द हिन्दू संपादकीय
GS-1 MAINS
TOPIC- धर्म और स्वतंत्रता: भारत और सांप्रदायिक हिंसा पर-
प्रसंग:
- धार्मिक स्वतंत्रता का सर्वाधिक महत्व है, इसलिए नहीं कि यह धर्म के बारे में है, बल्कि इसलिए कि यह स्वतंत्रता के बारे में है।
- भारत की अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर यूएससी आयोग द्वारा विशेषता (USCIRF) एक विशेष चिंता का देश के रूप में, अपनी वार्षिक रिपोर्ट में,पूरी तरह से आश्चर्य की बात नहीं है,
- पिछले वर्ष के दौरान सांप्रदायिक हिंसा और उग्र (बदतर) सरकारी उपायों के बारे में इसके मंद (अस्पष्ट) और ज्ञात विचारों पर विचार करना।
अस्वीकरण:
- भारत सरकार ने न केवल प्रतिवेदन को अस्वीकार कर दिया (रिपोर्ट को स्वीकार करने से इंकार कर दिया) बल्कि USCIRF की भी (उपहास की भाषा) उपहास किया। स्वायत्त, द्विदलीय (दो राजनीतिक दलों के समझौते या सहयोग को शामिल करता है जो आमतौर पर एक दूसरे की नीतियों का विरोध करते हैं) किसी भी अमेरिकी कार्यकारी कार्रवाई पर आयोग का प्रभाव सीमित और कभी-कभी होता है, लेकिन वैश्विक प्राधिकरण का इसका अनुमान व्यापक विस्तार (व्यापक) प्रतीत होता है।
- भारतीय सरकार एजेंसियों और अधिकारियों पर लक्षित प्रतिबंध (कानून या नियम की अवज्ञा के लिए धमकी भरा जुर्माना) लगाने की अपनी सिफारिश पर अमेरिकी सरकार कार्य करती है या नहीं, यह अमेरिकी रणनीतिक हितों पर निर्भर करता है।
- अमेरिका ने स्वतंत्रता, लोकतंत्र, सहिष्णुता, और पारदर्शिता के तर्कों का उपयोग अपने रणनीतिक लक्ष्यों (ट्रैकिंग) में उपकरणों के रूप में किया है, लेकिन ऐसे नैतिक गुणों के प्रवर्तन के किसी भी समान या अनुमानित पैटर्न का कोई प्रमाण नहीं है (जैसा कि कुछ कारण है)।
निर्माण और मरम्मत:
स्पॉटलाइटिंग देशों में प्रक्रिया चयनात्मक और अक्सर मनमाना (अस्पष्ट) हो सकती है।
इस पद्धति को प्रतिबिंबित करते हुए, भारत अपने आप में वैश्विक विचारों को अपने आप में सम्मिलित करता है, लोगों की प्रशंसा और प्रशंसा करना और असुविधाओं को नकारना।
विश्व बैंक द्वारा अपनी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग को बढ़ाने के लिए किए जा रहे उन्मत्त और अपेक्षाकृत सफल, एक मामला है।
इनमें से कई रिपोर्टों में एक सर्कुलर लाइफ है – USCIRF की रिपोर्ट में U.N. विशेष रैपरोर्ट्स टू बट्रेस (फोकस) को असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स के भेदभावपूर्ण परिणाम पर अपनी बात कही गई है।
कुल मिलाकर, ऐसी रिपोर्टें किसी देश की छवि के निर्माण में योगदान करती हैं, और भारत सरकार इस पैटर्न के प्रति जागरूक (जागरूक) है।
मार्च में, भारत सरकार ने नीती आयोग को 32 वैश्विक सूचकांकों को ट्रैक करने और सुधार करने और विकास को आगे बढ़ाने के लिए निकायों के साथ संलग्न करने के लिए कहा।
बहु धार्मिक लोकतंत्र:
भारत खुद को बहु-धार्मिक लोकतंत्र के रूप में और कानून के शासन के वैश्विक मानदंडों के अनुयायी (अनुयायी) के रूप में विज्ञापित करता है।
यह वैश्विक नियम बनाने की मेज पर होने की भी इच्छा रखता है।
ऐसी बताई गई महत्वाकांक्षाओं वाले देश के लिए, पिछले एक वर्ष की घटनाओं के माध्यम से परिलक्षित धार्मिक स्वतंत्रता पर इसका रिकॉर्ड गहरा असंतोषजनक (असंतोषजनक) है।
देश के कई हिस्सों में कानून के शासन की धार्मिक हिंसा, भड़काने (भड़काने) और उखाड़ने (नष्ट करने) की सूची (पूरी सूची) एक अनसुलझा तथ्य बनी हुई है।
सत्तारूढ़ औषधालय (पार्टी) की पक्षपातपूर्ण (पूर्वाग्रह) प्रकृति को दूर करना भी मुश्किल है।
निष्कर्ष:
किसी देश के आर्थिक विकास और वैश्विक स्थिति के लिए प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण है, लेकिन उस सहायक दृष्टिकोण से परे, किसी भी कार्यशील लोकतंत्र के लिए कानून का शासन और सांप्रदायिक सद्भाव आवश्यक है। भारत को अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए, और धार्मिक हिंसा पर भारी पड़ना चाहिए।
GS-3 MAINS
TOPIC- प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी क्या है?
