगति का उपयोग करना।
  • तटीय सुरक्षा (Coastal Security): तटरक्षक पुलिस बलों को मजबूत करना और द्वीप क्षेत्रों की चुनौतियों का समाधान करना।
  • सीमा रक्षक बल (Border Guarding Forces): सीमा प्रबंधन के लिए पर्याप्त संसाधनों, प्रशिक्षण और योग्यता से बलों को लैस करना।
  • केंद्र-राज्य समन्वय (Central-State Coordination): केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच घनिष्ठ सहयोग सुनिश्चित करना।

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