23 दिसंबर 2019 : द हिन्दू एडिटोरियल 2019
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवादों के निपटारे में विश्व व्यापार संगठन के अपीलीय प्राधिकारी की भूमिका की जांच करने से पहले वर्तमान संकट और इसके प्रभावों के बारे में बताएं। (250 शब्द)
संदर्भ
- हाल ही में विश्व व्यापार संगठन अपने अपीलीय प्राधिकरण में निर्धारित सदस्यों की संख्या से कम सदस्य हो चुकी है ।
प्रमुख बिंदु
- अपीलीय प्राधिकरण में सदस्यों की संख्या सात से घटकर तीन रह गई है।
- इस कारण वर्तमान में अपीलीय प्राधिकरण में किसी अपील पर सुनवाई करने में लगभग एक वर्ष का समय लग रहा है, जबकि अपीलों के निपटारे के लिये निर्धारित समय 90 दिन है।
- फिलहाल मौजूद तीन न्यायाधीशों में से दो न्यायाधीश 10 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिससे अपीलीय प्राधिकरण की कार्यक्षमता प्रभावित होगी। क्योंकि इसके पश्चात इसमें एक सदस्य शेष रह जाएगा।
- ध्यातव्य है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले साल से अपीलीय प्राधिकरण में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है क्योंकि अमेरिका को लगता है कि विश्व व्यापार संगठन पक्षपात की भावना से कार्य करता है।
- किसी भी अपील की सुनवाई के लिये कम-से-कम 3 सदस्य होने अनिवार्य हैं। अतः दो सेवानिवृत्त सदस्यों की नियुक्ति शीघ्र नहीं की गई तो अपीलीय प्राधिकरण की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।
- 1995-2014 के मध्य पैनलों के 201 निर्णयों में 68% अपीलें की गईं।
- पिछले कुछ वर्षों में निर्धारित संख्या से कम सदस्यों की पीठ होने के कारण अपीलों को तय 2-3 महीने की समयसीमा के अंतर्गत निस्तारित करने में असमर्थता जताई गई है।
- पिछले वर्ष दायर की गई अपीलों के मामलों की सुनवाई को काफी पुरानी अपीलों ने रोक रखा है। अपीलीय प्राधिकरण की तीन सदस्यीय पीठ अब 1अक्तूबर, 2018 से दायर अपीलों की सुनवाई कर रही हैं।
- जुलाई 2018 के बाद से दायर की गई कम-से-कम 10 अपीलों की समीक्षा करने में प्राधिकरण अभी तक असमर्थ रहा है।
विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय प्राधिकरण क्या है?
- विश्व व्यापार संघ के अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना वर्ष 1995 में अंडरस्टैंडिंग ऑफ रूल्स ऑफ डिसिप्लिन (DSU) के नियमों और प्रक्रियाओं पर अनुच्छेद 17 के तहत की गई थी।
- यह सात व्यक्तियों का एक स्थायी निकाय है जो WTO के सदस्यों द्वारा लाए गए विवादों पर पैनलों द्वारा जारी रिपोर्टों के आधार पर अपील की सुनवाई करता है।
- अपीलीय निकाय एक पैनल के कानूनी निष्कर्षों में परिवर्तन सकता है, संशोधन कर सकता है या उन्हें यथावत बनाए रख सकता है।
- WTO का विवाद निस्तारण तंत्र दुनिया में सबसे सक्रिय तंत्रों में से एक है और अपीलीय प्राधिकरण इन मामलों में सर्वोच्च प्राधिकरण है जिसका निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
- WTO द्वारा समझौते या दायित्व को तोड़ने के लिये बनाए गए नियमों पर विवाद होने की स्थिति में विवाद में शामिल देश अपीलीय प्राधिकरण से संपर्क कर सकते हैं।
- अपीलीय प्राधिकरण विवाद को सुनने वाले पैनल के कानूनी निष्कर्षों को बरकरार रख सकता है, संशोधित कर सकता है या उलट सकता है एवं विवाद में शामिल दोनों पक्षों के देश अपील कर सकते हैं।
संकट का विषय:
- वर्ष 1995 में WTO अपीलीय निकाय की स्थापना हुई थी, तब से 500 से ज़्यादा मामलों की सुनवाई की जा चुकी है, इसके साथ ही 350 से अधिक मामलों को सुलझाया गया है।
- निकाय के निष्क्रिय होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी मुद्दों के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच की समाप्ति हो जाएगी।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में देशों के पास अपील के लिये अन्य कोई मार्ग नहीं है।
