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ज्वलंत मुद्दा: भारत में अग्नि सुरक्षा

GS-3: मुख्य परीक्षा : आपदा प्रबंधन

कठोर वास्तविकता

  • दिल्ली और राजकोट में हाल ही में हुए अग्निकांड भारत की आग की आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता को उजागर करते हैं।
  • 2022 में 7,500 से अधिक अग्नि दुर्घटनाओं में 7,435 लोगों की मौत हुई (NCRB डेटा)।
  • महाराष्ट्र और गुजरात में आग से संबंधित मौतों का लगभग 30% हिस्सा है।
  • उपहार सिनेमा (1997), AMRI अस्पताल (2011), कमला मिल्स (2017) जैसी घटनाएं लगातार उपेक्षा को उजागर करती हैं।

बार-बार होने वाली आग दुर्घटनाओं के कारण

  • अग्नि सुरक्षा नियमों का पालन न करना (रायकोट गेमिंग सेंटर घटना)।
  • कम स्टाफ और संसाधन की कमी के कारण कमजोर नगरपालिका निरीक्षण।
  • राष्ट्रीय भवन संहिता (2016) और राज्य अग्नि सुरक्षा नियमों में मौजूदा दिशानिर्देशों की उपेक्षा।
  • राष्ट्रीय भवन संहिता में अग्नि सुरक्षा लेखापरीक्षा केवल अनुशंसात्मक हैं, अनिवार्य नहीं हैं।
  • अपर्याप्त अग्निशमन बुनियादी ढांचा – शहरी भारत में आवश्यक फायर स्टेशनों का 40% से कम।

भारत में अग्नि सुरक्षा नियम: बदलाव के लिए एक रूपरेखा

मौजूदा मानक

  • राष्ट्रीय भवन संहिता (एनबीसी) 2016: भवनों के लिए अग्नि निवारण, सुरक्षा और जीवन सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है (भाग 4)।
  • राज्य दमकल सेवा अधिनियम: दमकल सेवाओं की शक्तियों को परिभाषित करते हैं और विनियमों को लागू करते हैं।
  • BIS मानक: अग्निशमन उपकरण (अग्निशामक यंत्र, होसेज, अलार्म) के लिए बेंचमार्क निर्धारित करते हैं।
  • केंद्र सरकार का निरीक्षण: महानिदेशक (गृह मामलों) और राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा महाविद्यालय (नागपुर) अग्नि सुरक्षा और प्रशिक्षण का प्रबंधन करते हैं।

सरकारी पहल

  • 2023 योजना: 2025-26 तक राज्यों में दमकल सेवाओं का उन्नयन (उपकरण, प्रशिक्षण, नए स्टेशन)।
  • मॉडल विधेयक: राज्य स्तर पर कुशल अग्नि और आपातकालीन सेवाओं की स्थापना।
  • एनडीएमए दिशानिर्देश: राष्ट्रव्यापी दमकल सेवाओं के लिए स्केलिंग, उपकरण और प्रशिक्षण।
  • अग्नि सुरक्षा लेखापरीक्षा: 15 मीटर से अधिक ऊंचे भवनों के लिए प्रत्येक दो वर्ष में अनिवार्य लेखापरीक्षा।

आगे का रास्ता

  • कठोर कार्यान्वयन: अग्नि सुरक्षा नियमों का कठोरता से पालन करवाना और उल्लंघनकर्ताओं के लिए दंड।
  • बुनियादी ढांचे में निवेश: फायर स्टेशनों की कमी को दूर करना (शहरी क्षेत्रों में 40% से कम)।
  • नगरपालिका क्षमता निर्माण: नियमित अग्नि सुरक्षा निरीक्षण के लिए संसाधनों और प्रशिक्षण में वृद्धि।
  • नीति और निगरानी:
    • राष्ट्रीय भवन संहिता और राज्य अग्नि सुरक्षा नियमों का सख्त पालन।
    • विशेष रूप से संवेदनशील सुविधाओं (अस्पतालों) में नियमित लेखापरीक्षा।
  • जवाबदेही और सुधार:
    • उल्लंघनकर्ताओं के लिए कड़े दंड और कानूनी कार्रवाई।
    • पिछली अग्नि आपदा जांचों से सिफारिशों के कार्यान्वयन में तेजी लाना।
  • स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता: ज्वलनशील सामग्री और कमजोर रोगियों की उपस्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं में अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करना।

स्रोत : https://www.thehindu.com/news/national/fire-safety-rules-rajkot-delhi-gujarat-challenge-hurdle-explain-failure-monitor-regulations/article68218102.ece#:~:text=What%20fire%20safety%20rules%20say,public%20address%20system%20for%20emergencies.

 

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