भारत के वायसराय
लार्ड कैनिंग (Lord Canning)
कार्यकाल – 1 नवम्बर 1858 – 21 मार्च 1862
- 1858 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियम द्वारा इसे भारत का प्रथम वायसराय बनाया गया।
मुख्य घटना और कार्य
- कैनिंग के कार्यकाल में IPC, CPC तथा CrPC जैसी दण्डविधियों को पारित किया गया।
- कैनिंग के समय में ही लंदन विश्वविद्यालय की तर्ज पर 1857 में कलकत्ता, मद्रास, और बम्बई विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई।
- 1861 का भारतीय परिषद् अधिनियम कैनिंग के समय में ही पारित हुआ।
- कैनिंग के कार्यकाल में ही भारतीय इतिहास का प्रसिद्द नील विद्रोह भी हुआ।
- 1861 का भारतीय परिषद् अधिनियम कैनिंग के समय में ही पारित हुआ।
- इसके समय में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 ई. में स्वतन्त्र रूप से लागु हुआ।
लार्ड एल्गिन (Lord Elgin)
कार्यकाल – 21 मार्च 1862 – 20 नवम्बर 1863
मुख्य घटना और कार्य
- इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता थी- ‘वहाबी आंदोलन’ का सफलतापूर्वक दमन।
- लार्ड एल्गिन की 1863 ई. में धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में मृत्यु हो गई।
सर रॉबर्ट नेपियर (Sir Robert Napier)
कार्यकाल – 21 नवम्बर 1863 – 2 दिसम्बर 1863
- सर रॉबर्ट नेपियर को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।
सर विलियम डेनिसन (Sir William Denison)
कार्यकाल – 2 दिसम्बर 1863 – 12 जनवरी 1864
- सर विलियम डेनिसन को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।
सर जॉन लॉरेंस (Sir John Lawrence)
कार्यकाल – 12 जनवरी 1864 – 12 जनवरी 1869
मुख्य घटना और कार्य
- जॉन लॉरेंस ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप न करने की नीति का पालन किया, इसके कार्यकाल में यूरोप के साथ संचार वयवस्था (1869-1870) कायम की गयी।
- जॉन लॉरेंस के ही कार्यकाल में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास में उच्च न्यायालयों की स्थापना की गयी।
- इसके कार्यकाल में पंजाब में काश्तकारी अधिनियम पारित किया गया।
लार्ड मेयो Lord Mayo
कार्यकाल – 12 जनवरी 1869 – 8 फ़रवरी 1872
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड मेयो के कार्यकाल में भारतीय सांख्यिकीय बोर्ड का गठन किया गया।
- भारत में अंग्रेजो के समय में प्रथम जनगणना 1872 ई. में लार्ड मेयो के समय में हुई थी।
- मेयो के काल में 1872 ई. में अजमेर, राजस्थान में मेयो कॉलेज की स्थापना की गई।
- 1872 ई. में कृषि विभाग की स्थापना भी मेयो के काल में हुई थी।
- लार्ड मेयो की एक अफगान ने 1872 ई. में चाकू मार कर हत्या कर दी।
सर जॉन स्ट्रेची (Sir John Strachey)
कार्यकाल – 9 फ़रवरी 1872 – 23 फ़रवरी 1872
- सर जॉन स्ट्रेची को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।
द लॉर्ड नेपियर (The Lord Napier)
कार्यकाल – 24 फ़रवरी 1872 – 3 मई 1872
- द लॉर्ड नेपियर को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।
लार्ड नार्थब्रुक (Lord Northbrook)
कार्यकाल – 3 मई 1872 – 12 अप्रैल 1876
- इसके समय में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा।
मुख्य घटना और कार्य
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भारत में उसकी नीति “करों में कमी, अनावश्यक क़ानूनों को न बनाने तथा कृषि योग्य भूमि पर भार कम करने” की थी।
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लार्ड नार्थब्रुक के समय में पंजाब में कूका आन्दोलन हुआ।