प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में प्लास्माफेरेसिस (plasmapheresis) नाम से जाना जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं (blood cells) से अलग किया जाता है।
इसके बाद यदि किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अनहेल्थी टिशू मिलते हैं, तो उसका इलाज समय रहते शुरू किया जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी को क्यों किया जाता है?
हालांकि, प्लास्माफेरेसिस आधुनिक मेडिकल साइंस की देन है, जिसने काफी सारे लोगों की ज़िदगी को बदल दिया है।
इसके बावजूद, राहत की बात है कि इसे सामान्य स्थितियों में नहीं बल्कि इसे कुछ विशेष उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
अत: प्लाज्मा थेरेपी को मुख्य रूप से इन 5 उद्देश्य के लिए किया जाता है-
- संक्रमण का पता लगाना–प्लाज्मा थेरेपी को मुख्य रूप से संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है।
चूंकि, काफी सारी बीमारियाँ संक्रमण के द्वारा होती है, इसलिए ऐसी बीमारियों का इलाज करने में प्लाज्मा थेरेपी काफी कारगर उपाय साबित होती है। - डोनर पार्ट का सही तरीके से काम न करना–वर्तमान समय में काफी सारे ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, मगर कई बार ये असफल साबित हो जाते हैं।जब ट्रांसप्लांट कराने वाले लोगों के लिए डोनर पार्ट सही तरीके से काम नहीं करता है, तब उन्हें प्लाज्मा थेरेपी सहायता करती है।
- खेल में चोट (Sport Injury) लगना–कई बार, खेल में चोट का इलाज करने के लिए फ्लास्माफेरेसिस का सहारा लिया जाता है।
इस प्रकार, इस थेरेपी को स्पोर्ट्स इंजरी को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। - मायस्थीनिया ग्रेविस का इलाज करना–जब कोई व्यक्ति मायस्थीनिया ग्रोविस (Myasthenia gravis) से पीड़ित होता है, तो उसका इलाज करने के लिए डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी की सहायता करते हैं।
मायस्थीनिया ग्रोविस से तात्पर्य ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें लोगों की मांसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं। - गुलियन बेरी सिंड्रोम का इलाज करना–अक्सर,प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल गुलियन बेरी सिंड्रोम (Gullian Berry Syndrome) का इलाज करने के लिए भी किया जाता है।
गुलियन बेरी सिंड्रोम रोग-प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने की बीमारी है, जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ता है और उनके बीमार होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।
प्लाज्मा थेरेपी को कैसे किया जाता है?
प्लाज्मा थेरेपी एक दिन की प्रक्रिया है, जिसमें 1-3 घंटे का समय लगता है। इसे काफी सावधानी से किया जाता है, ताकि इसे कराने वाले लोगों को किसी तरह के दर्द या तकलीफ़ महसूस न हो।
इसमें कुछ महत्वपूर्ण स्टेप्स शामिल हैं, जो इस प्रकार हैं-
- स्टेप 1:सुई को लगाना–प्लाज्मा थेरेपी की शुरूआत सुई लगाकर होती है, जिसमें लोगों की बाँह में लगाया जाता है।
- स्टेप 2: खून को निकालना–सुई लगाने के बाद खून निकाला जाता है, जिसके लिए अपकेंद्रित मशीन (centrifuge machine) का इस्तेमाल किया जाता है।
- स्टेप 3:प्लाज्मा का निर्माण या तैयार करना–प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले व्यक्ति के शरीर से खून निकालने के बाद डॉक्टर प्लाज्मा का निर्माण या तैयार किया जाता है।
- स्टेप 4: इंजेक्शन लगाना–जैसे ही प्लाज्मा का निर्माण किया जाता है, तब उसके इंजेक्शन को लोगों के शरीर में डाला जाता है।
- स्टेप 5: इंजेक्शन वाली जगह को साफ करना–लोगों के शरीर में प्लाज्मा के इंजेक्शन डालने के बाद ही यह प्रक्रिया समाप्त हो जाती है।
इसके बाद,इंजेक्शन वाली जगह को साफ करने के बाद बैंडेज की जाती है।
प्लाज्मा थेरेपी के लाभ क्या है?
