Arora IAS
कश्मीर – विलय पत्र से (Kashmir – from the Instrument of Accession)
राजव्यवस्था नोट्स
(Polity Notes in Hindi)
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् जम्मू और कश्मीर का विलय एक जटिल और विवादास्पद विषय रहा है। इस विषय को समझने के लिए हमें उस समय के राजनीतिक परिदृश्य और विलय पत्र जैसे दस्तावेजों की भूमिका पर गौर करना होगा।
पृष्ठभूमि:
- जम्मू और कश्मीर एक बहु-धार्मिक रियासत थी, जिसमें मुस्लिम बहुसंख्यक थे।
- इसके शासक, महाराजा हरि सिंह, एक हिंदू थे।
- भारत के विभाजन के समय, रियासत के पास भारत या पाकिस्तान में शामिल होने का विकल्प था।
महाराजा हरि सिंह का फैसला:
- महाराजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे और दोनों देशों के साथ रुझान बनाए रखने का प्रयास किया।
- उन्होंने देरी से 12 अगस्त 1947 को भारत के साथ एक रुके हुए विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस विलय पत्र में रक्षा, विदेश मामले और संचार विषयों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में भारत को अधिकार सौंपा गया था।
पाकिस्तान का आक्रमण:
- पाकिस्तान कश्मीर को अपने में मिलाना चाहता था। अक्टूबर 1947 में, कबायलियों और पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू और कश्मीर पर आक्रमण कर दिया।
- यह आक्रमण कश्मीर के भविष्य के लिए निर्णायक मोड़ साबित हुआ।
भारत का हस्तक्षेप:
- कश्मीर पर आक्रमण के बाद, महाराजा हरि सिंह ने भारत से सैन्य सहायता मांगी। उन्होंने 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ औपचारिक विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।
- भारत ने सैनिक सहायता प्रदान की और पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ना शुरू किया।
विलय पत्र:
- जम्मू और कश्मीर के विलय पत्र पर 26 अक्टूबर 1947 को हस्ताखर किए गए थे।
- इस दस्तावेज में भारत सरकार को रक्षा, विदेश मामले और संचार विषयों को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में प्रशासन का अधिकार दिया गया था।
- विलय पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि युद्धविराम और अंतिम समाधान के बाद राज्य के लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए उनकी राय ली जाएगी।
विवाद और जटिलताएं:
- पाकिस्तान जम्मू और कश्मीर के विलय को मानने से इनकार करता है और इस क्षेत्र पर अपना दावा करता है।
- कश्मीर के कुछ हिस्सों में अलगाववादी भावनाएँ हैं और कुछ लोग भारत से स्वतंत्रता या पाकिस्तान में विलय की मांग करते हैं।
- विलय पत्र में उल्लिखित जनमत संग्रह कभी नहीं हुआ, जिससे विवाद और जटिलताएं बढ़ गई हैं।
उदाहरण:
- कश्मीर विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच कई युद्धों का कारण बना है और दोनों देशों के संबंधों में तनाव का एक प्रमुख बिंदु बना हुआ है।
- यह विवाद दक्षिण एशिया में सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती है।
- जम्मू और कश्मीर के लोग दशकों से हिंसा और अशांति का सामना कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
कश्मीर का विलय एक जटिल मुद्दा है जिसका समाधान अभी भी दूर है।
- विलय पत्र उस समय की परिस्थितियों में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज था, जिसने भारत को कश्मीर में सैन्य हस्तक्षेप करने और पाकिस्तानी आक्रमण को रोकने का कानूनी आधार प्रदान किया।
- लेकिन, विलय पत्र में उल्लिखित जनमत संग्रह को कभी आयोजित नहीं किया गया, जिससे विवाद बना हुआ है।