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नार्थब्रुक ने 1875 में बड़ौदा के शासक गायकवाड को पदच्युत कर दिया।
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नार्थब्रुक के कार्यकाल में प्रिंस ऑफ़ वेल्स एडवर्ड तृतीय की भारत यात्रा 1875 में संपन्न हुई।
-
इसी के समय में स्वेज नहर खुल जाने से भारत एंव ब्रिटेन के बिच व्यापार में वृद्वि हुई।
लार्ड लिटन (Lord Lytton)
कार्यकाल – 12 अप्रैल 1876 – 8 जून 1880
- इसका पूरा नाम ‘रॉबर्ट बुलवेर लिटन एडवर्ड’ था, एंव इनका एक उपनाम ‘ओवेन मेरेडिथ‘ भी था।
- यह एक प्रसीद उपन्यासकार, निबंध-लेखक एंव साहित्यकार था, साहित्य में ऐसे ‘ओवेन मेरेडिथ’ नाम से जाना गया।
मुख्य घटना और कार्य
- इसमे समय में बम्बई, मद्रास, हैदराबाद, पंजाब एंव मध्य भारत में भयानक अकाल पड़ा।
- इसने रिचर्ड स्टेची की अध्यक्षता में अकाल आयोग की स्थापना की।
- लार्ड लिटन के कार्यकाल में प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया और एक राज-अधिनियम पारित करके 1877 में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को ‘कैसर-ए-हिन्द’ की उपाधि से विभूषित किया गया।
- लिटन ने अलीगढ में एक मुस्लिम एंग्लो प्राच्य महाविधालय की स्थापना की।
- इसके कार्यकाल में 1878 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट (Vernacular Press Act) पारित किया गया, जिसके कारण कई स्थानीय भाषाओँ के समाचार पत्र आदि को ‘विद्रोहात्मक सामग्री’ के प्रकाशन का आरोप लगाकर बंद कर दिया गया।
- इसके समय में शस्त्र एक्ट (आर्म्स एक्ट) 1878 पारित हुआ, जिसमे भारतीयों को शस्त्र रखने और बेचने से रोका गया।
- इसने सिविल सेवा परीक्षाओं में प्रवेश की अधिकतम आयु सिमा घटाकर 19 वर्ष कर दी।
लार्ड रिपन (Lord Ripon)
कार्यकाल – 8 जून 1880 – 13 दिसम्बर 1884
मुख्य घटना और कार्य
- रिपन ने समाचारपत्रों की स्वतंत्रता को बहाल करते हुए 1882 ई. में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को रद्द कर दिया, जिस कारण इसे प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है।
- रिपन ने सिवल सेवा में प्रवेश की अधिकतम आयु को 19 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दिया।
- रिपन के काल में भारत में 1881 ई. में सर्वप्रथम नियमित जनगणना करवाई गई।
- 1881 ई. में प्रथम कारखाना अधिनियम रिपन के द्वारा लाया गया।
- रिपन के समय में 1882 में शिक्षा के क्षेत्र में सर विलियम हंटर की अध्यक्षता में हंटर आयोग (Hunter Commission) का गठन हुआ और 1882 में स्थानीय शासन प्रणाली की शुरुआत हुई।
- 1883 में इल्बर्ट बिल (Ilbert Bill) विवाद, रिपन के समय में ही पारित हुआ, जिसमे भारतियों को भी यूरोपीय कोर्ट में जज बनने का अधिकार दे दिया गया था।
- फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने रिपन को भारत का उद्धारक की संज्ञा दी।
लार्ड डफरिन (Lord Dufferin)
कार्यकाल – 13 दिसम्बर 1884 – 10 दिसम्बर 1888
मुख्य घटना और कार्य
- डफरिन के काल में 28 दिसम्बर 1885 ई. को बम्बई में ए. ओ. ह्यूम के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।
- इसी समय बंगाल टेनेन्सी एक्ट (किराया अधिनियम), अवध टेनेन्सी एक्ट तथा पंजाब टेनेन्सी एक्ट पारित हुआ।
- डफरिन के समय में तृतीय आंग्ल-बर्मा युद्द हुआ और बर्मा को भारत में मिला लिया गया।
- लार्ड डफरिन के समय में अफगानिस्तान की उत्तरी सीमा का निर्धारण किया गया।
लार्ड लैंसडाउन (Lord Lansdowne)
