30/08/2024 : Indian Express Editorial in Hindi || सुप्रीम कोर्ट का जमानत पर रुख: बदलते नजरिए || Indian Express Editorial Analysis in Hindi (Arora IAS ) (Day-103)
विषय-1 : सुप्रीम कोर्ट का जमानत पर रुख: बदलते नजरिए
GS-2 : मुख्य परीक्षा : राजव्यवस्था
परिचय
मुख्य मामला: प्रेम प्रकाश बनाम प्रवर्तन निदेशालय में, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि “जेल अपवाद है, जमानत नियम है” के सिद्धांत को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज मामलों में भी लागू किया जाना चाहिए।
जेल अपवाद, जमानत नियम का सिद्धांत
मुख्य विचार: यह सिद्धांत मानता है कि लंबे समय तक मुकदमे से पहले की कैद अपने आप में एक सजा है और इससे बचा जाना चाहिए।
जमानत पर कोर्ट के नजरिए में बदलाव
कोर्ट के रुख में बदलाव: सुप्रीम कोर्ट का जमानत पर रुख विकसित हो रहा है, जिसमें कैद के मुकाबले जमानत के महत्व पर अधिक जोर दिया जा रहा है।
ऐतिहासिक संदर्भ: दो साल पहले, विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के कड़े प्रावधानों को बरकरार रखा था, लेकिन हाल के फैसलों ने इस रुख को कुछ हद तक नरम किया है।
प्रवर्तन निदेशालय के दुरुपयोग की आशंकाओं को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले
अक्टूबर 2023 का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) को गिरफ्तारी के लिए लिखित में कारण बताना अनिवार्य है। यह विजय मदनलाल के पहले के फैसले से एक बदलाव है, जिसमें आरोपी को प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR) साझा करना अनिवार्य नहीं था।
गिरफ्तारी के लिखित कारण: यह सुनिश्चित करता है कि आरोपी अदालत में गिरफ्तारी को चुनौती दे सके, जिससे प्रक्रियात्मक सुरक्षा में वृद्धि होती है।
जमानत पर कोर्ट के हालिया फैसले
लचीली व्याख्या: कोर्ट ने जमानत कानूनों की सख्त व्याख्या से बचते हुए, विशेषकर देरी से चल रहे मुकदमों में, इसे लचीला बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
लंबी कैद के बाद जमानत: अजय अजीत पीटर केरकर बनाम प्रवर्तन निदेशालय मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में भी, अगर कोई आरोपी अधिकतम सजा का आधा समय पूर्व-परीक्षण में बिता चुका है, तो उसे जमानत मिलनी चाहिए।
आगे का रास्ता
राजनीतिक दुरुपयोग को संबोधित करना: सुप्रीम कोर्ट के हालिया हस्तक्षेप केंद्र सरकार द्वारा राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के बढ़ते उपयोग की चिंताओं के बीच आए हैं।
व्यापक समीक्षा की आवश्यकता: अदालत को 2022 के विजय मदनलाल चौधरी के फैसले की पुन: समीक्षा करने की आवश्यकता है, ताकि आरोपी के लिए प्रक्रियात्मक सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके।
निष्कर्ष
न्याय को मजबूत करना: सुप्रीम कोर्ट का जमानत पर बदलता हुआ रुख और हाल के फैसले यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हैं कि “जमानत नियम है, जेल अपवाद है” का सिद्धांत विशेषकर PMLA और ED से संबंधित मामलों में लागू हो।