बच्चों की सुरक्षा के लिए एक खाका

प्रसंग:
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने बाल पोर्नोग्राफी को सिर्फ़ एक वयस्क मनोरंजन के बजाय एक गंभीर अपराध के रूप में फिर से परिभाषित किया है।

 

बाल शोषण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

  • मद्रास उच्च न्यायालय का फैसला (जनवरी 2024): प्रारंभिक रूप से यह निर्णय दिया गया था कि सिर्फ़ बाल पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना अपराध नहीं है, जिससे बच्चों के शोषण को सामान्यीकृत करने का जोखिम पैदा हो गया।
  • सुप्रीम कोर्ट का फैसला (सितंबर 2024): इस फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री (CSEAM) को डाउनलोड करने और संग्रहीत करने को अपराध करार दिया। कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर भी सख़्त ज़िम्मेदारियाँ डालीं कि वे भारतीय कानूनों का पालन करें।
  • मुद्दे का पुन:निर्धारण: कोर्ट ने ‘चाइल्ड पोर्न’ शब्दावली को बदलकर ‘CSEAM’ कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि ऐसे कंटेंट को देखने वाले लोग बच्चों के शोषण और बलात्कार को बढ़ावा देते हैं।

 

बच्चों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम

  • व्यापक ढांचा: सरकार को एक समग्र ढांचे को लागू करना चाहिए, जो न केवल अपराधियों को सज़ा दे, बल्कि बच्चों को सहायता और पुनर्वास की सुविधाएँ भी प्रदान करे।
  • निवारक और सुरक्षात्मक उपाय: एक वैश्विक समन्वित प्रणाली की आवश्यकता है, जो बाल शोषण के बदलते स्वरूप, विशेषकर AI-जनित कंटेंट को भी ध्यान में रखे।

 

CSEAM से निपटने के उपाय

  1. साइबर क्राइम की परिभाषा: भारतीय कानूनों में CSEAM को साइबर अपराध और संगठित आर्थिक अपराध के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
  2. नए अपराधों पर ध्यान: ऑनलाइन प्रलोभन और डिजिटल मानव तस्करी जैसे उभरते अपराधों को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
  3. AI-जनित कंटेंट: AI द्वारा उत्पन्न बाल शोषण सामग्री को वास्तविक बाल शोषण के बराबर समझने के लिए कानूनी संशोधन की आवश्यकता है।
  4. सोशल मीडिया की जिम्मेदारी: सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को CSEAM सामग्री की वास्तविक समय में रिपोर्टिंग करनी चाहिए।
  5. फॉरेंसिक लैब: भारत को एक घरेलू फॉरेंसिक लैब स्थापित करनी चाहिए, ताकि CSEAM रिपोर्टों को तेज़ी से निपटाया जा सके।
  6. यौन अपराधी डेटाबेस: CSEAM में संलिप्त व्यक्तियों का नाम राष्ट्रीय यौन अपराधी डेटाबेस में दर्ज किया जाना चाहिए और उन्हें बच्चों से संबंधित क्षेत्रों में काम करने से रोका जाना चाहिए।

 

सीमा-रहित प्रतिक्रिया की आवश्यकता

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: CSEAM एक वैश्विक समस्या है, जिसके लिए एकजुट अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई और एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते की आवश्यकता है।
  • वैश्विक डेटाबेस: एक अंतर्राष्ट्रीय यौन अपराधी डेटाबेस से सीमा-पार अपराधियों पर नज़र रखने में मदद मिल सकती है।
  • वित्तीय संस्थानों की भूमिका: बैंकों और वित्तीय संस्थानों को उन धन प्रवाहों पर नज़र रखनी चाहिए, जो बाल शोषण नेटवर्क का समर्थन करते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय संधि: बाल शोषण के खिलाफ एक समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए एक वैश्विक, कानूनी बाध्यकारी समझौता महत्वपूर्ण है।

 

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय बच्चों को शोषण से बचाने का एक ऐतिहासिक मौका प्रदान करता है। इन उपायों को लागू करके भारत बाल शोषण के खिलाफ एक सशक्त वैश्विक उदाहरण पेश कर सकता है, जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।

 

 

 

 

 

गिग कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना

संदर्भ:
गिग कार्य में रोजगार संबंध को परिभाषित करना श्रम कानूनों के तहत सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

 

परिचय

  • नया कानून तैयार: श्रम और रोजगार मंत्रालय गिग कामगारों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में शामिल करने के लिए एक कानून का मसौदा तैयार कर रहा है।
  • एग्रीगेटर योगदान: एग्रीगेटर्स को सामाजिक सुरक्षा कोष के लिए अपने राजस्व का 1%-2% योगदान देने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे स्वास्थ्य बीमा और पेंशन जैसी सुविधाएं मिल सकें।
  • समावेशी परिभाषाएं: सरकार गिग और प्रवासी कामगारों की परिभाषाओं को अद्यतन कर रही है ताकि उन्हें बेहतर तरीके से शामिल किया जा सके।

