इंडियन एक्सप्रेस सारांश
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले और संकेत
हालिया हमला: जेड-मोरह सुरंग निर्माण के कर्मचारियों को लक्षित किया गया; व्यापक आतंकवाद पुनरुद्धार और भारत की कमजोरियों का शोषण दर्शाता है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का पुनरुद्धार:
- पाकिस्तान का गहरा राज्य जम्मू-कश्मीर में शांति का विरोध करता है, विशेषकर श्रीनगर में सहज चुनाव और एक लोकतांत्रिक सरकार के बाद।
- भारत के विकास, पारदर्शिता और सहिष्णुता के कथनों का मुकाबला करना है।
- कश्मीर का नुकसान पाकिस्तान के दावों को नुकसान पहुंचाता है; अनुच्छेद 370 के निरसन ने उनके रुख को और कमजोर कर दिया।
विचलित करने वाली रणनीतियाँ:
- जम्मू में हिंसा कश्मीर के केंद्रीय मुद्दों से ध्यान हटाती है।
- पाकिस्तान प्रॉक्सी युद्ध के माध्यम से प्रासंगिकता बनाए रखना चाहता है।
रणनीतिक परियोजनाओं को लक्षित करना:
- गुरेज घाटी और मशकोह जैसे परिधीय क्षेत्रों की ओर ध्यान केंद्रित करना।
- प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएं जोखिम में हैं:
- जेड-मोरह सुरंग।
- नियंत्रण रेखा के पास किशनगंगा परियोजना।
- झेलम घाटी में उरी 1 और उरी 2 जलविद्युत परियोजनाएँ।
- बनिहाल और काजीगुंड के पास रेलवे परियोजनाएँ।
असामान्य घटनाओं का व्यापक पैटर्न:
- बम धमकी, विस्फोट (जैसे, रोहिणी, दिल्ली), और भारत पर राजनयिक दबाव (जैसे, अंतर्राष्ट्रीय हत्याओं के आरोप)।
- इनका उद्देश्य भारत के रणनीतिक आत्मविश्वास को बाधित करना है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
- अब्दुल्लाओं ने पाकिस्तान की हिंसा की निंदा की; वार्ता के लिए कोई हालिया आह्वान नहीं, एक बदलाव का संकेत दे रहा है।
निष्कर्ष: जम्मू-कश्मीर में प्रॉक्सी युद्ध जारी है; हिंसा में कमी से आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए। भारत को बुनियादी ढांचे की रक्षा करनी चाहिए और पाकिस्तान की आतंकवाद पुनरुद्धार रणनीति का मुकाबला करना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस सारांश
बर्लिन-दिल्ली पुन:संयोजन
जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्त्स का भारत दौरा:
- भारत-जर्मन रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के उद्देश्य से।
- भारत के जर्मनी और सामूहिक यूरोप के साथ संबंधों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित।
भारत-जर्मन संबंध:
- 2000 में औपचारिक रूप से साझेदारी, लेकिन ठोस परिणामों का अभाव।
- शोल्त्स वैश्विक राजनीति में बदलाव के बीच, विशेषकर यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण, संबंधों को रीसेट करना चाहते हैं।
यूक्रेन-रूस संघर्ष:
- भारत के तटस्थ रुख और रियायती रूसी तेल की खरीद ने यूरोप को परेशान किया।
- तनाव के बावजूद, जर्मनी अब संघर्ष जारी रहते हुए भारत के साथ मजबूत संबंध चाहता है।
जर्मनी की बदलती भूराजनीतिक भूमिका:
- रूस का यूरोप में विस्तारवाद।
- एशिया में चीन की मुखरता।
- मास्को और बीजिंग के बीच गठबंधन।
- अमेरिकी नीतियों में अस्थिरता।
- एशिया और यूरेशिया, विशेषकर भारत पर ध्यान केंद्रित।
भारत के प्रति जर्मनी का रणनीतिक दृष्टिकोण:
- वैश्विक अर्थव्यवस्था और भूराजनीति में भारत के बढ़ते प्रभाव को मान्यता देता है, विशेषकर वैश्विक दक्षिण में।
- यूक्रेन पर मतभेदों के बावजूद, जर्मनी बातचीत और संयुक्त पहल चाहता है।
- भारत-प्रशांत क्षेत्र में गहरे आर्थिक संबंधों पर जोर, पिछली “चीन प्रथम” नीति से एक बदलाव।
रक्षा सहयोग:
- जर्मनी भारत के अपने हथियार बनाने में मदद सहित, हथियार सहयोग का विस्तार करने की पेशकश करता है।
- जर्मन पनडुब्बी खरीद पर बातचीत एक मजबूत रक्षा साझेदारी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
निष्कर्ष:
- शोल्त्स का दौरा भारत-जर्मन सहयोग के एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।
- जर्मनी के साथ मजबूत संबंध भारत के अमेरिका और फ्रांस जैसे वैश्विक शक्तियों के साथ संबंधों को संतुलित करेंगे, जिससे इसकी अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता बढ़ेगी।