कार्यकाल – 10 दिसम्बर 1888 – 11 अक्टूबर 1894
मुख्य घटना और कार्य
- भारत एंव अफगानिस्तान के बिच सिमा रेखा जिसे डूरण्ड रेखा के नाम से जाना जाता है, का निर्धारण 1893 ई. में लैंसडाउन के समय में हुआ।
- इस रेखा का निर्धारण ब्रिटिश अधिकारी सर मोर्टीमर डूरंड (Sir Mortimer Durand) और अफगान अमीर अब्दुर रहीम खान (Abdur Rahman Khan) के बीच हुआ।
- 1891 ई. में दूसरा कारखाना अधिनियम लाया गया, जिसमे महिलाओं को 11 घंटे प्रतिदिन से अधिक काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया।
- लार्ड लैंसडाउन के समय में 1891 में एज ऑफ़ कन्सेंट बिल (Age of Consent Act) पारित हुआ, जिसके अंतर्गत एक व्यक्ति के यौन कृत्यों के लिए सहमति की उम्र बढ़ा दी गयी, जिसमे लड़कियों की यौन सहमती की उम्र 10 वर्ष से बढाकर 12 वर्ष कर दी गयी।
- इससे कम उम्र में यौन सम्बन्ध बनाने पर इसे बलात्कार माना गया, चाहे वे विवाहित ही क्यों न हों।
लार्ड एल्गिन (Lord Elgin)
कार्यकाल – 11 अक्टूबर 1894 – 6 जनवरी 1899
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड एल्गिन के कार्यकाल में भारत में क्रांतिकारियों की शुरुआत हुई, और पूना के चापेकर बंधुओं (Chapekar brothers) दामोदर हरी चापेकर, बालकृष्ण हरी चापेकर और वसुदेव हरी चापेकर ने ब्रिटिश प्लेग कमिश्नर, डब्ल्यू. सी. रैंड (W. C. Rand) को गोली मारकर भारत की प्रथम राजनीतिक हत्या की।
- लार्ड एल्गिन के समय में ही भारत में देशव्यापी अकाल पड़ा, जिसमे करीब 45 लाख लोगों की मौत हुई।
- एल्गिन ने हिन्दुकुश पर्वत के दक्षिण में चित्राल राज्य के विद्रोह को दबाया।
लार्ड कर्जन (Lord Curzon)
कार्यकाल – 6 जनवरी 1899 – 18 नवम्बर 1905
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड कर्जन के कार्यकाल में सर एण्ड्रयू फ़्रेजर की अध्यक्षता में एक पुलिस आयोग का गठन किया गया। इस आयोग की अनुशंसा पर प्रान्तीय पुलिस की स्थापना व केन्द्रीय गुप्तचर विभाग की स्थाना (C.I.D.) की भी स्थापना की गई।
- कर्जन के समय में उत्तरी पश्चिमी सीमावर्ती प्रान्त (North West Frontier Province) की स्थापना भी की गयी।
- शैक्षिक सुधारों के अन्तर्गत कर्ज़न ने 1902 ई. में सर टॉमस रैले (Sir Thomas Ralley) की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया।
- कर्जन के समय में 1904 में प्राचीन स्मारक संरक्षण अधियम पारित हुआ, जिसके द्वारा भारत में पहली बार ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा एवं मरम्मत की ओर ध्यान देने के लिए भारतीय पुरातत्त्व विभाग की स्थापना हुई।
- कर्ज़न ने 1901 ई. में सर कॉलिन स्कॉट मॉनक्रीफ (Sir Colin C. Scott-Moncrieff) की अध्यक्षता में एक सिंचाई आयोग का भी गठन किया।
- कर्जन के समय में भारत में भयानक अकाल भी पड़ा, जिससे करीब 60-90 लाख लोगों के मरने का अनुमान लगाया गया।
- 1899-1990 ई. में पड़े अकाल व सूखे की स्थिति के विश्लेषण के लिए सर एण्टनी मैकडॉनल (Antony MacDonnell) की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग का गठन किया गया।
- लॉर्ड कर्ज़न के समय में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य था – 1905 ई. में बंगाल का विभाजन, जिसके बाद भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों का सूत्रपात हो गया।
- 1905 ई. में लॉर्ड कर्ज़न ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
लार्ड मिन्टों द्वितीय (Lord Minto II)
कार्यकाल – 18 नवम्बर 1905 – 23 नवम्बर 1910
