विकास को आउटसोर्स न करें: अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (आईएनजीओ) के हस्तक्षेप के खतरे
अजेंडा–चालित आईएनजीओ:
- आईएनजीओ ने दाता-चालित एजेंडा को बढ़ावा दिया जिसने स्थानीय समुदायों को नुकसान पहुंचाया।
- उदाहरण: तंजानिया, केन्या, बोलीविया, भारत।
- भारत में आईएनजीओ ने स्थानीय वास्तविकताओं की अनदेखी करने वाली परियोजनाओं को बढ़ावा दिया।
आईएनजीओ और महिला भ्रूणहत्या:
- आईएनजीओ के हस्तक्षेप से भारत में महिला भ्रूणहत्या बढ़ गई।
- पश्चिमी कथा ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों और पश्चिमी एनजीओ की ऐतिहासिक भूमिका की अनदेखी करती है।
- ब्रिटिश भूमि सुधारों और कथाओं ने लैंगिक असंतुलन को बनाए रखा।
- आईएनजीओ ने लिंग निर्धारण प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए आईएनजीओ का धक्का:
- भारत की जनसंख्या को वैश्विक चिंता के रूप में देखा गया था।
- आईएनजीओ ने भारत की परिवार नियोजन नीतियों को प्रभावित किया।
- आर्थिक प्रभाव ने आईएनजीओ के नियंत्रण को मजबूत किया।
बौद्धिक स्थान पर आईएनजीओ का आक्रमण:
- आईएनजीओ ने प्रतिष्ठित संस्थानों में गढ़ स्थापित किया।
- एम्स पर जनसंख्या परिषद और रॉकफेलर फाउंडेशन का प्रभाव।
- आईएनजीओ ने लिंग निर्धारण प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया।
बाल लिंग अनुपात में गिरावट:
- लिंग निर्धारण प्रौद्योगिकियों के शुरू होने के बाद बाल लिंग अनुपात में उल्लेखनीय गिरावट आई।
- परीक्षणों तक आसान पहुंच वाले राज्यों ने महिला-पुरुष अनुपात में तेज गिरावट देखी।
निष्कर्ष:
- भारत में लैंगिक असंतुलन बाहरी एजेंसियों द्वारा किए गए नुकसान का एक उदाहरण है।
- स्थानीय नीति निर्माताओं को आईएनजीओ और परामर्शदाताओं की सलाह पर विचार करते समय सावधानी और संशय का प्रयोग करना चाहिए।
एक बदलाव में रुख: आरबीआई ने दर में कटौती का संकेत दिया
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का निर्णय:
- एमपीसी ने अपनी पहली बैठक में ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखी।
- निर्णय पिछली समिति बैठक के अनुरूप है।
- रुख को समायोजन की वापसी से तटस्थ में बदल दिया गया।
- बाद की बैठकों में नीति दरों में कमी के लिए जगह खुल गई।
रुख में बदलाव क्यों?
- डिस्फ्लेशन को नेविगेट करने में अधिक विश्वास।
- अच्छे मानसून और कृषि उत्पादन के कारण खाद्य कीमतों में कमी की उम्मीद।
- खाद्यान्न का बड़ा बफर स्टॉक।
- मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 4.5% पर बनाए रखा गया, अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4.3% तक कम होने का अनुमान है।
विकास का दृष्टिकोण:
- आरबीआई ने इस वर्ष अर्थव्यवस्था को 7.2% की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है।
- विकास, खपत और निवेश के चालक गति पकड़ रहे हैं।
- ग्रामीण मांग ऊपर की ओर बढ़ रही है, शहरी मांग स्थिर हो रही है।
- सरकारी पूंजीगत व्यय पलट रहा है, निजी निवेश गति प्राप्त कर रहा है।
निष्कर्ष:
- आरबीआई की नीति रुख में बदलाव दिसंबर में दर में कटौती का संकेत देता है।
- अप्रत्याशित मौसम की घटनाओं या भूराजनीतिक संघर्षों के बिगड़ने से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और नीति पर पुनर्विचार हो सकता है।