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भारत का कोयना, महाराष्ट्र में 6 किमी गहरा छेद करने का मिशन
GS-2 : मुख्य परीक्षा : भूगोल
लक्ष्य: भूकंप और पृथ्वी की पर्पटी का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक गहन ड्रिलिंग परियोजना।
स्थान: कोयना-Warna क्षेत्र, महाराष्ट्र (पश्चिमी घाट) – बार-बार आने वाले भूकंपों के लिए जाना जाता है, खासकर कोयना बांध (1962) के निर्माण के बाद से।
महत्व:
- बांधों के पीछे पानी के दबाव परिवर्तन के कारण जलाशय-प्रेरित भूकंपों को समझता है।
- बेहतर भविष्यवाणी मॉडल के लिए भूकंप तंत्र को समझने में सुधार करता है।
- पृथ्वी की संरचना, संसाधनों और भूवैज्ञानिक इतिहास में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
कार्यान्वयन एजेंसी: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत बोरहोल जियोफिजिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (बीजीआरएल)।
लक्ष्य गहराई: 6 किलोमीटर (3.7 मील)
ड्रिलिंग तकनीक:
- संयुक्त दृष्टिकोण का संयोजन:
- रोटरी मड ड्रिलिंग (मिट्टी का उपयोग ठंडा करने और मलबे को हटाने के लिए)
- पर्कशन ड्रिलिंग (एयर हैमरिंग) – रॉक प्रकार और कोर नमूनों की आवश्यकता के आधार पर चुनी गई तकनीक।
- भूकंप क्षेत्रों (3 किमी गहराई तक) का अध्ययन करने के लिए कोर नमूने महत्वपूर्ण हैं।
चुनौतियाँ:
- 3 किमी से अधिक गहराई:
- बढ़े वजन और गहराई के लिए रिग अपग्रेड की आवश्यकता है।
- खंडित चट्टानों में फंसने का अधिक जोखिम।
- उपकरणों के संचालन और कोर के नमूने लेने में कठिनाई।
- पानी के रिसाव और कुएं को छोड़ने की क्षमता।
- बोरहोल को नियंत्रित करना: पृथ्वी की पर्पटी के माध्यम से नेविगेट करने के लिए सटीक उपकरणों की आवश्यकता होती है।
गहन ड्रिलिंग के लाभ (भूकंप से परे):
- रॉक संरचनाओं और संसाधनों का विश्लेषण करें।
- जलवायु परिवर्तन पैटर्न को समझें।
- पृथ्वी पर जीवन के विकास का अन्वेषण करें।