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड मिंटो के कार्यकाल में 1906 में मुस्लिम लीग (All-India Muslim League) की स्थापना हुई।
- इसके कार्यकाल में 1906 में कांग्रेस का सूरत का अधिवेशन हुआ जिसमे कांग्रेस का विभाजन हो गया, जिसका 1916 के लखनऊ अधिवेशन में पुनः एकीकरण हुआ।
- लॉर्ड मिण्टो के समय में मॉर्ले-मिंटो सुधार अधिनियम (Morley-Minto Reforms, 1909 ई.) पारित हुआ, जिसमे सरकार में भारतीय प्रतिनिधित्व में मामूली बढ़ोत्तरी हुई और हिन्दुओं और मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचक मण्डल बनाया गया।
- इसके कार्यकाल में खुदीराम बोस (Khudiram Bose) को फांसी दे दी गयी, जिसने प्रफुल्लकुमार चाकी (Prafulla Chaki) के साथ मिलकर कलकत्ता के मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड (Kingsford) की बग्घी पर बम फेंका था।
- मिंटो के ही कार्यकाल 1908 में बालगंगाधर तिलक को 6 वर्ष की सजा सुनाई गयी थी, क्योंकि तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया था, और इन्हें बर्मा की जेल में भेज दिया गया।
- लार्ड मिंटो के समय में अंग्रेजों ने बांटो और राज करो की नीति औपचारिक रूप से अपना ली थी।
लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (Lord Hardinge II)
कार्यकाल – 23 नवम्बर 1910 – 4 अप्रैल 1916
मुख्य घटना और कार्य
- लार्ड हार्डिंग के समय सन 1911 में जॉर्ज पंचम के आगमन पर दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया, साथ ही बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया गया।
- 1911 में ही बंगाल से अलग करके बिहार और उड़ीसा नाम से नए राज्यों का निर्माण हुआ।
- हार्डिंग के कार्यकाल में भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया।
- हार्डिंग के समय में ही सन 1914 में प्रथम विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ, जिसके लिए वह भारत का समर्थन पाने में सफल रहा।
- हार्डिंग के समय में 1913 में फ़िरोजशाह मेहता ने बाम्बे क्रानिकल एवं गणेश शंकर विद्यार्थी ने प्रताप का प्रकाशन किया।
- हार्डिंग के कार्यकाल में तिलक ने अप्रैल 1915 में और एनी बेसेंट ने सितम्बर 1915 में होमरूल लीग की स्थापना की।
- 1916 ई. में पंडित महामना मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिन्दू की स्थापना की और लॉर्ड हार्डिंग को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का कुलपति भी नियुक्त किया गया।
लार्ड चेम्सफोर्ड (Lord Chelmsford)
कार्यकाल – 4 अप्रैल 1916 – 2 अप्रैल 1921
मुख्य घटना और कार्य
- इसके कार्यकाल में तिलक और एनी बेसेंट ने अपने होमरूल लीग के आन्दोलन की शुरुआत की।
- 1916 में कांग्रेस और मुस्लिम लीग में एक समझौता हुआ जिसे लखनऊ पैक्ट के नाम से जाना जाता है।
- इसके समय में ही भारत में शौकत अली, मुहम्मद अली और मौलाना अबुल कलम आजाद द्वारा खिलाफत आन्दोलन (khilafat movement) की भी शुरुआत की गयी, जिसे बाद में गाँधी द्वारा चलाये गए असहयोग आन्दोलन (noncooperation movement) का भी समर्थन भी मिला।
- 1920 में ही मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कालेज (सैयद अहमद खान द्वारा 1875 में स्थापित) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना।
- चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में, सर सिडनी रौलट की अध्यक्षता में एक कमेटी नियुक्त करके रौलेट एक्ट (Rowlatt Acts) मार्च 1919 में पारित किया गया, जिससे मजिस्ट्रेटों को यह अधिकार मिल गया कि वह किसी भी संदेहास्पद स्थिति वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करके उस पर मुकदमा चला सकता था।