- यह भारत के लिये अच्छा नहीं है, जो कि विवाद के कई मामलों का सामना कर रहा है, खासकर कृषि उत्पादों पर।
- हाल ही में भारत के चीनी और गन्ना उत्पादों के लिये समर्थन उपायों के खिलाफ चार मामलों को WTO में लाया गया है।
प्रभाव
- अगर अपीलीय प्राधिकरण में नई नियुक्तियाँ नहीं होती हैं, तो ऐसी स्थिति में विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रक्रिया पर पहले से ही बहुत अधिक भार होने के कारण इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होगी।
- देशों को पैनल द्वारा दिये गए फैसलों को लागू करने के लिये बाध्य होना पड़ सकता है, भले ही उन्हें इसमें गंभीर त्रुटियों की आशंका हो।
- इससे वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद को कम करने एवं समाप्त करने के लिये दो दशकों से चले आ रहे प्रयासों के कारण WTO का ढाँचा कमज़ोर हो सकता है।
- वर्तमान में व्यापार तनाव एक प्रमुख चिंता है क्योंकि इस प्रकार की समस्याएँ हैं। उदाहरण के लिये अमेरिका-चीन एवं अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है।
- अगर यह प्राधिकरण समाप्त हो जाता है तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवादों में उलझे देशों को निस्तारण के लिये कोई मंच नहीं रह जाएगा।
अपीलीय प्राधिकरण के संदर्भ में भारत
- यह भारत के लिये अच्छा प्रतीत नहीं होता क्योंकि भारत विशेष रूप से कृषि उत्पादों पर विवाद के मामलों की बढ़ती संख्या का सामना कर रहा है।
- अन्य सदस्य देशों की तुलना में अमेरिका अधिकतम विवादों में सीधे तौर पर शामिल है, जबकि भारत सहित कई देशों ने तीसरे पक्ष के रूप में विवाद दर्ज करवाए हैं।
- भारत अब तक 54 विवादों में प्रत्यक्ष भागीदार रहा है।
- पिछले चार महीनों में विश्व व्यापार संगठन में भारत के खिलाफ चार शिकायतें दर्ज़ कराई गई हैं जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि भारत अपने चीनी और गन्ना उत्पादकों के लिये WTO के नियमों के दायरे से बाहर जाकर समर्थन जुटाने के उपाय कर रहा है।
भविष्य की राह
- जब अपीलीय प्राधिकरण में नए सदस्यों की नियुक्ति का निर्णय लिया जाता है तो इसमें WTO के सभी सदस्यों की आम सहमति ज़रूरी होती है। अगर इनमें सहमति नहीं बन पाती है तो मतदान का प्रावधान है।
- भारत सहित 17 अल्प-विकसित और विकासशील देशों के समूह ने अपीलीय प्राधिकरण में गतिरोध समाप्त करने हेतु एक साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई है। अतः इस आशय का एक प्रस्ताव लाया जाए एवं मतदान हो तथा बहुमत के आधार पर अपीलीय प्राधिकरण में नए सदस्य की नियुक्ति करने का प्रयास किया जा सकता है।
- यह उपाय अंतिम विकल्प हो सकता है।
विश्व व्यापार संगठन
- विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) विश्व में व्यापार संबंधी अवरोधों को दूर कर वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1995 में मराकेश संधि के तहत की गई थी।
- इसका मुख्यालय जिनेवा में है। वर्तमान में विश्व के 164 देश इसके सदस्य हैं।
- 29 जुलाई, 2016 को अफगानिस्तान इसका 164वाँ सदस्य बना था।
- सदस्य देशों का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन इसके निर्णयों के लिये सर्वोच्च निकाय है, जिसकी बैठक प्रत्येक दो वर्षों में आयोजित की जाती है।
No-2
प्रश्न – चल रहे विवाद के बीच में, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और उसके आस-पास के मुद्दों को समझाइए। (250 शब्द)
संदर्भ
- असम में 19 लाख लोगों को राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) से बाहर रखने के विवाद की पृष्ठभूमि में भारत सरकार द्वारा देशभर में नागरिकों की जनसंख्या का लेखा-जोखा रखने के लिये राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register- NPR) को तैयार करने का निर्णय लिया गया है। इसने देश में नागरिकता के मुद्दे पर बहस को तीव्र कर दिया है।
