29/10/2019 करेंट अफेयर्स (Prelims Sure Shot) हिंदी में
भारत ने ‘अंरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संस्था’ में पाकिस्तान की शिकायत की
- भारत ने 28 अक्टूबर को ‘अंरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संस्था’ में पाकिस्तान की शिकायत की. प्रधानमंत्री के सऊदी अरब दौरे के लिए विमान को अपने एयरस्पेस से उड़ने की मंजूरी न देने के कारण यह शिकायत की गयी है.
- यह दूसरा मौका है, जब पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमान को अपने एयरस्पेस से उड़ने की अनुमति नहीं दी है.
- इससे पहले सितंबर में उनके अमेरिका दौरे के वक्त भी पाकिस्तान ने ऐसा ही किया था.
अंरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संस्था’
- ‘अंरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संस्था’ एक वैश्विक संस्था है.
- इसके नियमों के मुताबिक एक देश मंजूरी मांगता है और दूसरा देश इसकी अनुमति देता है.
ISIS आंतकी समूह का प्रमुख अबू बकर अल बगदादी की अमरीकी सैन्य कार्रवाई में मौत
- इस्लामिक स्टेट (ISIS) आंतकी समूह का प्रमुख अबू बकर अल बगदादी 27 अक्टूबर को सीरिया के उत्तर पश्चिम में अमरीकी सैन्य कार्रवाई में मारा गया.
- बगदादी के मारे जाने की घोषणा व्हाईट हाउस में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने की. अलबगदादी पर था 25 मिलियन अमरेकी डालर का इनाम था.
बग़दादी कौन?
- इब्राहिम अवाद इब्राहिम अल-बादरी को अबु बक्र अल-बग़दादी के नाम से जाना जाता है.
- बग़दादी के परिवार का दावा है कि जिस क़बीले से पैग़ंबर मोहम्मद थे, उसी क़बीले से वो भी है. यह परिवार पैग़ंबर मोहम्मद का वंशज होने का दावा करता है.
- इसके साथ ही बग़दादी का इस्लामिक क़ानून से भी ख़ासा लगाव था.
- इसी दौरान बग़दादी के चाचा ने उन्हें मुस्लिम ब्रदरहुड जॉइन करने के लिए प्रेरित किया. बग़दादी तत्काल ही रूढ़िवादी और हिंसक इस्लामिक मूवमेंट की तरफ़ आकर्षित हो गए
- इस्लामिक विश्वसनीयता के कारण बग़दादी में आईएस के अलग-अलग धड़ों को एकजुट करने की क्षमता थी. इस्लामिक स्टेट से बग़दादी ने लोगों को जोड़ना शुरू किया.
- बग़दादी को शरीया समिति का पर्यवेक्षक बनाया गया. इसके साथ ही उन्हें शुरा काउंसिल के 11 सदस्यों में भी शामिल किया गया.
- बाद में बग़दादी को आइएस की समन्वय समिति में रखा गया जिसका काम इराक़ में कमांडरों के बीच संवाद कायम करना था.
- अप्रैल 2010 में आईएस के संस्थापक के मारे जाने के बाद शुरा काउंसिल ने बग़दादी को आइएस का प्रमुख बना दिया.
ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने की नई तारीख 31 जनवरी तय की गई
- यूरोपीय संघ के सदस्यों ने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग (ब्रेक्जिट) होने की तारीख को तीन महीने आगे बढ़ाने पर 28 अक्टूबर को सहमति दे दी.
- अब ब्रेक्जिट की तारीख 31 अक्टूबर से बढ़कर 31 जनवरी 2020 हो गई है.
- यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनॉल्ड टस्क ने ब्रेक्जिट की समय-सीमा बढ़ाने की पुष्टि की.
ईयू और ब्रिक्सिट(ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से एक्ज़िट)
- 2015 आम चुनावों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने वादा किया था कि अगर वो चुनाव जीतते हैं तो जनमत संग्रह कराएंगे
यूरोपीय संघ क्या है?
- यूरोपीय संघ, जिसे अक्सर ईयू कहा जाता है, 28 यूरोपीय देशों की आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी है.
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए यूरोपीय संघ का निर्माण हुआ.
- इसके पीछे सोच ये थी कि जो देश एक साथ व्यापार करेंगे वो एक दूसरे के खिलाफ़ युद्ध करने से बचेंगे.
