गवर्नमेंट इंस्टेंट मैसेजिंग सिस्टम क्या है?

केंद्र सरकार लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफार्म जैसे व्हाट्सएप्प तथा टेलीग्राम की भांति एक मैसेजिंग एप्लीकेशन के प्रोटोटाइप की टेस्टिंग कर रही है। यह एक अत्यंत सुरक्षित एप्प है। इस एप्प को ‘गवर्नमेंट इंस्टेंट मैसेजिंग सिस्टम (GIMS)’ नाम दिया गया है। इस एप्प का उपयोग केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा संगठनों के कर्मचारी सुरक्षित संचार के लिए कर सकेंगे।

अभी तक इस प्लेटफार्म का उपयोग कुछ एक राज्यों (जैसे ओडिशा) में पायलट टेस्टिंग स्टेज में किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस एप्प का उपयोग भारतीय नौसेना द्वारा भी किया गया है। इसके अलावा प्लेटफार्म  की मॉनिटरिंग तथा प्रशासन के लिए GIMS पोर्टल का विकास किया जा रहा है।

गवर्नमेंट इंस्टेंट मैसेजिंग सिस्टम

गवर्नमेंट इंस्टेंट मैसेजिंग सिस्टम के विकास का उद्देश्य देश में सुरक्षित संचार के लिए एक प्लेटफार्म तैयार करना है। GIMS का विकास नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर (NIC) की केरल इकाई द्वारा किया जा रहा है। इसमें सुरक्षित संचार के लिए एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का उपयोग किया जाएगा। GIMS के सर्वर्स को भारत में इनस्टॉल किया जाएगा, इसके डाटा को NIC द्वारा संचालित डाटा सेंटर में स्टोर में किया जायेगा।

 

साहित्य अकादमी पुरस्कार 2019 के विजेताओं की सूची

18 दिसम्बर को साहित्य अकादमी पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की है।

साहित्य अकादमी पुरस्कार 2019 के विजेताओं की सूची

असमिया – जयश्री गोस्वामी महंत द्वारा लिखित ‘चाणक्य’ (उपन्यास)

बंगाली  – चिन्मय गुहा द्वारा लिखित ‘घुमेर दर्जा ठेले’ (निबंध)

बोडो – फुकन बसुमत्री  द्वारा लिखित ‘अखे अथुम्निफराई’ (कविता)

डोगरी – ओम शर्मा जन्द्रियारी द्वारा लिखित ‘बन्द्रलता दर्पण’ (निबंध)

अंग्रेजी – शशि थरूर  द्वारा लिखित ‘एन एरा ऑफ़ डार्कनेस’ (नॉन-फिक्शन)

गुजराती – रतिलाल बोरीसागर द्वारा लिखित ‘मोजमा रेवु रे’ (निबंध)

हिंदी – नन्द किशोर आचार्य द्वारा लिखित ‘चिल्लाते हुए अपने को’ (कविता)

कन्नड़ – विजया  द्वारा लिखित ‘कुड़ी एसारू’ (आत्मकथा)

कश्मीरी – अब्दुल अहद हजीनी द्वारा लिखित ‘अख याद अख क़यामत’ (लघु कथा)

कोंकणी – निल्बा ए. खांडेकर द्वारा लिखित ‘द वर्ड्स’ (कविता)

मैथिलि – कुमार मनीष अरविन्द द्वारा लिखित ‘जिनगीक ओरिओं करैत’ (कविता)

मलयालम  – वी. मधुसुदन नायर द्वारा लिखित ‘अचान पिरान्ना वीडु’ (कविता)

मणिपुरी – एल. बिरमंगोल सिंह  द्वारा लिखित ‘इ अमदी अदुन्गेइगी ईथात’ (उपन्यास)

मराठी – अनुराधा पाटिल द्वारा लिखित ‘कदाचित अजूनही’ (कविता)

उड़िया – तरुण कांति मिश्रा  द्वारा लिखित ‘भास्वती’ (लघु कथा)

पंजाबी – किरपाल कजाक  द्वारा लिखित ‘अंतहीन’ (लघु कथा)

राजस्थानी – रामस्वरूप किसान द्वारा लिखित ‘बारीक बात’ (लघु कथा)

संस्कृत – पेन्ना मधुसुदन द्वारा लिखित ‘प्रज्ञाचक्षुषम’ (कविता)

संथाली – काली चरण हेबराम द्वारा लिखित ‘सिसिरजाली’ (लघु कथा)

तमिल – धर्मं द्वारा लिखित ‘सूल’ (उपन्यास)

तेलुगु – बंदी नारायण स्वमी द्वारा लिखित ‘सप्तभूमि’ (उपन्यास)

उर्दू – शफे किदवई द्वारा लिखित ‘सवानेह-ए-सर सैय्येद : एक बजदीद’ (जीवन कथा)

साहित्य अकादमी

साहित्य अकादमी संगठन भारतीय भाषाओँ के साहित्य के प्रचार के लिए कार्य करता है, इसकी स्थापना 12 मार्च, 1954 को हुई थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में रबिन्द्र भवन में स्थित है। साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष 24 भाषाओँ में वार्षिक पुरस्कार प्रदान करता है, विजेताओं को 1 लाख रुपये प्रदान किये जाते है। साहित्य अकादमी अंग्रेजी में “इंडियन लिटरेचर” तथा अंग्रेजी में “समकालीन भारतीय साहित्य” नामक द्वि-मासिक पत्रिकाओं का संपादन करता है ।

 

दूसरे देशों के उपग्रहों को लांच करके इसरो ने पिछले पांच वर्षों में कमाए 1,245 करोड़ रुपये