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल काफी सालों से किया जा रहा है, जिसका लाभ काफी सारे लोगों को मिला है।
इसके अलावा, डॉक्टर भी प्लाज्मा थेरेपी कराने इसलिए देते हैं, क्योंकि इसके काफी सारे लाभ होते हैं, जिनमें से मुख्य 5 इस प्रकार हैं-
- रोग–प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना–प्लाज्मा थेरेपी कराने का सबसे बड़ा लाभ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। जिस लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहतर या मजबूत होती है, उनके बीमार होने की संभावना काफी कम रहती है।
- अन्य बीमारियों का इलाज करना–यह थेरेपी चेहरे,बाल,चेहरे इत्यादि से जुड़ी समस्याओं का भी समाधान करने में भी कारगर साबित होती है।इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी से इन समस्याओं को भी ठीक किया जा सकता है।
- समय की बचत होना–जहां एक ओर, कुछ सर्जरी में काफी समय लगता है, वहीं दूसरी प्लाज्मा थेरेपी में काफी कम (3-5 घंटे) समय लगता है। इसकी वजह से, लोगों को इस थेरेपी को कराने पर समय की बर्बादी नहीं होती है।
- दर्द महसूस न होना–प्लाज्मा थेरेपी का अन्य लाभ दर्द महसूस न होना भी है। जब इस थेरेपी को किया जाता है, तो इसे कराने वाले लोगों को किसी तरह का दर्द महसूस नहीं होता है।
- जल्दी रिजल्ट आना या दिखना–इस थेरेपी के काफी सारे ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें इसे कराने वाले लोगों को आराम मिलता है। इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी का अन्य लाभ जल्दी रिजल्ट आना या दिखना है।
प्लाज्मा थेरेपी के संभावित खतरे क्या हो सकते हैं?
- हालांकि, प्लाज्मा या प्लास्माफेरेसिस थेरेपी को काफी कारगर तरीका माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद किसी भी अन्य मेडिकल प्रक्रिया की तरह प्लाज्मा थेरेपी के भी कुछ संभावित खतरे होते हैं, जिनकी जानकारी सभी लोगों को होनी चाहिए।
इस प्रकार, यदि कोई इस थेरेपी को कराता है, तो उसे निम्नलिखित खतरों का सामना करना पड़ सकता है- - संक्रमण होना–हालांकि, प्लाज्मा थेरेपी को संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद यह समस्या इसके बाद भी रह सकती है। अत: इस थेरेपी का प्रमुख खतरा संक्रमण होना है।
- नस का खराब होना–कई बार,प्लाज्मा थेरेपी का असर नस पर भी पड़ सकता है, जिसकी वजह से नस खराब हो सकती है।
- बेहोशी होना–अक्सर, इस थेरेपी को कराने वाले कुछ लोग बेहोशी या कमज़ोरी रहने की शिकायत करते हैं। इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी से लोगों को कमज़ोरी महसूस हो सकती है।
- ब्लड क्लोट्स होना–प्लाज्मा थेरेपी की वजह से ब्लड क्लोट्स की संभावना भी बढ़ सकती है। हालांकि, ब्लड क्लोट्स का इलाज संभव है, लेकिन इसके बावजूद इसके लाइलाज रहने पर यह गंभीर समस्या बन सकती है।
- धुँधला दिखाई देना–इस थेरेपी का असर मानव-शरीर के अन्य अंगों जैसे आंखों पर भी पड़ सकता है। इस कारण, प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले लोगों को धुँधला दिखाई देने (blurred vision) की समस्या हो सकती है।
प्लाज्मा थेरेपी के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
ऐसा माना जाता है कि किसी भी सर्जरी या ऑपरेशन के बाद का समय काफी संवेदनशील होता है, जिसमें पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।
यह बात प्लाज्मा थेरेपी पर भी लागू होती है क्योंकि इसके बाद लोगों में खतरे होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है। इस प्रकार, यदि किसी व्यक्ति ने हाल ही में इस थेरेपी को कराया है तो उसे इन 5 बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए ताकि वह जल्दी से ठीक हो सके-
- अधिक मात्रा में पानी पीना–प्लाज्मा थेरेपी के बाद लोगों के शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसके लिए इस थेरेपी को कराने वाले लोगों को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि उन्हें यह समस्या न हो।
- थेरेपी वाली जगह पर बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल न करना–चूंकि, थेरेपी वाली जगह पर दर्द महसूस हो सकती है। इस कारण इस थेरेपी को कराने वाले लोगों को थेरेपी वाली जगह पर बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ताकि यह दर्द न बढ़े।
- नशीले पदार्थों का सेवन न करना–प्लाज्मा थेरेपी के बाद लोगों को अपने खान-पान और सेहत पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। अत: उन्हें नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये उनकी सेहत को खराब कर सकते हैं।
- दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करना–किसी भी अन्य मेडिकल प्रोसिस की तरह प्लाज्मा थेरेपी के बाद भी लोगों को दर्द हो सकता है। इस प्रकार, इसे कराने वाले लोगों को दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करना चाहिए ताकि यह दर्द कम हो सके।
- डॉक्टर के संपर्क में रहना–प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले लोगों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे डॉक्टर के संपर्क में रहें। उन्हें समय-समय पर डॉक्टर से मिलना चाहिए ताकि उनकी सेहत का पता चल सके।