तापमान को प्रभावित करने वाले कारक

आज हम तापमान (temperature) को प्रभावित करने वाले कारकों (factors) की चर्चा करेंगे. किसी क्षेत्र का तापमान क्यों अधिक और क्यों कम होता है, इस बात को हम इस आर्टिकल के द्वारा समझने की कोशिश करेंगे. यदि किसी क्षेत्र का तापमान अधिक है तो इसका साफ़ मतलब होता है कि वहाँ बहने वाली वायु गर्म है. इसलिए क्यों न हम ये जानें कि वायु का तापक्रम किन चीजों से प्रभावित होता है? पृथ्वी के विभिन्न भागों में वायु के तापक्रम पर प्रभाव डालने वाली प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं  –

अक्षांश (Latitude)

पृथ्वी की उभरी हुई गोलाई के कारण उस पर सभी जगह एक-सी सूर्य की किरणें नहीं पड़तीं. कहीं वे सीधी पड़ती हैं और कहीं तिरछी. सीधी किरणों की अपेक्षा तिरछी किरणें अधिक क्षेत्र में फैलती हैं, फलतः उनसे पृथ्वी पर कम गर्मी उत्पन्न होती है और उसके सम्पर्क में आने वाली वायु कम गर्म हो पाती है.

इस चित्र में विषुवतीय (Equator) रेखा पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ रही हैं और ध्रुवों पर तिरछी. ध्रुवों के पास अपेक्षाकृत अधिक क्षेत्र में किरणें फैलती हैं. साथ ही, विषुवत् रेखा (equator) पर सूर्य की किरणों को वायुमंडल का कम भाग और ध्रुवों पर अपेक्षाकृत अधिक भाग तय करना पड़ता है जिससे किरणों की गर्मी का अधिकांश भाग वायुमंडल सोख लेता है अथवा परावर्तित कर देता है. इन कारणों (factors) से ध्रुवीय प्रदेश या उच्च अक्षांश वाले भागों में उतना अधिक तापक्रम नहीं मिलता जितना विषुवतरेखीय प्रदेश में.

 

ऊँचाई (ALTITUDE)

प्रति 300 फुट की ऊँचाई पर जाने से 1° Fahrenheit की कमी हो जाती है. अतः कोई स्थान विषुवत रेखा पर ही क्यों न पड़े, यदि वह काफी ऊँचाई पर स्थित है तो वहाँ अक्षांश (ऊपर जो हमने वर्णन किया है) का प्रभाव नष्ट हो जायेगा और तापमान में कमी आ जाएगी. मैदानों की अपेक्षा पहाड़ और पठार इसी कारण ठन्डे हैं. दक्षिणी अमेरिका के Quito (Ecuador की राजधानी) में हमेशा वसंत ऋतु रहता है. इसका कारण है उसकी 9,000 ft की ऊँचाई पर स्थित होना. जबकि वह विषुवत् रेखा पर ही बसा हुआ है. ऊपर की वायु का दबाव नीचे की अपेक्षा कम है और इससे उसका तापमान कम हो जाता है.

जल और स्थल का वितरण (DISTRIBUTION OF LAND AND WATER)

जल की अपेक्षा स्थल जल्द गर्म होता है और जल्द ठंडा भी होता है. फलस्वरूप उसके संपर्क में आने वाली वायु भी जल्द गर्म और जल्द ठंडी हो जाती है. इसके ठीक विपरीत जल के नजदीक वाले स्थान देर से गर्म और देर से ठन्डे होते हैं. यही कारण है कि समुद्र के किनारे के स्थानों में गर्मी के मौसम में उतना अधिक तापमान नहीं मिलता जितना उन्हीं अक्षांशों पर स्थित देश के भीतरी भागों में मिलता है. दूसरे शब्दों में समुद्र के नजदीक वाले भागों का ताममान कम रहता है.

बहने वाले पवन (PREVAILING WINDS)

बहने वाले पवन यदि गर्म प्रदेशों से आ रहे हों तो तापक्रम बढ़ जाता है और इसके विपरीत ठन्डे प्रदेशों से आ रहे पवन तापमान घटा देते हैं. उदाहरण के लिए साइबेरिया से आने वाले पवन जाड़े में मध्य एशिया और यूरोप के तापक्रम को बहुत कम कर देते हैं.

पहाड़ों की स्थित 

पहाड़ों की स्थिति का भी तापक्रम पर प्रभाव पड़ता है. इस चित्र में “क” और “ख” दो स्थान एक ही अक्षांश पर और समुद्रतल से समान ऊँचाई पर स्थित हैं, फिर भी दोनों का तामपान सामान नहीं है. “क” का तापक्रम “ख” से अधिक रहता है. कारण यह है कि “क” पश्चिमी गर्म हवा से प्रभावित है मगर “ख” इस प्रभाव से एकदम बच जाता है. “ग”, जो “ख” से अधिक ऊँचाई पर स्थित है (अतः वहाँ तापमान कम होना चाहिए), वह “ख” से अधिक गर्म रहता है क्योंकि वहाँ पश्चिमी गर्म हवा सीधी पहुँच जाती है. इससे यह स्पष्ट है कि पहाड़ों की स्थिति भी तापक्रम को प्रभावित करती है.

जलधाराएँ (Ocean Currents)

समुद्र में गर्म जलधाराएँ भूमध्य रेखा (विषुवतीय रेखा) से ध्रुवों की ओर और ठंडी धाराएँ भूमध्य रेखा की ओर चला करती हैं. गर्म धाराओं के सम्पर्क में आनेवाले स्थानों का तापक्रम अधिक और ठंडी धाराओं के सम्पर्क में आने वाले स्थानों का तापक्रम कम होता है. उदाहरण के लिए, गल्फस्ट्रीम (gulf stream) के प्रभाव से उत्तरी-पश्चिमी यूरोप का तापमान उन्हीं अक्षांशों में स्थित पूर्वी यूरोप या पश्चिमी एशिया से अधिक बढ़ जाता है.

तापक्रम पर प्रभाव डालने वाली अन्य कारक भूमि की ढाल (Slope of the land), मिट्टी के प्रकार (Soil Types), वनस्पति (Vegetation), आद्रता (Humidity) आदि भी हैं.

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