04/11/2019 करेंट अफेयर्स (Prelims Sure Shot) हिंदी में
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बनाने के बाद भारत का नया मानचित्र जारी किया गया
- केंद्र सरकार ने नये केंद्रशासित प्रदेश – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बनाने के बाद भारत का नया राजनीतिक मानचित्र 3 नवम्बर को जारी किया. भारत के इस मानचित्र में इन दोनों केंद्रशासित प्रदेशों को भी दिखाया गया है. जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद नए मानचित्र में 28 राज्य और 9 केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं.
- नए मानचित्र में केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में करगिल और लेह जिले शामिल हैं और पहले के जम्मू-कश्मीर राज्य के शेष जिले नवगठित केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बने रहेंगे. इस मानचित्र में पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (POK) केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है, जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान लद्दाख क्षेत्र में है.
- नए मानचित्र में POK के मुजफ्फराबाद और मीरपुर को भी जम्मू-कश्मीर का हिस्सा दिखाया गया है. भारत हमेशा से इन दोनों जिलों को अपना हिस्सा बताता रहा है.
- लद्दाख का लेह जिला क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा जिला होगा. इसके अलावा कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बारामूला, पूंछ, बडगाम, शोपियां, कुलगाम, किश्तवाड़, उधमपुर, डोडा, सांबा, जम्मू, कठुआ, रामबन, राजौरी, अनंतनाग, पुलवामा, श्रीनगर, रियासी और गांदरबल जिले जम्मू-कश्मीर का हिस्सा होंगे.
जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल की भारत यात्रा: दोनों देशों के बीच 17 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए
- जर्मन चांसलर सुश्री एंगेला मर्केल ने 1 से 3 नवम्बर तक भारत की यात्रा की. सुश्री मर्केल के साथ संघीय सरकार के कई मंत्री और सचिव तथा एक उच्चस्तरीय व्यापार शिष्टमंडल भी थे.
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल ने 1 नवम्बर को नई दिल्ली में 5वीं द्विवार्षिक अंतर सरकारी परामर्श बैठक की संयुक्त रूप से अध्यक्षता किये. इस बैठक में दोनों देशों के बीच नई प्रौद्योगिकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कृषि, तटीय प्रबंधन और शिक्षा के क्षेत्रों में 17 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए.
- दोनों नेताओं द्विपक्षीय बैठक में आर्थिक भागीदारी, व्यापार, निवेश और कृषि सहित कई द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की. इस दौरान विज्ञान, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, दोनों देशों के लोगों में आपसी संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान सहित द्विपक्षीय मुद्दों के सभी पहलुओं पर बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए द्विपक्षीय रक्षा सहयोग प्रगाढ़ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया.
- द्विपक्षीय बैठक के बाद संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों पक्ष, रक्षा उद्योग के प्रमाणन में सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रक्षा उत्पाद के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर में अवसरों का लाभ उठाने के लिय जर्मनी को आमंत्रित किया.
मुख्य बिंदु
- इस फोरम में कोयले से चलने वाले पॉवर प्लांट्स तथा उर्जा दक्षता पर चर्चा की गयी।
- 2015 में स्थापित इंडो-जर्मन सोलर पार्टनरशिप को इस फोरम में मान्यता प्रदान की गयी। फोरम में सौर उर्जा मार्केट्स के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये।
- फोरम में क्रेडिट लाइन्स के लिए भी समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये।
इंडो-जर्मन एनर्जी फोरम
- इस फोरम की स्थापना वर्ष 2006 में की गयी थी। इसका उद्देश्य वर्तमान समय में दोनों देशों में उर्जा परिवर्तन के दौर में सामरिक राजनीतिक वार्ता को मजबूती प्रदान करना है।
- इस फोरम की उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता दोनों देशों के पर्यावरण तथा नवीकरणीय उर्जा मंत्रियों द्वारा की जायेगी।
- इस फोरम में दोनों देशों की सरकारें मौजूदा वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श करती हैं।
मेड्रिड में किया जायेगा COP 25 का आयोजन
- स्पेन की राजधानी मेड्रिड में विश्व के वार्षिक जलवायु सम्मेलन ‘COP-25’ (कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज) का आयोजन किया जायेगा।
- इस सम्मेलन का आयोजन 2 से 13 दिसम्बर, 2019 के दौरान किया जायेगा।
- चिली देश ने जारी विरोध प्रदर्शन के चलते COP-25 की मेजबानी से अलग हुआ है।
कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज क्या है?
- कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) की सर्वोच्च निर्णय निर्माता संस्था है।
- यदि कोई देश सत्र की मेजबानी की पेशकश नहीं करता है तो सत्र की मेजबानी बोन (UNFCCC के सचिवालय) में की जाती है।
- पहली COP बैठक का आयोजन मार्च 1995 में जर्मनी के बर्लिन में किया गया था।
- इस सम्मेलन में कन्वेंशन के क्रियान्वयन की समीक्षा की जाती है।
- COP की अध्यक्षता बारी-बारी से पांच मान्यता प्राप्त क्षेत्रों (एशियाई, मध्य व पूर्वी यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरिबियन तथा पश्चिमी यूरोप इत्यादि) के द्वारा की जाती है।
भारत 2020 में करेगा SCO की CHG में बैठक का आयोजन
- राजनाथ सिंह ने हाल ही में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की कौंसिल ऑफ़ हेड्स ऑफ़ गवर्नमेंट को संबोधित किया।
- उन्होंने सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के विशेष दूत के रूप में प्रतिनिधित्व किया।
- इस बैठक के दौरान यह तय किया गया कि कौंसिल ऑफ़ हेड्स ऑफ़ गवर्नमेंट की अगली बैठक का आयोजन 2020 में भारत में किया जायेगा।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)
- यह एक राजनीतिक और सुरक्षा समूह है जिसका मुख्यालय बीजिंग में है। रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने वर्ष 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में एससीओ की स्थापना की थी।
- यह 40% से अधिक मानवता एवं वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20% हिस्से का प्रतिनिधित्व करता हैं।
- अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया वर्तमान में इसके पर्यवेक्षक है।
- वर्ष 2005 में भारत और पाकिस्तान को इस समूह के पर्यवेक्षकों के तौर पर शामिल किया गया था. दोनों देशों को वर्ष 2017 में पूर्ण सदस्य बनाया गया।
केंद्र सरकार निर्भया फण्ड के साथ सभी जिलों में करेगी मानव तस्करी रोधी इकाइयों की स्थापना
- केन्द्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय देश के सभी जिलों में निर्भया फण्ड की सहायता से मानव तस्करी रोधी इकाइयों की स्थापना करेगा।
- इस सम्बन्ध में हाल ही में केन्द्रीय महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी द्वारा घोषणा की गयी।
मुख्य बिंदु
- इन मानव तस्करी रोधी इकाइयों के साथ सभी पुलिस स्टेशनों में महिला सहायता डेस्क की स्थापना की जायेगी।
- मानव तस्करी रोधी इकाई तथा महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की अनुशंसा निर्भया फ्रेमवर्क के तहत सशक्त समिति द्वारा की गयी थी।
- इस पहल से महिला सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
- मानव तस्करी रोधी इकाई तथा महिला हेल्प डेस्क की स्थापना 100 करोड़ की लागत से की जायेगी, इसके लिए पूरी फंडिंग केंद्र सरकार द्वारा की जायेगी।
निर्भया फण्ड
- इस फण्ड की स्थापना वित्त मंत्रालय ने 2013 में 1000 करोड़ रुपये के कार्पस से की थी।
- यह फण्ड देश में महिलाओं की सुरक्षा के उपाय में वृद्धि करने के लिए स्थापित किया गया था।
- इस फण्ड की मॉनिटरिंग महिला व बाल कल्याण मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में निर्भय फण्ड की सशक्त समिति द्वारा की जाती है।
- विभिन्न मंत्रालयों द्वारा निर्भया फण्ड के उपयोग के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाते हैं।
साहित्य के लिए JCB पुरस्कार 2019
- 27 वर्षीय माधुरी विजय ने साहित्य के लिए JCB पुरस्कार 2019 जीता है, उन्हें यह पुरस्कार उनके पहले उपन्यास ‘द फार फील्ड’ के लिए प्रदान किया गया है। इससे पहले वे हेन्फील्ड प्राइज तथा पुशकार्ट प्राइज भी प्रदान किया जा चुका है।
JCB पुरस्कार
- यह एक वार्षिक भारतीय साहित्यिक पुरस्कार है, इसकी स्थापना 2018 में हुई थी। यह पुरस्कार किसी भारतीय लेखक को उत्कृष्ट काल्पनिक रचना के लिए प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के विजेता को 25 लाख रुपये इनामस्वरूप प्रदान किये जाते हैं, इसके लिए JCB ग्रुप द्वारा फंडिंग प्रदान की जाती है।
- पिछले वर्ष मलयालम लेखक बेन्यामिन ने साहित्य में प्रथम JCB पुरस्कार जीता था, उन्हें यह पुरस्कार उनकी पुस्तक “जैस्मिन डेज” के लिए दिया गया था। इस पुस्तक में मध्य पूर्व के देशों में दक्षिण एशिया के लोगों के जीवन का वर्णन किया गया है।
भारत और उज्बेकिस्तान के बीच सैन्य, चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में 3 समझौते
- भारत और उज्बेकिस्तान ने 3 नवम्बर को सैन्य, चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में ताशकंद में 3 समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. ये समझौते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उज्बेकिस्तान की यात्रा के दौरान किये गये.
शंघाई सहयोग संगठन की बैठक
- रक्षा मंत्री शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए उज्बेकिस्तान गये थे. उन्होंने ताशकंद में SCO के शासनाध्यक्षों की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया और उज्बेकिस्तान सरकार के साथ द्विपक्षीय कार्यक्रमों में भाग लिया.
चीन सागर आचार संहिता
- चीन के प्रधानमंत्री ली खेछियांग ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर में लम्बी अवधि तक शांति और स्थिरता के लिए चीन दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ काम करने को तैयार है.
- उन्होंने कहा कि उनका देश तीन वर्ष के लिए निर्धारित समय-सारणी के अनुसार दक्षिण चीन सागर आचार संहिता को लेकर आसियान के साथ मिलकर काम करने को तैयार है.
एशियाई देशों को जलवायु परिवर्तन से बाढ़ का खतरा
- संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुतेरेस ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एशिया को कोयला प्रयोग करने की आदत छोड़नी पड़ेगी.
- उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के देशों को ग्लोबल वॉर्मिंग से सबसे ज्यादा खतरा है और इस समस्या से निपटने के लिए उन्हें अग्रिम मोर्चे पर होना चाहिए.
- श्री गुंतेरस ने एक नये अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि एशियाई देशों को विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन से बाढ़ का खतरा है.