मैन्स सोर शॉट (13 सितम्बर 2019)
निम्नलिखित लेख ‘वाहन जुर्माना’ शीर्षक के अतिरिक्त बिंदु हैं, जो मोटर वाहन अधिनियम, 2019 में संशोधन से संबंधित हैं।
- लेख में मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 का परिणाम है कि कठोर दंड पर गंभीरता पर जोर दिया गया है।
- इसमें कहा गया है कि गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और केरल जैसे कई राज्यों ने अधिनियम के खिलाफ अपना आक्रोश दिखाया है और अपने राज्य में या तो कम जुर्माना लगाने का फैसला किया है या उच्च जुर्माना को अपनाने से इनकार किया है।
- लेख में तर्क दिया गया है कि अधिनियम के लागू होने से पहले सड़क के बुनियादी ढांचे में सुधार किया जाना चाहिए था (सड़कों की स्थिति, ट्रैफिक सिग्नल, साइनेज और सावधानी के निशान जो मोटर चालकों, साइकिल चालकों और पैदल यात्रियों को प्रभावित करते हैं, सभी इसके दायरे में आते हैं।) परिवहन दस्तावेजों को तेजी से जारी करने के लिए भी आवश्यक प्रशासनिक बदलाव किए जाने चाहिए।
- इसलिए यह तर्क है कि भारत में दुनिया की कुछ सबसे घातक सड़कें हैं, और केवल 2017 के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में 1,47,913 लोगों की मौत हो गई। यह सवाल उठता है कि क्या बेहतर जुर्माना इस रिकॉर्ड को बदल सकता है, जब अन्य निर्धारको में जैसे , प्रशासनिक सुधार में कुछ भी सुधार नहीं हुआ हो
- संशोधित कानून की धारा 198 (ए), जो कि सुधार का मुख्य बिंदु है, यह स्पष्ट करता है कि नामित प्राधिकारी, ठेकेदार, सलाहकार, या रियायतकर्ता को अगर अपनी जिम्मेदारियों का सही ढंग से निर्वहन नहीं करने के लिए पाया जाता है और इससे विकलांगता या मृत्यु किसी की हो जाती है तो वे लोग 1 लाख का जुर्माना अदा करने के लिए उत्तरदायी होंगे।
- यह एक अच्छा कदम है, लेकिन ठेकेदारों पर लगाए गए इस मामले में जुर्माना अधिक होना चाहिए था और खंड ऐसा नहीं होना चाहिए कि ठेकेदार या दूसरों के सामने कोई दुर्घटना होने तक इंतजार करना पड़े।
- यह भी रेखांकित करता है कि राज्य सरकारों को अपने क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरणों में भी सुधार करना चाहिए, क्योंकि ये कार्यालय आमतौर पर भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है।
- साथ ही मंत्रालय द्वारा क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी को अनिवार्य किया जा सकता था ताकि कम समस्या आये । तथा,
- अंत में उस संस्कृति का अंत होना चाहिए जो सरकारी वाहनों और वीआईपी को सड़क नियमों की अनदेखी करने की अनुमति देता है और औसत नागरिक को उनका पालन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
- इसके अलावा बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव की सिफारिश करने और पेशेवर दुर्घटना जांच को सक्षम करने के लिए राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड को तत्काल गठित करने की आवश्यकता है।