- चेम्सफोर्ड के समय में ही 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ।
- इसके समय में भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. व मॉण्टेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड सुधार (Montagu-Chelmsford reforms) लाया गया।
- 1916 ई. में पूना में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना तथा 1917 ई. में शिक्षा पर सैडलर आयोग (Sadler Commission) की नियुक्ति लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड के समय में ही की गई।
लार्ड रीडिंग (Lord Reading)
कार्यकाल – 2 अप्रैल 1921 – 3 अप्रैल 1926
मुख्य घटना और कार्य
- लॉर्ड रीडिंग के समय में गाँधी जी का भारतीय राजनीति में पूर्णरूप से प्रवेश हो चुका था।
- लार्ड रीडिंग के कार्यकाल में 1919 का रौलेट एक्ट वापस ले लिया गया।
- रीडिंग के समय में ही केरल में 1921 में मोपला विद्रोह (Moplah Rebellion) हुआ, जो खिलाफत आन्दोलन का ही एक रूप था, जिसके नेता वरीयनकुन्नाथ कुंजअहमद हाजी, सीथी कोया थंगल और अली मुस्लियर थे।
- लार्ड रीडिंग के ही कार्यकाल में 5 फरवरी 1922 को चौरी-चौरा की घटना हुई, जिसकी वजह से गाँधी जी ने अपना असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया।
- लार्ड रीडिंग के समय में 1921 में प्रिन्स ऑफ़ वेल्स (Prince of Wales) का भारत आगमन भी हुआ।
- लार्ड रीडिंग के कार्यकाल एम. एन. रॉय (Manabendra Nath Roy) द्वारा दिसम्बर 1925 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India, CPI) का भी गठन किया गया।
- 1922 में चितरंजन दास, नरसिंह चिंतामन केलकर और मोतीलाल नेहरू ने मिलकर स्वराज पार्टी (Congress-Khilafat Swarajaya Party) का गठन किया।
- लार्ड रीडिंग के कार्यकाल में दिल्ली और नागपुर विश्वविद्यालयों की भी स्थापना हुई।
लार्ड इरविन (Lord Irwin)
कार्यकाल – 3 अप्रैल 1926 – 18 अप्रैल 1931
मुख्य घटना और कार्य
- इरविन के कार्यकाल के दौरान गाँधी जी ने 12 मार्च, 1930 ई. में सविनय अवज्ञा आन्दोलन (Civil Disobedience Movement) की शुरुआत की।
- इरविन के कार्यकाल में 1919 ई. के गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट की समीक्षा करने के लिए, 1928 में साइमन कमीशन (Simon Commission) नियुक्त किया गया।
- साइमन कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन (Sir John Simon) थे, और इसके एक सदस्य क्लीमेंट एटली (Clement Attlee) भी थे, जो बाद में इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बने, जिनके कार्यकाल में 1947 में भारत और पाकिस्तान को स्वतंत्रता मिली।
- लार्ड इरविन के कार्यकाल में मोतीलाल नेहरु ने नेहरु रिपोर्ट पेश की, जिसमे भारत को अधिशसी राज्य (dominion status) का दर्जा देने की बात कही गयी।
- कांग्रेस ने 1930 ई. में महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्याग्रह आन्दोलन शुरू किया और अपने कुछ अनुयायियों के साथ दांडी यात्रा करके नमक कानून तोडा।
- इरविन के समय में लंदन में ब्रिटिश सरकार और गाँधी जी के बीच प्रथम गोलमेज सम्मलेन (Round Table Conferences.) हुआ।
- मार्च 1931 में गाँधी और इरविन के बीच गाँधी-इरविन समझौता (Gandhi-Irwin Pact) हुआ, जिसके बाद गाँधी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन (Civil Disobedience Movement) वापस ले लिया।
