गुजराल सिद्धांत

 

गुजराल सिद्धांत का प्रतिपादन भारत की विदेश नीति में मील का पत्थर माना जाता है. इसका प्रतिपादन देवगौड़ा सरकार में विदेश मंत्री रहे श्री इंदर कुमार गुजराल ने 1996 में किया था. यह सिद्धांत कहता है कि भारत को दक्षिण एशिया का बड़ा देश होने के नाते अपने छोटे पड़ोसियों को एकतरफ़ा रियायत दे और उनके साथ सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध रखे.

यह वही गुजराल थे जिन्होंने विदेश मंत्री रहते हुए 1996 में भारत को CTBT पर दस्तखत नहीं करने दिये थे और आज भारत अपने आप को परमाणु शक्ति समपन्न देश घोषित करने में कामयाब हो सका है.

गुजराल सिद्धांत” के मुख्य बिंदु क्या है?

1. गुजराल सिद्धांत का मूल मंत्र यह था कि भारत को अपने पडोसी देशों मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान के साथ विश्वसनीय सम्बन्ध बनाने होंगे उनके साथ विवादों को बातचीत से सुलझाना होगा और उन्हें दी गई किसी मदद के बदले में तुरंत कुछ हासिल करने की अपेक्षा नहीं करनी होगी साथ ही किसी भी प्राकृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संकट को सुलझाने में मदद करनी होगी.

शायद यही कारण है कि आपने भारत को अपने पडोसी देशों में भूकंप आदि स्थिति में मदद करते हुए देखा होगा

2. किसी भी देश को एक दूसरे के आन्तरिक मामलों में दखल नही देना चाहिए.

3. दक्षिण एशिया का कोई भी देश अपनी जमीन से किसी दूसरे देश के खिलाफ देश-विरोधी गतिविधियां नहीं चलाएगा.

4. सभी दक्षिण एशियाई इस क्षेत्र के विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाएंगे.

5. इस क्षेत्र के देश एक-दूसरे की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करेंगे और किसी भी संकट से निपटने के लिए एक दूसरे की आर्थिक और श्रमिक रूप से मदद करेंगे.

इस प्रकार गुजराल सिद्धांत; गैर पारस्परिकता (non mutual) के सिद्धांत के आधार पर अपने छोटे पड़ोसियों के प्रति बड़े भाई की तरह नम्र दृष्टिकोण रखेगा और उनके साथ हर संभव सौहार्दपूर्ण संबंधो पर जोर देगा. इसका प्रमाण है गुजराल द्वारा दिसम्बर, 1996 में बांग्लादेश के साथ फरक्का समझौता और गंगाजल का एक हिस्सा उसे देना.

हालाँकि आलोचक यह बात भी सामने रखते रहे हैं कि भारत का गुजराल सिद्धांत कामयाब नही हो सका है क्योंकि भरत के पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से वहां के सरकार विरोधी तत्वों ने हमेशा ही भारत के खिलाफ विरोध का झंडा लहराकर अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश की है. ये देश चाहे नेपाल हो, बांग्लादेश हो या फिर मालदीव और श्रीलंका. उम्मीद के मुताबिक ये देश चीन के इशारे पर भी भारत के खिलाफ जहर उगलते रहे हैं.

लेकिन गुजराल सिद्धांत को भारत की विदेश नीति में एक बड़ा योगदान कहना गलत इसलिए नहीं होगा क्योंकि गुजराल के बाद के तमाम प्रधानमंत्रियों ने बिना गुजराल सिद्धांत का नाम लिए, इसी नीति को आधार बनाकर भारत की विदेश नीति को चलाने की कोशिश की है. दक्षिण एशिया के 8 सदस्य देशों को सार्क के झंडे तले जिस तरह भारत ने व्यापार की एकतरफा रियायतें दी हैं, वह इसका बड़ा प्रमाण है.

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