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जूनागढ़ – जनमत संग्रह (Junagadh – Referendum)

राजव्यवस्था नोट्स

(Polity Notes in Hindi)

  • भारत की स्वतंत्रता के बाद, 552 रियासतें जो ब्रिटिश शासन के अधीन थीं, उन्हें भारतीय संघ में शामिल किया जाना था।
  • अधिकांश रियासतें बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्वक शामिल हो गईं, लेकिन कुछ अपवाद थे, जिनमें जूनागढ़ भी शामिल था।
  • जूनागढ़, गुजरात में स्थित एक छोटी रियासत थी, जिसकी जनसंख्या 7 लाख से अधिक थी।
  • इसके शासक, नवाब मोहम्मद महाबत खान, पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे।

पृष्ठभूमि:

  • नवाब एक कट्टरपंथी मुस्लिम थे और पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के समर्थक थे।
  • रियासत में हिंदू बहुसंख्यक समुदाय था, जो भारत में शामिल होना चाहता था।
  • 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद, नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने का एलान कर दिया।
  • भारत सरकार ने इस फैसले को अस्वीकार कर दिया और जनमत संग्रह कराने की मांग की।

जनमत संग्रह:

  • सितंबर 1947 में, संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में जनमत संग्रह हुआ।
  • जनमत संग्रह में 59% लोगों ने भारत में शामिल होने के पक्ष में मतदान किया, जबकि 41% लोगों ने पाकिस्तान में शामिल होने के पक्ष में मतदान किया।
  • नवाब ने मतदान परिणाम को अस्वीकार कर दिया और पाकिस्तान में शामिल होने का प्रयास जारी रखा।

भारतीय सेना का हस्तक्षेप:

  • नवंबर 1947 में, भारतीय सेना ने जूनागढ़ में प्रवेश किया और रियासत को भारतीय संघ में शामिल कर लिया।
  • नवाब को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें बदली के रूप में बड़ी रकम का भुगतान करना पड़ा।

उदाहरण:

  • जूनागढ़ जनमत संग्रह भारत के राजनीतिक एकीकरण में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
  • यह सरदार वल्लभभाई पटेल के दृढ़ संकल्प और नेतृत्व का एक उदाहरण है।
  • यह भारत की एकता और अखंडता के लिए एक महत्वपूर्ण जीत थी।

आलोचना:

  • कुछ लोगों ने भारतीय सेना के हस्तक्षेप की आलोचना की।
  • उनका तर्क है कि भारत सरकार को नवाब को मनाने का और अधिक प्रयास करना चाहिए था।
  • जनमत संग्रह की निष्पक्षता पर भी कुछ सवाल उठाए गए थे।

निष्कर्ष:

जूनागढ़ का भारत में विलय एक जटिल और विवादास्पद घटना थी।

यह भारत के राजनीतिक एकीकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इसकी आलोचना भी हुई।

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