20 सितंबर 2019- द हिंदू एडिटोरियल नोट्स (The Hindu Editorials Notes in Hindi)- मेन्स श्योर शॉट for UPSC IAS Exam

GS-2 Mains

स्मोक ऑफ वाष्प’ शीर्षक पर एक अन्य लेख है। यहाँ महत्वपूर्ण हाइलाइट्स है इस प्रकार हैं:

खबरों में क्यों?

  • कैबिनेट ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट अध्यादेश, 2019 के निषेध को मंजूरी दे दी है। अब, ई-सिगरेट का कोई भी उत्पादन, आयात, निर्यात, बिक्री (ऑनलाइन सहित), वितरण या विज्ञापन, और भंडारण एक संज्ञेय अपराध है जो कारावास या जुर्माना, या दोनों के साथ दंडनीय है ।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मानें तो ई-सिगरेट से होने वाला नुकसान, सामान्य सिगरेट जितना ही खतरनाक है। ई-सिगरेट से होने वाला नुकसान कम है, यह तंबाकू कंपनियों के प्रचार की एक रणनीति है। डब्ल्यूएचओ ने 2019 वैश्विक तंबाकू महामारी रिपोर्ट में बताया कि सिगरेट पीने वाले पूरी तरह से निकोटिन छोड़ देंगे, तभी उन्हें लाभ मिलेगा।

ई-सिगरेट क्या हैं?

  • ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एक बैटरी-चालित डिवाइस होती है,जिसमें निकोटिन और अन्य केमिकल युक्त लिक्विड भरा जाता है। ये इन्हेलर बैट्री की ऊर्जा से इस लिक्विड को भाप में बदल देता है जिससे पीने वाले को सिगरेट पीने जैसा एहसास होता है। लेकिन ई-सिगरेट में जिस लिक्विड को भरा जाता है वो कई बार निकोटिन होता है और कई बार उससे भी ज्यादा खतरनाक केमिकल। इसलिए ई-सिगरेट को सेहत के लिहाज से बिल्कुल सुरक्षित नहीं माना जा सकता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के कई रूप हैं- इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS) जैसे वाप्स, और ई-हुक्का आदि।
  • निकोटीन एक नशीला पदार्थ है, जो अध्ययनों के अनुसार, “ट्यूमर को बढाने के रूप में कार्य करता है और न्यूरो-अध: पतन (neuro-degeneration) और एयरोसोल में कुछ अन्य यौगिकों विषाक्त पदार्थ हैं जो कि हानिकारक प्रभाव डालते हैं।
  • लंबे समय तक उपयोग से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (chronic obstructive pulmonary disease), फेफड़े के कैंसर और संभवतः हृदय रोग और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है जो धूम्रपान से जुड़ी होती हैं।

अन्य नुकसान

  • डिप्रेशन होने की संभावना दोगुनी हो जाती है।
  • हार्ट अटैक का खतरा 56% तक बढ़ जाता है।
  • खून थक्का हो सकता है। (यूनिवर्सिटी ऑफ कंस का शोध)

विश्लेषण:

  • धूम्रपान करने वालों को आदत को छोड़ने के लिए ई-सिगरेट को बढ़ावा दिया गया। लेकिन डब्ल्यूएचओ के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) के अनुसार, इन उपकरणों को केवल तभी सफल माना जा सकता है जब धूम्रपान करने वालों ने वैकल्पिक निकोटीन स्रोत से स्थानांतरित कर दिया हो, और फिर उसका उपयोग करना भी बंद कर दिया।
  • लेकिन इसके विपरीत सब उल्टा हो रहा है कि युवाओं में ई-सिगरेट का चलन बढ़ रहा है क्योंकि वे इसे एक शांत, मजेदार, गतिविधि मानते हैं।

बहकावे की वजह

  • युवा वर्ग इसे ‘कूल’ मानता है और इसलिए इसकी जद में जल्दी आ जाता है। आरंभ में इसका प्रचार यह कहकर किया जाता था कि यह सिगरेट की आदत छोड़ने में मदद करता है, लेकिन यह देखा गया है कि लोग सिगरेट के साथ ही ई-सिगरेट भी पीते हैं।

22 देशों में प्रतिबंध

  • अमेरिका के कुछ राज्यों समेत 22 देशों में ई सिगरेट पर प्रतिबंध है। ब्राजील, सिंगापुर, शिशेल्स, ऊरूग्वे, फिनलैंड में भी ई-सिगरेट पर प्रतिबंध है। जापान में ई-सिगरेट को गैरकानूनी घोषित किया गया है। ब्रिटेन में आंशिक प्रतिबंध है। अर्मेनिया, बोसनिया हर्जिगोवेनिया में इसकी बिक्री नियमित नहीं है। 
  • इस साल के शुरू में संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2016 और 2019 के बीच लगभग 1,91,780 डॉलर मूल्य के ई-सिगरेट भारत में आयात किए गए थे।

आगे का रास्ता:

  • पहले से ही सही रास्ते पर चल रही सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका प्रतिबंध ईमानदारी से लागू हो।

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