क्या है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर
(National Population Register- NPR)
- NPR ‘देश के सामान्य निवासियों’ की एक सूची है।
- गृह मंत्रालय के अनुसार, ‘देश का सामान्य निवासी’ वह है जो कम-से-कम पिछले छह महीनों से स्थानीय क्षेत्र में रहता है या अगले छह महीनों के लिये किसी विशेष स्थान पर रहने का इरादा रखता है।
- NPR के पूरा होने और प्रकाशित होने के बाद नेशनल रजिस्ट्रेशन आइडेंटिटी कार्ड (National Registration Identity Card- NRIC) तैयार करने के लिये इसका एक आधार बनने की आशा है।
- NRIC असम के NRC का अखिल भारतीय प्रारूप होगा।
- NPR का संचालन स्थानीय, उप-ज़िला, ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर किया जा रहा है।
- भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) ने पहले ही 5,218 गणना ब्लॉकों के माध्यम से जानकारी इकट्ठा करने के लिये 1,200 से अधिक गाँवों और 40 कस्बों और शहरों में एक पायलट परियोजना शुरू कर दी है।
- अंतिम गणना अप्रैल 2020 में शुरू होगी और सितंबर 2020 में समाप्त होगी।
NPR और NRC में अंतर
- NRC असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सूची है जिसे असम समझौते को लागू करने के लिये तैयार किया जा रहा है।
- इसमें केवल उन भारतीयों के नाम को शामिल किया जा रहा है जो कि 25 मार्च, 1971 के पहले से असम में रह रहे हैं।
- उसके बाद राज्य में पहुँचने वालों को बांग्लादेश वापस भेज दिया जाएगा।
- NRC के विपरीत, NPR एक नागरिकता गणना अभियान नहीं है, क्योंकि इसमें छह महीने से अधिक समय तक भारत में रहने वाले किसी विदेशी को भी इस रजिस्टर में दर्ज किया जायेगा।
- NPR के तहत असम को छोड़कर देश के अन्य सभी क्षेत्रों के लोगों से संबंधित सूचनाओं का संग्रह किया जाएगा।
- एक राष्ट्रव्यापी NRC के संचालन का विचार केवल आगामी NPR के आधार पर होगा।
- निवासियों की एक सूची तैयार होने के बाद उस सूची से नागरिकों के सत्यापन के लिये एक राष्ट्रव्यापी NRC को शुरू किया जा सकता है।
NPR का वैधानिक आधार?
- NPR नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र निर्गमन) नियम, 2003 के प्रावधानों के तहत तैयार किया जा रहा है।
- भारत के प्रत्येक “सामान्य निवासी” के लिये NPR में पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
- गृह मंत्रालय के तहत भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) के कार्यालय द्वारा, जनगणना-2021 के पहले चरण के साथ इसका संचालन किया जाएगा।
क्या NPR एक नया विचार है?
- NPR का विचार UPA शासन के समय का है जब वर्ष 2009 में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा इसका प्रस्ताव रखा गया था।
- लेकिन उस समय नागरिकों को सरकारी लाभों के हस्तांतरण के लिये सबसे उपयुक्त आधार प्रोजेक्ट (UIDAI) का NPR से टकराव हो रहा था।
- गृह मंत्रालय ने तब आधार की बजाय NPR के विचार को आगे बढ़ाया क्योंकि यह NPR में पंजीकृत प्रत्येक निवासी को जनगणना के माध्यम से एक परिवार से जोड़ता था।
- NPR के लिये डेटा को पहली बार वर्ष 2010 में जनगणना-2011 के पहले चरण, जिसे हाउसलिस्टिंग चरण कहा जाता है, के साथ एकत्र किया गया था।
- वर्ष 2015 में इस डेटा को एक डोर-टू-डोर सर्वेक्षण आयोजित करके अपडेट किया गया था।
- हालाँकि वर्तमान सरकार ने वर्ष 2016 में आधार को सरकारी लाभों के हस्तांतरण के लिये महत्त्वपूर्ण माना और NPR की बजाय आधार कार्ड की संकल्पना को आगे बढ़ाया।
- 3 अगस्त को जारी एक अधिसूचना के माध्यम से RGI द्वारा NPR के विचार को पुनर्जीवित किया गया है।
- अतिरिक्त डेटा के साथ NPR-2015 को अपडेट करने की कवायद शुरू कर दी गई है जो वर्ष 2020 में पूरी हो जाएगी। अद्यतन जानकारी का डिजिटलीकरण भी पूरा हो चुका है।
NPR किस तरह की जानकारी एकत्र करेगा?