 

प्रस्तावित कानून का अवलोकन

  • पंजीकरण: सभी गिग कामगारों को पंजीकरण कराना अनिवार्य है, और एग्रीगेटर्स को कामगारों को निकालने से पहले उचित कारण देना होगा।
  • विवाद निपटान: गिग कामगारों के अधिकारों की रक्षा के लिए विवाद निपटान प्रणाली लाई जाएगी।
  • एग्रीगेटर की भूमिका: एग्रीगेटर कंपनियों को श्रम मंत्रालय के ई-श्रम पोर्टल पर अपने कामगारों को पंजीकृत करने में आगे रहना होगा।
  • ई-श्रम के लाभ: पंजीकृत कामगारों को जीवन और आकस्मिक बीमा जैसी सुविधाएं मिलेंगी।

 

श्रम संहिता और गिग कामगार

  • नए श्रम संहिता (2019-2020): चार संहिताएं बनाई गईं — वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध, और व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य।
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 में शामिल: गिग कामगारों को अनौपचारिक कामगारों के हिस्से के रूप में वर्गीकृत किया गया।
  • ई-श्रम पर पंजीकरण: अनौपचारिक कामगारों की तरह, गिग कामगारों को भी स्व-घोषणा के माध्यम से पंजीकरण करना आवश्यक है।

 

गिग कामगारों की परिभाषा और रोजगार संबंध

  • परिभाषा में समस्या: सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 में गिग कामगारों को पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से बाहर रखा गया है।
  • एग्रीगेटर रणनीति: एग्रीगेटर्स अक्सर औपचारिक रोजगार संबंध से बचते हैं और कामगारों को स्वतंत्र ठेकेदार के रूप में वर्गीकृत करते हैं।
  • गलतफहमी: इससे गिग कामगारों की स्थिति को लेकर भ्रम पैदा होता है, जिससे उनके अधिकार और लाभ प्रभावित होते हैं।

 

सामाजिक सुरक्षा कवरेज में अंतर

  • अधिकारों में अंतर: औपचारिक कामगारों को 26 सप्ताह की मातृत्व अवकाश के साथ नौकरी की सुरक्षा मिलती है, जबकि गिग कामगारों को मामूली नकद लाभ मिलता है।
  • संस्थागत सुरक्षा की कमी: गिग कामगारों को न्यूनतम वेतन सुरक्षा, सुरक्षा मानकों, या विवाद निपटान तंत्र का लाभ नहीं मिलता।

 

सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 की सीमाएं

  • सीमित सामाजिक सुरक्षा: गिग कामगारों को केवल कुछ सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिलता है, पूर्ण संस्थागत सुरक्षा नहीं।
  • सुरक्षा मानकों की कमी: गिग कामगारों के लिए व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी नियम लागू नहीं होते।
  • विवाद निपटान में शामिल नहीं: गिग कामगार औद्योगिक संबंध संहिता 2020 के तहत विवाद निपटान तंत्र में शामिल नहीं हैं।

 

रोजगार संबंध की स्पष्ट परिभाषा की आवश्यकता

  • मुख्य मुद्दा: गिग कामगारों के लिए रोजगार संबंध स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है।
  • एग्रीगेटर की जिम्मेदारी: एग्रीगेटर्स को नियोक्ता के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए ताकि गिग कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा हो सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण: 2021 में यूके सुप्रीम कोर्ट के उबर मामले में उबर को नियोक्ता के रूप में मान्यता दी गई, और ड्राइवरों को कामगार माना गया।

 

आगे का रास्ता

  • श्रम संहिता में समावेश: रोजगार संबंध स्पष्ट होने पर, गिग कामगारों को चार श्रम संहिताओं में शामिल किया जा सकता है।
  • कल्याण बोर्ड मॉडल: यह अनौपचारिक कामगारों के लिए सीमित सफलता दिखा चुका है।
  • गिग कामगारों का औपचारिकरण: रोजगार संबंध को परिभाषित करने से इस क्षेत्र में कामगारों का औपचारिकरण होगा और सुरक्षा बढ़ेगी।

 

निष्कर्ष

  • सरलीकृत श्रम संहिता: श्रम कानूनों को सरल और तार्किक बनाने के लिए ध्यान केंद्रित होना चाहिए, न कि अलग-अलग कामगार समूहों के लिए अलग कानून बनाने पर।
  • महत्वपूर्ण कदम: गिग कार्य में रोजगार संबंध को मान्यता देना आवश्यक है ताकि कामगारों को व्यापक सुरक्षा और सामाजिक लाभ मिल सकें।

 

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