04/09/2024 : Indian Express Editorial in Hindi || कृषि को पुनः प्राप्त करें: कैसे कृषि विकास का इंजन बन सकती है? || Indian Express Editorial Analysis in Hindi (Arora IAS ) (Day-107)
विषय-1 : कृषि को पुनः प्राप्त करें: कैसे कृषि विकास का इंजन बन सकती है?
GS-2 : मुख्य परीक्षा : IR
कृषि की स्थिति
विकास दर और जीडीपी योगदान: भारतीय कृषि की 5-वर्षीय औसत विकास दर 4% है, जो जीडीपी में 18% का योगदान देती है।
रोजगार: कृषि 46% सभी श्रमिकों और 60% ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार प्रदान करती है, लेकिन आय स्तर कम है।
युवाओं की रुचि की कमी: शिक्षित युवा खेती में रुचि नहीं दिखाते, क्योंकि लाभप्रदता कम है।
प्रौद्योगिकी का अभाव: कई देशों में कृषि अत्याधुनिक तकनीकों से हो रही है, और भारत भी कृषि में सुधार के साथ इस स्तर तक पहुंच सकता है।
क्या किया जाना चाहिए?
चुनौतियों का समाधान: पारिस्थितिकी, प्रौद्योगिकी और संस्थागत चुनौतियों का समाधान किया जाए।
सहायक क्षेत्रों से पुन: जुड़ाव: कृषि को पशुपालन, मत्स्य पालन, और डेयरी जैसे सहायक क्षेत्रों से जोड़ा जाए।
गैर-कृषि ग्रामीण क्षेत्र के साथ तालमेल: कृषि और गैर-कृषि ग्रामीण क्षेत्र के बीच संबंध विकसित कर आर्थिक विकास किया जा सकता है।
सिंचाई और जल उपयोग
सिंचाई का महत्व: उच्च उत्पादकता और सूखे के प्रतिरोध के लिए सिंचाई महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान में केवल 50% भारत का सकल कृषि क्षेत्र सिंचित है, जो मुख्यतः अत्यधिक निकाले गए भूजल पर निर्भर है।
भूजल का दोहन: मुफ्त बिजली के कारण भूजल का अत्यधिक दोहन हुआ है, जिससे जलस्तर गिर रहा है।
समाधान: भूजल विनियमन, वर्षा जल संचयन, और सूक्ष्म सिंचाई का संयोजन।
उदाहरण: गुजरात में 1999-2009 के बीच 9.6% वार्षिक कृषि वृद्धि हुई, मुख्यतः चेक डैम, बांध और तालाबों के माध्यम से वर्षा जल संचयन के कारण।
जल दक्षता: ड्रिप सिंचाई जैसी तकनीक अपनाएं और कम जल खपत करने वाली फसलें उगाएं।
मिट्टी का सुधार
मिट्टी का क्षरण: भारत के 37% भू-क्षेत्र में जलभराव, लवणता, रासायनिक प्रदूषण और पोषक तत्वों की कमी के कारण मिट्टी खराब हो चुकी है।
मिट्टी का सुधार: एग्रो-इकोलॉजिकल विधियों से मिट्टी का सुधार किया जाए।
फसल पैटर्न में बदलाव
मोनोकल्चर से विविधता की ओर: सिर्फ अनाज उगाने से हटकर विविध फसलों जैसे पशुपालन, फल, और सब्जियों की खेती की जाए।
लाभ: इससे मिट्टी में सुधार होगा, उपज बढ़ेगी, रोजगार के अवसर पैदा होंगे और मुनाफा बढ़ेगा।
बदलते आहार: विविध कृषि उत्पाद बदलते आहार पैटर्न को भी पूरा करेंगे।
कृषि में प्रौद्योगिकी
जलवायु-प्रतिरोधी फसलें: प्रौद्योगिकी का उपयोग करके गर्मी-सहनशील फसलें और नई कृषि तकनीकों का विस्तार करें।
मोबाइल फोन: कृषि जानकारी के लिए महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
ड्रोन: कीट नियंत्रण और फसल निगरानी के लिए उपयोगी हैं।
उत्पादन बाधाएँ
छोटे खेत: भारत में 86% किसान 2 हेक्टेयर से कम भूमि पर खेती करते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था के पैमाने का लाभ नहीं मिल पाता।
औपचारिक ऋण की कमी: 75-80% छोटे किसान अनौपचारिक ऋण का उपयोग करते हैं।
खेती से आय: आय कम और अस्थिर रहती है।
बाजार सुधार: छोटे किसानों को फसल की उच्च कीमतें और बाजार सुधार तभी फायदा देंगे जब पहले उनके उत्पादन की बाधाओं को दूर किया जाए।
संस्थागत नवाचार
समूह में खेती: छोटे किसानों को समूह बनाकर खेती करने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि खेत का आकार और उत्पादन क्षमता बढ़ सके।
स्वैच्छिक सहयोग: समूह में खेती स्वैच्छिक, छोटे और विश्वास पर आधारित होनी चाहिए, जिसमें लागत और लाभ की समान भागीदारी हो।
उदाहरण: कुडुंबश्री (केरल): समूह में खेती का सफल मॉडल, जो व्यक्तिगत खेती से अधिक उत्पादन करता है।
पशुपालन, मत्स्य पालन और वन: विकास और रोजगार की बड़ी संभावनाएँ रखते हैं।
मत्स्य पालन वृद्धि: 2022-23 में, मत्स्य पालन में 10% वृद्धि हुई, जिससे 28 मिलियन नौकरियां सृजित हुईं (44% महिलाएं)।
गैर-कृषि क्षेत्र के साथ तालमेल
ग्रामीण आय: ग्रामीण क्षेत्रों में 61% आय गैर-कृषि क्षेत्र से आती है।
एग्रो-प्रोसेसिंग और इको-टूरिज्म: एग्रो-प्रोसेसिंग, इको-टूरिज्म, और मशीन टूल्स जैसे क्षेत्रों में तालमेल से ग्रामीण आय और रोजगार बढ़ाया जा सकता है।
निष्कर्ष
विकास का अवसर: भारतीय कृषि को तकनीकी रूप से उन्नत, पर्यावरणीय रूप से स्थायी और संस्थागत रूप से नवाचारी बनाया जा सकता है, यदि पुरानी आर्थिक नीतियों को बदला जाए और कृषि को आधुनिक तरीकों से किया जाए।