- NPR जनसांख्यिकीय (Demographic) और बायोमेट्रिक (Biometric) दोनों प्रकार के डेटा एकत्र करेगा।
- जनसांख्यिकीय डेटा की 15 अलग-अलग श्रेणियाँ हैं जिनमें नाम और जन्म स्थान से लेकर शिक्षा और व्यवसाय जैसी जानकारी शामिल है।
- बायोमेट्रिक डेटा के लिये यह आधार पर निर्भर करेगा, जिसके लिये यह निवासियों के आधार पहचान की भी जानकारी एकत्र करेगा।
- इसके अलावा RGI देश भर में परीक्षण के लिये मोबाइल नंबर, आधार, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड तथा पासपोर्ट संबंधी जानकारी भी इकट्ठा कर रहा है और जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र के नागरिक पंजीकरण प्रणाली को अपडेट करने के लिये भी काम कर रहा है।
- वर्ष 2010 में RGI ने केवल जनसांख्यिकीय आँकड़े एकत्र किये थे।
- वर्ष 2015 में इसने मोबाइल, आधार और निवासियों के राशनकार्ड नंबरों के साथ आँकड़ों को अपडेट किया।
- वर्ष 2020 के अभ्यास के लिये इसने राशन कार्ड संख्या को इसमें से हटा दिया लेकिन अन्य श्रेणियों को जोड़ दिया।
- गृह मंत्रालय के अनुसार NPR के साथ पंजीकरण करना अनिवार्य है लेकिन पैन नंबर, आधार, ड्राइविंग लाइसेंस और मतदाता पहचान पत्र जैसी अतिरिक्त जानकारी प्रस्तुत करना स्वैच्छिक है।
- मंत्रालय ने निवासियों के विवरण को NPR में ऑनलाइन अपडेट करने का विकल्प भी प्रस्तुत किया है।
NPR और आधार नंबर(UID Number) के बीच संबंध
- NPR सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है। इसमें एकत्र किये गए डेटा को आधार कार्ड जारी करने और इनके दूहराव को रोकने के लिये भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को भेजा जाएगा।
- इस प्रकार NPR में जानकारी के तीन भाग होंगे- (i) जनसांख्यिकीय डेटा (ii) बायोमेट्रिक डेटा (iii) आधार नंबर (UID Number)।
NPR पर विवाद क्या है?
- NPR का विचार ऐसे समय में चर्चा में आया है जब असम में लागू किये जा रहे NRC से 19 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया है।
- आधार तथा निजता के मुद्दे पर बहस जारी है और NPR भारत के निवासियों की निजी जानकारी का एक बड़ा हिस्सा इकट्ठा करने पर आधारित है।
- NPR पहले से मौजूद आधार, वोटर कार्ड, पासपोर्ट जैसे एक और पहचान पत्र की संख्या में वृद्धि करेगा।
सरकार को नागरिकों के बारे में इतना डेटा क्यों चाहिये?
- प्रत्येक देश में प्रासंगिक जनसांख्यिकीय विवरण के साथ अपने निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस होना चाहिये। यह सरकार को बेहतर नीतियाँ बनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा में भी मदद करेगा।
- इससे न केवल लाभार्थियों को बेहतर तरीके से लक्षित करने में मदद मिलेगी बल्कि कागज़ी कार्रवाई और लालफीताशाही में भी कमी होगी।
- इसके अलावा यह विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर निवासियों के डेटा को सुव्यवस्थित करेगा। जैसे- विभिन्न सरकारी दस्तावेज़ो में किसी व्यक्ति के जन्म की अलग-अलग तारीख होना आम समस्या है। NPR से इस समस्या का समाधान होने की संभावना है।
- NPR डेटा के कारण निवासियों को दिन-प्रतिदिन के कार्यों हेतु उम्र, पता और अन्य विवरण के लिये विभिन्न प्रमाण प्रस्तुत नहीं करने होंगे।
- यह मतदाता सूचियों में दूहराव को भी समाप्त करेगा।
NPR और निजता का मुद्दा
- वर्तमान में निजता के मुद्दे पर भी वाद-विवाद बना हुआ है लेकिन पायलट प्रोजेक्ट से पता चला है कि अधिकाँश लोगों को ऐसी जानकारी को साझा करने में कोई समस्या नहीं है लेकिन दिल्ली जैसे कुछ शहरी क्षेत्रों में कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है।
- हालाँकि सरकार का पक्ष है कि NPR की जानकारी निजी और गोपनीय है, अर्थात् इसे तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं किया जाएगा। लेकिन डेटा की इस विशाल मात्रा के संरक्षण के लिये किसी व्यवस्था पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है।