- तब से लेकर अब तक ये एक बाज़ार के तौर पर विकसित हुआ. इसके तहत इन देशों में सामान और लोगों की बेरोक टोक आवाजाही होने लगी मानों सभी सदस्य देश एक पूरा देश हों.
- इसकी अपनी मुद्रा है, यूरो, जो 19 सदस्य देश इस्तेमाल करते हैं. इसकी अपनी संसद भी है.
- ये संघ अब कई क्षेत्रों में अपने नियम बनाते हैं, जिसमें पर्यावरण, परिवहन, उपभोक्ता अधिकार और मोबाइल फोन की कीमतें तक तय करते हैं.
ब्रेक्सिट का क्या मतलब है?
- ब्रेक्सिट शब्द का मतलब है कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ छोड़ेगा. इसमें ब्रिटेन और छोड़ेगा शब्द को मिलाकर एक शब्द बनाया गया है, ब्रिक्सिट.
- बिल्कुल उसी तरह जैसे पहले ग्रीस के यूरोपीय संघ छोड़ने की बात उठी तो ग्रिक्सिट शब्द बना.
- ब्रेक्जिट पर पहला सार्वजनिक वोट या जनमत संग्रह तीन साल पहले 23 जून 2016 को हुआ था, जब डेविड कैमरन प्रधानमंत्री थे।
- इस जनमत संग्रह के माध्यम से मतदाताओं ने यूरोपीय संघ छोड़ने के पक्ष में वोट डाला था। इसके बाद अगले दिन पीएम कैमरन ने इस्तीफा दे दिया था।
- लगभग 52 फीसद मतदाताओं ने यूरोपीय संघ को छोड़ने का फैसला किया था, जबकि 48 फीसद ने रहने के लिए मतदान किया था।
- भले ही जनमत संग्रह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं था, लेकिन ब्रेक्जिट के प्रति जनता की भावना को जानने के लिए इसे किया गया था।
जनमत संग्रह के सवाल क्या है?
- “क्या ब्रिटेन को यूरोपीय संघ का सदस्य बने रहना चाहिए या यूरोपीय संघ छोड़ देना चाहिए“
क्या है बेन अधिनियम
- बेन अधिनियम को औपचारिक रूप से यूरोपीय संघ (विदड्रॉल) (नंबर 2 एक्ट) 2019 कहा जाता है और यह ब्रिटेन की संसद का एक अधिनियम है, जो कानूनी तौर पर कुछ परिस्थितियों में बातचीत की अवधि के लिए विस्तार की मांग करता है।
आर्टिकल 50
- 29 मार्च 2017 वो दिन था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने आर्टिकल 50 लागू किया था, जिसके तहत ठीक दो साल बाद 29 मार्च, 2019 को ब्रेक्जिट लागू होना था। इस लेख में उस कानूनी तंत्र का उल्लेख किया गया था, जिससे सदस्य देश यूरोपीय संघ से बाहर निकल सकते थे और 2009 में हस्ताक्षरित लिस्बन संधि के तहत यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देशों द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी।
जो चाहते हैं ब्रिटेन, यूरोपीय संघ छोड़े?
- ये लोग सोचते हैं कि यूरोपीय संघ ब्रिटेन को पीछे खींच रहा है. उनके मुताबिक ईयू व्यापार के लिए बहुत सारी शर्तें थोपता है और कई बिलियन पाउंड सालाना मेंबरशिप शुल्क वसूलता है लेकिन बदले में ज्यादा फायदा नहीं होता.
- वो चाहते हैं कि ब्रिटेन पूरी तरह से दोबारा अपनी सीमाओं पर नियंत्रण पा लें और उनके देश में काम या रहने के लिए आने वाले लोगों की संख्या घटा दें.
- ईयू सदस्यता का एक प्रमुख सिद्धांत है “मुक्त आवाजाही”, जिसका मतलब है कि किसी दूसरे ईयू देश में जाने या रहने के लिए वीज़ा की ज़रूरत नहीं पड़ती.
- वो “सबसे करीबी संघ” के विचार का विरोध करते हैं. उन्हें लगता है कि ये “यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ यूरोप” बनाने की तरफ कदम है
कौन चाहता है ब्रिटेन यूरोपीय संघ में रहे?
- प्रधानमंत्री डेविड कैमरन चाहते हैं कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ में रहे.
- कंजर्वेटिव पार्टी ने इस प्रचार में निष्पक्ष रहने की शपथ ली. लेबर पार्टी, एसएनपी, प्लाएड कमरी और लिबरल डेमोक्रेट्स सभी ईयू में रहने के पक्ष में हैं.
- अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी चाहते हैं कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ में ही रहे. ईयू देश जैसे फ्रांस और जर्मनी भी ऐसा ही चाहते हैं
- पोल के मुताबिक ब्रिटेन की जनता की राय भी इस मुद्दे पर बराबर बंटी दिखती है.
क्या टल सकता है ब्रेग्ज़िट?
- हां. यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने दिसंबर 2018 में ये फैसला दिया था. कि अगर ब्रिटेन चाहे, तो अलग होने का फैसला रद्द कर सकता है. वो चाहे, तो EU के साथ बना रह सकता है. मतलब इस प्रोसेस को कैंसल कर सकता है.
- इसके लिए उसे EU के बाकी देशों से इजाज़त भी नहीं लेनी होगी. ब्रिटेन जिन शर्तों के साथ, जिस तरह पहले EU का सदस्य था, उसे वैसे ही बने रहना होगा
क्या दूसरा रेफरेंडम हो सकता है?
- कई पार्टियां कह रही हैं कि दोबारा जनता के बीच जाएं और इसी मुद्दे पर फिर से जनमत संग्रह करवाएं.
- कइयों को लगता है कि शायद इस बार ब्रिटेन की बहुमत आबादी EU के साथ रहने का फैसला करेगी.
- स्कॉटिश नैशनल पार्टी (SNP), लिबरल डेमोक्रैट्स पार्टी, ग्रीन पार्टी, लेबर पार्टी के कई सांसद और कंजरवेटिव पार्टी के भी कई लोग फिर से रेफरेंडम करवाने के पक्ष में हैं. लेबर पार्टी भी कह रही है कि बिना किसी डील के EU छोड़ने से कहीं बेहतर है दूसरा रेफरेंडम करवाना. लेबर के मुखिया हैं जेरमी कॉर्बिन. वो चाहते हैं कि पहले चुनाव हो. फिर ब्रेग्ज़िट की डेडलाइन बढ़वाकर लेबर पार्टी अपने हिसाब से EU के साथ डील करे.
‘नो डील’ ब्रेग्ज़िट माने क्या?
- इसका मतलब होगा कि EU और ब्रिटेन बिना किसी समझौते के, बिना कुछ तय किए अलग हो जाएं. डील की स्थिति में चीजें को सिस्टम में लाने के लिए 21 महीने लंबा ट्रांज़िशन पीरियड होना है.
- मगर नो डील में ये नहीं होगा.
- कारोबार के, संस्थाओं के, तमाम नियम-कायदे रातोरात बदल जाएंगे. बहुत अव्यवस्था और अफरातफरी हो जाएगी. ऐसा हुआ तो जो होगा, उसके कुछ उदाहरण देख लीजिए-
- कारोबार-रातोरात कारोबार, सीमा शुल्क सबके नियम बदल जाएंगे. द्विपक्षीय व्यापार समझौते के बिना EU विश्व व्यापार संगन के नियमों के हिसाब से ब्रिटेन के साथ डील करेगा. EU और ब्रिटेन के बीच कारोबार में बहुत मुश्किल हो जाएगी. ब्रिटेन EU से सामान मंगवाएगा, तो उसपर ऊंचा आयात शुल्क लगेगा. ब्रिटेन में चीजें महंगी हो जाएंगी.
- एक-दूसरे के यहां रहने वाले नागरिक-अभी लगभग 13 लाख ब्रिटिश नागरिक EU के देशों में रहते हैं. ऐसे ही लाखों यूरोपियन नागरिक ब्रिटेन में रहते हैं. नागरिकता से जुड़े, एक-दूसरे के यहां रहने और कमाने-खाने से जुड़ी बातें पहले ही साफ नहीं होती, तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी. कइयों की नौकरियां चली जाएंगी. कई सारी फ्लाइट सेवाएं तक बंद हो सकती हैं.
- आयरिश सीमा-नॉदर्न आयरलैंड और रिपब्लिक ऑफ आयरलैंड के बीच की सीमा का क्या होगा, ये सवाल अनसुलझा ही रह जाएगा. ऐसी स्ठिति में सीमा शुल्क और इमिग्रेशन कानून कैसे तय होंगे?
बिना डील के निकलने का मतलब होगा खूब हाय-तौबा. ब्रिटेन में अभी बातचीत चल रही है. पार्टियों के बीच. कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं लोग. मगर फिलहाल तो बहुत सारी अनिश्चितता, बहुत सारा कन्फ्यूजन बना हुआ है.
क्यों विपक्ष नहीं है समर्थन में
- नवंबर 2018 में यूके और यूरोपीय संघ के बीच समझौते पर सहमति हुई थी, लेकिन सांसदों द्वारा तीन बार खारिज कर दिया गया है।
- कई कंजर्वेटिव सांसदों और डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी (उस समय मे की सरकार की सहयोगी रही) के लिए समर्थन न देने के पीछे मुख्य वजह आयरिश बैकस्टॉप है, जो उत्तरी आयरलैंड (ब्रिटेन का एक हिस्सा) और रिपब्लिक ऑफ आयरलैंड के बीच सीमा को नियंत्रित करता है।
- वर्तमान में, दोनों क्षेत्रों और वस्तुओं के बीच कोई ठोस सीमा मौजूद नहीं है और लोग बिना किसी नियामक जांच के दोनों तरफ आ जा सकते हैं।
- बैकस्टॉप कानून यह सुनिश्चित करता है कि ब्रेक्जिट के बाद भी आयरिश सीमा खुली रहेगी। लेकिन ब्रेक्जिट के बाद यूरोपीय संघ अपनी शुल्क प्रक्रिया लागू करना चाहता है। इसलिए यूरोपीय संघ और विपक्षियों के बीच हितों का टकराव है।
समझौता होने पर क्या होगा?
- अगर ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच समझौते पर सहमति बन जाती है तो इसे हाउस ऑफ कामंस (संसद) द्वारा अनुमोदित करने की आवश्यकता होगी, जो अब तक नहीं हुआ है।
- ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी समझौते को अस्वीकार करने के लिए दृढ़ है।
- हाल ही में, उत्तरी आयरिश डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी ने भी कहा कि वे इस सौदे का समर्थन नहीं करेंगे
आगे क्या?
- वोट डालने की तारीख को बढ़ाना यूरोपीय संघ पर निर्भर है। लेकिन अगर इसे बढ़ाया जाता है तो यह यूरोपीय संसद के समझौते में भी देरी करेगा, जो अगले सप्ताह के लिए निर्धारित है।
- हाउस ऑफ कामंस द्वारा पारित किए जाने के बाद ही यूरोपीय संसद इस सौदे की पुष्टि कर सकती है। मुमकिन है कि 30 नवंबर को नया ब्रेक्जिट दिवस होना संभव है, बशर्ते कि तब तक हाउस ऑफ कामंस द्वारा यह समझौता पारित कर दिया गया हो।
- अगर ब्रेक्सिट होता है, तो हो सकता है व्यापार और परिवहन तंत्र को प्रभावित करने वाले ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों को निर्धारित करने वाली कोई शर्तें नहीं होंगी।
- दूसरी बात, यह संभव है कि यूरोपीय संघ को छोड़ने के लिए एक दूसरे को सार्वजनिक वोट के लिए बुलाया जाए और तीसरा, हाउस ऑफ कामंस में अपनी पार्टी के बहुमत को बहाल करने के लिए जॉनसन आम चुनावों की घोषणा कर सकते हैं। अन्यथा 2022 तक चुनाव नहीं होंगे।
28 अक्टूबर से 2 नवम्बर: सतर्कता जागरूकता सप्ताह
- केन्द्रीय सतर्कता आयोग प्रति वर्ष ‘सतर्कता जागरूकता सप्ताह’ (Vigilance Awareness Week) का आयोजन करता है.
- इस वर्ष यानी 2019 में यह सप्ताह 28 अक्टूबर से 2 नवम्बर तक आयोजित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य लोगों के सहयोग से सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देना है.
- सतर्कता जागरूकता सप्ताह का विषय- ‘निष्ठावान जीवन शैली’ रखा गया है. आयोग ने कहा है कि इस विषय से समाज के सभी वर्गों विशेषकर युवाओं को नैतिक आचरण का पता चलेगा और ईमानदार, भेदभाव रहित और भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाया जा सकेगा.