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने पिछले पांच वर्षों में दूसरे देशों के उपग्रहों को लांच करके कमाए 1,245 करोड़ रुपये हैं। पिछले पांच वर्षों में इसरो ने 26 अलग-अलग देशों के उपग्रह लांच किये हैं। वित्त वर्ष 2018-19 में इसरो ने अब अक विदेशी उपग्रहों को लांच करके 324.19 करोड़ रुपये की कमाई की है, इसमें पिछले वर्ष के मुकाबले 40% की वृद्धि हुई है। 2017-18 में इसरो ने विदेशी उपग्रहों को लांच करके 232.56 करोड़ रुपये कमाए थे। 2018-19 के दौरान इसरो ने  भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 91.63 करोड़ रुपये की विवृद्धि की है।

1999 से लेकर अब तक इसरो ने कुल 319 विदेशी उपग्रह लांच किये हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

इसकी स्‍थापना 1969 में की गई। 1972 में भारत सरकार द्वारा ‘अंतरिक्ष आयोग’ और ‘अंतरिक्ष विभाग’ के गठन से अंतरिक्ष शोध गतिविधियों को अतिरिक्‍त गति प्राप्‍त हुई। ‘इसरो’ को अंतरिक्ष विभाग के नियंत्रण में रखा गया। 70 का दशक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में प्रयोगात्‍मक युग था जिस दौरान ‘भास्‍कर’, ‘रोहिणी”आर्यभट’, तथा ‘एप्पल’ जैसे प्रयोगात्‍मक उपग्रह कार्यक्रम चलाए गए।

80 का दशक संचालनात्‍मक युग बना जबकि ‘इन्सेट’ तथा ‘आईआरएस’ जैसे उपग्रह कार्यक्रम शुरू हुए। आज इन्सेट तथा आईआरएस इसरो के प्रमुख कार्यक्रम हैं। अंतरिक्ष यान के स्‍वदेश में ही प्रक्षेपण के लिए भारत का मज़बूत प्रक्षेपण यान कार्यक्रम है। इसरो की व्‍यावसायिक शाखा एंट्रिक्‍स, विश्‍व भर में भारतीय अंतरिक्ष सेवाओं का विपणन करती है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की ख़ास विशेषता अंतरिक्ष में जाने वाले अन्‍य देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विकासशील देशों के साथ प्रभावी सहयोग है।

 

एशियाई विकास बैंक ने भारत को उर्जा दक्षता निवेश में विस्तार के लिए 250 मिलियन डॉलर का ऋण जारी किया

शियाई विकास बैंक ने भारत सरकार के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) को ऋण प्रदान करने के लिए 250 मिलियन डॉलर के ऋण की घोषणा की है।

इससे पहले 2016 में एशियाई विकास बैंक ने EESL के लिए 200 मिलियन डॉलर के ऋण को मंज़ूरी दी थी।

Energy Efficiency Services Limited (EESL)

EESL की स्थापना केन्द्रीय उर्जा मंत्रालय के अंतर्गत उर्जा दक्षता प्रोजेक्ट्स के लिए क्रियान्वयन में सहायता के लिए की गयी थी। यह NTPC, पॉवर फाइनेंस कारपोरेशन (PFC), ग्रामीण विद्युतीकरण कारपोरेशन (REC) और पॉवरग्रिड का संयुक्त उद्यम है। यह राष्ट्रीय उर्जा दक्षता मिशन (NMEEE) के बाज़ार सम्बन्धी कार्य भी करता है। यह राज्यों के डिस्कॉम की क्षमता निर्माण के लिए संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह देश में विश्व के सबसे बड़े उर्जा दक्षता पोर्टफोलियो का क्रियान्वयन कर रहा है।

एशियाई विकास बैंक

एडीबी एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसका उद्देश्य एशिया में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इसकी स्थापना दिसंबर 1966 में की गयी थी। इसका मुख्यालय मनीला (फिलीपींस) में स्थित है। इसके कुल 68 सदस्य हैं, जिनमें से 48 एशिया और प्रशांत क्षेत्र जबकि बाकी 19 अन्य क्षेत्र के हैं। एडीबी का मुख्य उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ऋण, तकनीकी सहायता, अनुदान और इक्विटी निवेश प्रदान करके अपने सदस्यों और भागीदारों की सहायता करना है।

 

18 दिसम्बर : अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस

प्रतिवर्ष 18 दिसम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 4 दिसम्बर 2000 को प्रस्ताव 55/93 को पारित करके की थी। इसका उद्देश्य प्रवासियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवास की चुनौतियों का सामना करने, प्रवासियों के अधिकारों को मजबूत करने और धारित विकास में योगदान के लिए वैश्विक समझौते का अंतिम प्रारूप तैयार किया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश एकत्रित हैं।

मुख्य तथ्य                     

यह ऐसा पहला समझौता है जिसमे अंतर्राष्ट्रीय प्रवास से सम्बंधित सभी पहलुओं पर सभी देशों ने चर्चा करके हामी भरी है। हालांकि अमेरिका इसमें शामिल नहीं है। इसमें प्रवास सम्बन्धी समस्याओं से निपटने के लिए 23 उद्देश्य निश्चित किये गए हैं।

पृष्ठभूमि

वर्तमान में विश्व भर में लगभग 25 करोड़ से अधिक प्रवासी हैं, वे विश्व की कुल जनसँख्या का 3% हिस्सा हैं। परन्तु वैश्विक सकल घरेलु उत्पाद में उनका योगदान 10% है। इससे उनके मूल देश के विकास में भी काफी वृद्धि होती है। इस समझौते की शुरुआत 2017 में ही शुरू हो गयी थी जब संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने ‘New York Declaration for Refugees and Migrants’ पर सहमती प्रकट की थी।

 

 

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *