16/10/2019 The Hindu Editorials Notes हिंदी में
प्रश्न – कुपोषण पर चर्चा करें और इसके पीछे क्या कारण हैं? (200 शब्द)
संदर्भ – बच्चों में कुपोषण की बढ़ती प्रवृत्ति।
कुपोषण क्या है?
- कुपोषण एक व्यक्ति की ऊर्जा और / या पोषक तत्वों के सेवन में कमियों या असंतुलन को संदर्भित करता है।
कुछ तथ्य:
- वाशिंगटन विश्वविद्यालय द्वारा 2017 के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार, कुपोषण भारत में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से है।
- FAO का अनुमान है कि भारत में कुल आबादी का लगभग 14.5% 194.4 मिलियन लोग कुपोषित हैं।
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 में 119 देशों में से भारत 103 वें स्थान पर है
कारण:
- जागरूकता की कमी के कारण, गरीब और संपन्न दोनों परिवार कुपोषण से प्रभावित हैं।
- भारत में भोजन की खपत के पैटर्न में काफी बदलाव आया है, कई पौष्टिक देशी खाद्य पदार्थ जैसे बाजरा गायब हो गए हैं।
- आजादी के बाद से खाद्यान्न उत्पादन पांच गुना बढ़ गया है, इसने कुपोषण के मुद्दे को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया है।
- खाद्य एकरसता(monotony) से सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का खतरा बढ़ जाता है।
सरकारी हस्तक्षेप:
- सितंबर महीने को ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ के रूप में मनाया जाना है
- पोषन अभियान या राष्ट्रीय पोषण मिशन
क्या है पोषण अभियान?
- इस अभियान का उद्देश्य, गर्भवती महिलाओं, माताओं व बच्चो के पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करना है। इसके अतिरिक्त इसका लक्ष्य बच्चो, महिलाओं में खून की कमी (अनीमिया) को दूर करना भी है।
- यह महिला व बाल विकास मंत्रालय का फ्लैगशिप कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम आँगन वाड़ी सेवा, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मनरेगा से जुड़ा है।
- यह कुपोषण को समाप्त करने के लिए एक बड़ा कदम है।
- पोषण अभियान को मार्च 2018 में राजस्थान के झुंझुनू में लॉन्च किया गया था।
- अभियान में बौना, अल्पपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों के बीच) को कम करने और क्रमशः 2%, 2%, 3% और 2% प्रति वर्ष कम बच्चे के जन्म का लक्ष्य रखा गया है।
- मिशन का लक्ष्य 2022 तक 0-6 साल के बच्चों में 38.4% से 25% तक बौनापन (स्टंटिंग) को कम करना है।
पोषण अभियान किन के लिये है
- गर्भवती महिलाएं
- धात्री महिलाएं तथा नवजात शिशु
- किशोरियां
- बच्चे
आगे का रास्ता:
- सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से खाद्य उत्पादन, विशेषकर डब्बा बंद खाद्य भोजन में , आदि पर केंद्रित कृषि क्षेत्र में प्रतिवर्ष दो प्रतिशत अंक की कमी से कुपोषण में कमी आई है। जिसके कारण स्वदेशी पारंपरिक फसलों / अनाजों, फलों और अन्य सब्जियों का उत्पादन कम हुआ और कृषि जैव विविधता में एक व्यापक भोजन मेनू (Menu) सुनिश्चित करता है।
- भारत ,छोटे किसान, पशुधन और बीज रखने वाले की अनोखी कृषि विविधता के संरक्षण की अग्रिम पंक्ति में हैं।