केंद्रीय सतर्कता आयोग
- केंद्रीय सतर्कता आयोग केंद्र सरकार में भ्रष्टाचार निरोध हेतु एक प्रमुख संस्था है।
- सतर्कता के मामले में केंद्र सरकार को सलाह तथा मार्गदर्शन देने के लिये के. संथानम की अध्यक्षता में गठित भ्रष्टाचार निवारण समिति की सिफारिशों के आधार पर फरवरी, 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग का गठन किया था।
- इस आयोग की स्थापना/अवधारणा एक ऐसे शीर्षस्थ सतर्कता संस्थान के रूप में की गई है, जो किसी भी प्रकार के कार्यकारी प्राधिकारी के हस्तक्षेप से मुक्त है।
- यह आयोग केंद्र सरकार के तहत सभी कार्यों की सतर्कता निगरानी करता है तथा सरकारी संगठनों में विभिन्न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, निष्पादन करने, समीक्षा करने तथा सुधार करने की सलाह देता है।
- 25 अगस्त, 1998 को राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश जारी कर आयोग को सांविधिक दर्ज़ा देकर इसे बहुसदस्यीय आयोग बना दिया गया।
- अब इस आयोग में 1 केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के साथ 2 अन्य आयुक्त भी होते हैं।
- संसद ने वर्ष 2003 में केंद्रीय सतर्कता आयोग विधेयक पारित किया तथा 11 सितंबर, 2003 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इसने अधिनियम का रूप लिया।
- इस प्रकार 2003 में केंद्रीय सतर्कता आयोग को सांविधिक दर्जा प्रदान किया गया।
भूमिका और कार्य
- दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) के कार्यकरण का अधीक्षण करना जहां तक वह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अधीन अपराधों अथवा लोक सेवकों की कतिपय श्रेणियों के लिए दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत किसी अपराध के अन्वेषण से संबंधित है-
- दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) को अधीक्षण के लिए निदेश देना जहां तक इनका संबंध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अन्तर्गत अपराधों के अन्वेषण से है
- केन्द्रीय सरकार द्वारा भेजे गए किसी संदर्भ पर जांच करना अथवा जांच या अन्वेषण करवाना-
- केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 की धारा 8 की उपधारा 2 में विनिर्दिष्ट पदाधिकारियों के ऐसे प्रवर्ग से संबंधित किसी पदधारी के विरूद्ध प्राप्त किसी शिकायत में जांच करना या जांच अथवा अन्वेषण कराना
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अधीन अभिकथित रूप से किए गए अपराधों में अथवा दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत किसी अपराध में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन द्वारा किए गए अन्वेषणों की प्रगति का पुनर्विलोकन करना
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अधीन अभियोजन की मंजूरी के लिए सक्षम प्राधिकारियों के पास लंबित आवेदनों की प्रगति का पुनर्विलोकन करना
- केन्द्रीय सरकार तथा इसके संगठनों को ऐसे मामलों पर सलाह देना जो इनके द्वारा आयोग को भेजे जाएंगे
- विभिन्न केन्द्रीय सरकारी मंत्रालयों, विभागों तथा केन्द्रीय सरकार के संगठनों के सतर्कता प्रशासन पर अधीक्षण रखना
- किसी भी जांच का संचालन करते समय आयोग को सिविल न्यायालय के सभी अधिकार प्राप्त होंगे
- संघ के कार्यों से संबंधित लोक सेवाओं तथा पदों पर नियुक्त व्यक्तियों से संबंधित अथवा अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों से संबंधित सतर्कता अथवा अनुशासनिक मामलों का नियंत्रण करने वाले कोई भी नियम अथवा विनियम बनाने से पहले आयोग से किए जाने अनिवार्य परामर्श पर केन्द्र सरकार को उत्तर देना
- केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त उस समिति के अध्यक्ष हैं तथा दोनों सतर्कता आयुक्त सदस्य हैं जिसकी सिफारिशों पर केन्द्रीय सरकार, प्रवर्तन निदेशक की नियुक्ति करती है
- प्रवर्तन निदेशक की नियुक्ति से संबंधित समिति को यह अधिकार भी है कि वह प्रवर्तन निदेशालय में उप निदेशक तथा इससे ऊपर के स्तर के पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति के लिए, प्रवर्तन निदेशक से परामर्श करने के पश्चात अपनी सिफारिशें दें
- केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त उस समिति के अध्यक्ष हैं तथा दोनों सतर्कता आयुक्त सदस्य हैं जिसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) में पुलिस अधीक्षक तथा इससे ऊपर के स्तर के पदों, निदेशक को छोड़कर, पर अधिकारियों की नियुक्ति तथा इन अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तारण अथवा लघुकरण करने के लिए, निदेशक (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) से परामर्श करने के पश्चात् अपनी सिफारिशें देने का अधिकार प्राप्त है- अनुभाग 26 तथा दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम, 1946