- इरविन के कार्यकाल में 1929 में, पब्लिक सेफ्टी बिल और लाला लाजपत रॉय की हत्या के विरोध में दिल्ली के असेम्बली हॉल में भगत सिंह और उनके साथियों ने बम फेंका।
- लार्ड इरविन के कार्यकाल में ही 1929 में प्रसिद्ध लाहौर षड्यंत्र एवं स्वतंत्रता सेनानी जतिनदास की 64 दिन की भूख हड़ताल के बाद जेल में मृत्यु हो गयी थी।
- इरविन ने खनन और भू-विज्ञान के विकास के लिए इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस, धनबाद (Indian School of Mines Dhanbad) की स्थापना भी की।
लॉर्ड विलिंगडन (Lord Willingdon)
कार्यकाल – 18 अप्रैल 1931 – 18 अप्रैल 1936
मुख्य घटना और कार्य
- लॉर्ड विलिंगडन के कार्यकाल में 1931 में. द्वितीय गोलमेज सम्मेलन और 1932 में तृतीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन लन्दन में हुआ।
- विलिंगडन के समय में 1932 में देहरादून में भारतीय सेना अकादमी (Indian Military Academy, IMA) की स्थापना की गयी| 1934 में गाँधी जी ने दोबारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया।
- 1935 में गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट पारित किया गया, एवं 1935 में ही बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया।
- विलिंगडन के समय में ही भारतीय किसान सभा की भी स्थापना की गयी।
- महात्मा गाँधी एवं अम्बेडकर के बीच 24 सितम्बर, 1932 ई. को पूना समझौता हुआ।
लार्ड लिनलिथगो (Lord Linlithgow)
कार्यकाल – 18 अप्रैल 1936 – 1 अक्टूबर 1943
मुख्य घटना और कार्य
- 1939 में सुभाष चन्द्र बोस ने कांग्रेस छोड़कर फॉरवर्ड ब्लाक नाम की अलग पार्टी का गठन कर लिया।
- लार्ड लिनलिथगो के समय में ही पहली बार मुस्लिम लीग द्वारा 1940 में पाकिस्तान की मांग की गयी।
- 1942 ई. में क्रिप्स मिशन(cripps mission) भारत आया।
- 1940 में कांग्रेस ने व्यक्तिगत असहयोग आन्दोलन प्रारंभ किया।
- लार्ड लिनलिथगो के कार्यकाल में गाँधी जी ने करो या मरो का नारा देते हुए भारत छोड़ो आन्दोलन की शुरुआत की।
लार्ड वेवेल (Lord Wavell)
कार्यकाल – 1 अक्टूबर 1943 – 21 फ़रवरी 1947
मुख्य घटना और कार्य
- 1945 में लार्ड वेवेल ने शिमला में एक समझौते का आयोजन किया, जिसे शिमला समझौता या वेवेल प्लान के नाम से जाना गया।
- वेवेल के समय में 1946 में नौसेना का विद्रोह हुआ था।
- 1946 में अंतरिम सरकार का गठन किया गया।
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने 20 फरवरी, 1947 को भारत को स्वतंत्र करने की घोषणा कर दी।
लार्ड माउंटबेटेन (Lord Mountbatten)
कार्यकाल – 21 फ़रवरी 1947 – 15 अगस्त 1947
- लॉर्ड माउंटबेटन भारत का अंतिम वायसराय था।
मुख्य घटना और कार्य
- लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून, 1947 को भारत के विभाजन की घोषणा की।
- 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम प्रस्तुत किया गया, जिसे 18 जुलाई, 1947 को पारित करके भारत की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी गयी।
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम द्वारा भारत को विभाजन करके भारत और पाकिस्तान नाम के दो राज्यों में बाँट दिया गया।
- 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (Chakravarti Rajagopalachari)
कार्यकाल – 15 अगस्त 1947 – 1948
- भारत की स्वतंत्रता के बाद 1948 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को स्वतंत्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया।