नीति आयोग

नीति आयोग एक गैर – संवैधानिक निकाय (Non-Constitutional Body) है , इसकी स्थापना 1 Jan 2015 को नीति आयोग ( National Institute of Transforming India – NITI ) की स्थापना योजना आयोग के उत्तराधिकारी के रूप में की गयी |

कार्य

  • नीति आयोग भारत सरकार का एक ” थिंक टैंक “ है, जो भारत सरकार की नीति निर्माण में सहायता करता है |
  • भारत सरकार के लिए रणनीतिक एवं दीर्घकालीन नीतियों एवं कार्यक्रम को तैयार करना |
  • केंद्र व राज्य सरकारों को योजनाओं को तैयार करने में तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना |
  • राष्ट्र के विकास में राज्यों की बराबर भागीदारी के रूप में सशक्त भूमिका सुनिश्चित करना (अर्थात् सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना)

वित्त मंत्री ” अरुण जेटली ” के अनुसार  65 वर्ष पुराना योजना आयोग एक निरर्थक संगठन बनकर रह गया था क्योकिं भारत एक विविधतापूर्ण देश है तथा इसके विभन्न राज्य अपनी ताकत व कमजोरियों के साथ आर्थिक विकास के विभन्न चरणों में है , अत: योजना आयोग के अंतर्गत सबके लिए सामान नीति वाला आर्थिक नियोजन अब पुराना पड़ चुका है |

संरचना

अध्यक्ष  भारत का प्रधानमंत्री

शासी परिषद् (Governing Council) – इसके अंतर्गत सभी राज्यों के मुख्यमंत्री , केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री (Delhi & Puducheri) तथा  अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के उप-राज्यपाल सम्मिलित होते है |

क्षेत्रीय परिषदे (Regional Council) – इस परिषद् की बैठक प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार होती है , जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग का अध्यक्ष अथवा उसके द्वारा नामित व्यक्ति करते है | इनका गठन एक या एक से अधिक राज्यों से संबंधित विशिष्ट मुद्दों के समाधान के लिए किया जाता है तथा इनका निश्चित कार्यकाल होता है |

विशिष्ट आमंत्रित – इसके अंतर्गत वें व्यक्ति शामिल होते है जो संबंधित कार्यक्षेत्र की विशेष जानकारी रखते है |

पूर्णकालिक संगठनिक ढांचा 

उपाध्यक्ष – इसे प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाता है तथा इसका पद कैबिनेट मंत्री के समकक्ष होता है इसके प्रथम उपाध्यक्ष – “अरविंद पनगढ़िया ” थे तथा द्वितीय उपाध्यक्ष – राजीव कुमार (वर्तमान) है |

सदस्य –  यह नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य होते है जिनका पद राज्यमंत्री के समकक्ष होता है |

अंशकालिक सदस्य  –  इसके अंतर्गत अधिकतम 2 सदस्य नियुक्त किए जाते है विश्वविद्यालयों तथा अन्य प्रासंगिक संस्थाओं से आते है और पदेन सदस्य के रूप में कार्य करते है |

पदेन सदस्य – इसमें प्रधानमंत्री द्वारा केंद्रीय मंत्रीपरिषद् के अधिकतम 4 सदस्य नियुक्त किए जाते है |

मुख्य कार्यकारी अधिकारी – यह प्रधानमंत्री द्वारा एक निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाता है जो भारत सचिव के समकक्ष होता है |

नीति आयोग की मुख्य शाखाएं –

Team India Hub – इसके अंतर्गत केंद्र सरकार व राज्य सरकार के मंत्रालय के प्रतिनिधि होते है जो साथ मिलकर राष्ट्रीय विकास के कार्य में सहकारी संघवाद के सिद्धांत को प्रतिपादित करते है |

शोध शाखा (Knowledge & Innovation Hub) – इसके अंतर्गत प्रत्येक क्षेत्र के विभन्न विषयों के विशेषज्ञ शामिल होते है , जो साथ मिलकर देश के विकास के लिए एक थिंक टैंक की तरह कार्य करते है और नए क्षेत्रों के शोध को बढ़ावा देते है |

कार्य

  • नीति निर्माण में भारत सरकार की सहायता करना |
  • सहकारी संघवाद के आधार पर राज्यों की नीति निर्माण में सहायता करना |
  • योजनाओं के आवश्यकतानुसार लघुकालिक , मध्यकालिक व दीर्घकालिक योजना तैयार करना |
  • विकास कार्यों में प्रोद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देना|
  • उद्यमिता , वैज्ञानिक दृष्टिकोण व बौद्धिक मानव सम्पदा का लाभ उठाना व प्रोत्साहित करना |
  • अप्रवासी भारतीय समुदाय के भू-आर्थिक एवं भू-राजनीतिक सामर्थ्य को साथ लाना |

अधीनस्थ कार्यालय 

IAMR (Institute of Applied Manpower Research) योजना आयोग के अधीन एक अधीनस्थ कार्यालय था , जिसकी स्थापना सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट – 1860 के अंतर्गत 1962 में हुई थी इसका मुख्य उद्देश्य मानव संसाधन की प्रकृति , विशेषताओं एवं उपयोग के बारे में शोध , शिक्षा , प्रसिक्षण एवं परमर्शिता के माध्यम से ज्ञान को बढ़ाना है |

9 जून 1914 को IAMR का नाम बदलकर राष्ट्रीय श्रम अर्थशास्त्र शोध एवं विकास संस्थान (National Institute of Labour Economics Research and Development) कर दिया गया , जिसे नीति आयोग द्वारा अनुदान के रूप में सहायता राशि प्राप्त होती है इसका मुख्य उद्देश्य ऐसे संस्थागत ढांचे का निर्माण करना है जिसमे व्यवहारिक मानव संसाधन नियोजन शोध प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप से स्थायी आधार पर चलाया जा सके |

 

 

नीति आयोग के कार्य और भूमिकाओं का उल्लेख करते हुए इसके समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करें।

उत्तर :

वर्तमान आर्थिक परिदृश्य और विकास की आवश्यकताओं को देखते हुए भारत सरकार ने योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग (NITI: National Institution for Transforming India) की स्थापना की। इसका उद्देश्य निजी क्षेत्र को बाधित किये बिना नीति निर्माण में निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ाते हुए प्रतिस्पर्धी संघवाद एवं सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना है।

नीति आयोग के कार्य और भूमिकाः कैबिनेट प्रस्ताव द्वारा नीति आयोग के लिये अनेक कार्यों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें चार प्रमुख शीर्षकों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है-

(i) सहकारी संघवाद को बढ़ावा देनाः 

  • समवर्ती सूची के विषयों पर केंद्र एवं राज्यों के कार्यों की ओवरलैपिंग से निपटना।
  • सूचनाओं एवं अनुभवों के आदान-प्रदान की सुविधा के माध्यम से स्वस्थ अंतर-सरकारी प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
  • केंद्र प्रायोजित योजनाओं को युक्तिसंगत बनाने का कार्य भी नीति आयोग का सौंपा गया था जिसे आयोग ने पूरा कर लिया है। 

(ii) रणनीतिक दृष्टिकोण तथा दीर्घकालिक नीतियों के लिये फ्रेमवर्क का निर्माणः 

  • राष्ट्रीय स्तर पर विकास के लिये गाँव, ब्लॉक और जिला स्तर पर ‘बॉटम-अप अप्रोच’ से नियोजन करना एवं राज्य सरकारों के निचले स्तर तक नीतियों की रूपरेखा तैयार करना। 
  • मैक्रो एवं क्षेत्रीय स्तर के साथ-साथ जमीनी स्तर पर भी नियोजन करना।

(iii) नवोन्मेष और ज्ञान केंद्र के रूप में विकासः

  • नीति आयोग की भूमिका रणनीतिक नियोजन के लिये हितधारकों के बीच भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये एक थिंक-टेंक के रूप में है। इसके लिये इसने नीति व्याख्यान, अटल इनोवेशन मिशन (AIM) जैसे नवोन्मेषी कदम भी उठाए हैं।

(iv) समन्वयः

  • आयोग का एक प्रमुख कार्य अंतर-सरकारी और अंतर-विभागीय समन्वय सुनिश्चित करना है जो पर्यावरण संरक्षण, सुरक्षा, विकास आदि के लिये आवश्यक है।

चुनौतियाँः

  • नीति आयोग की व्यापक भूमिका एवं कार्यों को देखते हुए अधिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिये इसे वित्त आयोग की तरह संवैधानिक निकाय बनाना चाहिये।
  • नीति आयोग की संरचना को देखते हुए यह आशंका जताई जाती है कि इस पर नौकरशाही के हावी होने का खतरा है।
  • नीति आयोग के साथ विभिन्न मंत्रालयों के संघर्ष का खतरा है क्योंकि अनेक मुद्दों पर ओवरलैपिंग की संभावनाएँ बनी रहेंगी।

निष्कर्षः नीति आयोग की सफलता मुख्यतः केंद्र-राज्य समन्वय पर निर्भर रहेगी अतः केंद्र सरकार को राज्यों को अपने विश्वास में  लेने का प्रयास करना चाहिये। इस संबंध में अंतर-राज्यीय परिषद के साथ नीति आयोग का समन्वय एक वांछनीय कदम होगा। 

 

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *