Indian Express Editorial Summary (Hindi Medium)

इंडियन एक्सप्रेस सारांश (हिन्दी माध्यम) 

विषय-1 : भारत-चीन संबंध: आशा की किरण

GS-2 : मुख्य परीक्षा :  IR

परिचय

  • संदर्भ: हाल ही में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को कम करने के लिए हुई बातचीत से उस बहुप्रतीक्षित सफलता की उम्मीद जगी है, जो वर्तमान राजनीतिक गतिरोध को समाप्त कर सकती है।

बातचीत में आशावाद

  • संरचनात्मक संवाद: नवीनतम बातचीत आगे की ओर देखने वाली थी, जिसमें दोनों पक्ष मतभेदों को कम करने और लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान की कोशिश कर रहे हैं।
  • राजनयिक जुड़ाव: विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी के बीच हुई दो त्वरित बैठकें भी स्थिति में प्रगति की उम्मीद को बढ़ाती हैं।

भिन्न दृष्टिकोण

  • सावधानी की आवश्यकता: दिल्ली और बीजिंग के बीच वार्ता के तरीकों में भिन्नता का मतलब है कि आशावाद को संतुलित किया जाना चाहिए।
  • भारत का रुख: भारत का मानना है कि सीमा की स्थिति द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति को दर्शाती है।
  • चीन की दलील: चीन भारत की इस शर्त का विरोध करता है और संबंधों को सामान्य करने के लिए सीमा मुद्दे के समाधान से पहले आगे बढ़ने का आग्रह करता है।

वर्तमान स्थिति

  • साझा आधार की ओर बढ़ना: उम्मीद है कि दोनों देश धीरे-धीरे समाधान की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
  • सैन्य विघटन: कई दौर की बातचीत में, दोनों सेनाओं ने कई विवादित बिंदुओं से विघटन किया है।
  • मुख्य ध्यान: वर्तमान में, प्रयास पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में पुराने मुद्दों को सुलझाने पर केंद्रित हैं।

स्थिति में बदलाव और महसूस करना

  • चीन की समझ: बीजिंग को अपनी सैन्य आक्रामकता की कीमत का एहसास हो रहा है, जिसमें भारत के साथ बिगड़ते संबंध और व्यापार के अवसरों का नुकसान शामिल है।
  • भारत का दृष्टिकोण: भारत भी समझता है कि जब अधिकांश प्रमुख शक्तियाँ, जिसमें क्वाड साझेदार भी शामिल हैं, चीन के साथ बातचीत कर रहे हैं, तब बीजिंग के साथ सामान्य बातचीत न होने से चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं।
  • संभावित समझौता: एक संभावित समझौता यह हो सकता है कि चीन पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को कम करने के लिए सहमत हो, और भारत राजनीतिक संवाद बहाल करे और चीन के साथ वाणिज्यिक प्रतिबंधों को समाप्त करे।

आगे का रास्ता

  • सरकार की भूमिका: भारत सरकार को विपक्षी दलों, विदेश नीति समुदाय और जनता के साथ संभावित समझौते की रूपरेखा को स्पष्ट करना चाहिए और यह बताना चाहिए कि यह भारत के राष्ट्रीय हित में कैसे है।
  • जाल से बचाव: भारत के भीतर राजनीतिक ध्रुवीकरण और अतिराष्ट्रवाद एक समझदार समाधान को बाधित नहीं करना चाहिए।

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