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डिजिटल गिरफ्तारी धोखाधड़ी

GS-2, GS-3 मुख्य परीक्षा 

संक्षिप्त नोट्स

यह क्या है?

  • यह एक नया साइबर अपराध है जहां धोखेबाज़ कानून प्रवर्तन (पुलिस, सीबीआई, ईडी) का रूप धारकर पैसे वसूली करते हैं।
  • वे पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते हैं कि उन्हें “डिजिटल गिरफ्तारी” में लिया गया है और बचने के लिए भुगतान करना होगा।

यह कैसे काम करता है?

  • अपराधी फर्जी पुलिस आईडी का उपयोग करते हैं और फोन कॉल या मैसेजिंग ऐप के माध्यम से पीड़ितों को धोखा देते हैं।
  • वे मामले को “रफा-दफा” करने और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए बड़ी राशि की मांग करते हैं।

सरकारी उपाय (भारत):

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलर्ट।
  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी):
    • माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से स्कैम से जुड़ी 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को ब्लॉक किया।
    • जांच के लिए राज्य पुलिस को तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (एनसीसीसी):
    • साइबर खतरों की निगरानी करता है और रोकथाम के लिए सूचना साझा करने में सहायता करता है।
  • चाक्षु सुविधा (संचार साथी पोर्टल):
    • नागरिकों को संदिग्ध संचार (कॉल, एसएमएस, व्हाट्सएप) की रिपोर्ट करने की अनुमति देता है।

अंतर्राष्ट्रीय उपाय:

  • बुडापेस्ट कन्वेंशन (साइबर अपराध पर): भारत हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
  • इंटरनेट असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स कॉर्पोरेशन (ICANN)।
  • इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (यूएन का साइबर नीति वार्ता मंच)।

आगे का रास्ता:

  • साइबर सुरक्षा और डिजिटल गिरफ्तारी धोखाधड़ी के बारे में जन जागरूकता अभियान।
  • डिजिटल निगरानी को बढ़ाकर अवैध ऑनलाइन गतिविधि का पता लगाने और रोकने के लिए कदम।

स्रोत: https://indianexpress.com/article/explained/explained-global/netherland-what-the-new-right-wing-dutch-government-plans-to-do-9333952/

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