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निर्देशात्मक सरकार: गहराई से विश्लेषण  (Prescriptive Government: In-depth Analysis)

राजव्यवस्था नोट्स

(Polity Notes in Hindi)

परिचय:

निर्देशात्मक सरकार शासन का एक रूप है जिसमें सरकार संविधान में निर्धारित निर्देशात्मक सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होती है।

यह सिद्धांत सरकार को सामाजिक और आर्थिक नीतियां बनाने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करते हैं, लेकिन वे कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते हैं।

निर्देशात्मक सरकारें अक्सर संघीय होती हैं, जिसमें शक्तियों का विभाजन केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच होता है।

निर्देशात्मक सरकार की विशेषताएं:

  • निर्देशात्मक सिद्धांत: निर्देशात्मक सरकारें संविधान में निर्धारित निर्देशात्मक सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होती हैं। ये सिद्धांत सरकार को सामाजिक और आर्थिक नीतियां बनाने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करते हैं।
  • लचीलापन: निर्देशात्मक सरकारें अपेक्षाकृत लचीली होती हैं। सरकार को बदलती परिस्थितियों के अनुकूल नीतियां बनाने की स्वतंत्रता होती है।
  • लक्ष्य निर्धारण: निर्देशात्मक सरकारें सरकार के लिए लक्ष्य निर्धारित कर सकती हैं। वे सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए दिशानिर्देश प्रदान कर सकते हैं।
  • जनता की आकांक्षाओं को दर्शाता है: निर्देशात्मक सरकारें जनता की आकांक्षाओं को दर्शाते हैं और सरकार को जवाबदेह बनाते हैं कि वह उन आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करे।

निर्देशात्मक सरकार के उदाहरण:

  • भारत: भारतीय संविधान में निर्देशात्मक सिद्धांतों का एक समूह है जो सरकार को सामाजिक और आर्थिक नीतियां बनाने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। इन सिद्धांतों में समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता शामिल हैं।
  • दक्षिण अफ्रीका: दक्षिण अफ्रीकी संविधान में भी निर्देशात्मक सिद्धांतों का एक समूह है जो सरकार को सामाजिक और आर्थिक नीतियां बनाने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। इन सिद्धांतों में मानव गरिमा, समानता और स्वतंत्रता शामिल हैं।
  • आयरलैंड: आयरिश संविधान में निर्देशात्मक सिद्धांतों का एक समूह है जो सरकार को सामाजिक और आर्थिक नीतियां बनाने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। इन सिद्धांतों में सामाजिक न्याय, आर्थिक और सामाजिक समानता, और परिवार की सुरक्षा शामिल हैं।

निर्देशात्मक सरकार के लाभ:

  • लचीलापन: निर्देशात्मक सरकारें अपेक्षाकृत लचीली होती हैं। सरकार को बदलती परिस्थितियों के अनुकूल नीतियां बनाने की स्वतंत्रता होती है।
  • लक्ष्य निर्धारण: निर्देशात्मक सरकारें सरकार के लिए लक्ष्य निर्धारित कर सकती हैं। वे सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए दिशानिर्देश प्रदान कर सकते हैं।
  • जनता की आकांक्षाओं को दर्शाता है: निर्देशात्मक सरकारें जनता की आकांक्षाओं को दर्शाते हैं और सरकार को जवाबदेह बनाते हैं कि वह उन आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करे।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप: निर्देशात्मक सरकारें अंतर्राष्ट्रीय मानकों और मानवाधिकारों के अनुरूप हो सकती हैं।

निर्देशात्मक सरकार की कमियां:

  • अस्पष्टता: निर्देशात्मक सिद्धांत अस्पष्ट हो सकते हैं, जिससे सरकार को यह व्याख्या करने में कठिनाई हो सकती है कि उन्हें कैसे लागू किया जाए।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर: निर्देशात्मक सरकारों को लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है।

निर्देशात्मक सरकार को लागू करने की चुनौतियां:

  • राजनीतिक इच्छाशक्ति: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, निर्देशात्मक सरकारों को लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है। सरकार को निर्देशात्मक सिद्धांतों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, भले ही यह राजनीतिक रूप से कठिन हो।
  • साधन: निर्देशात्मक सिद्धांतों को लागू करने के लिए अक्सर वित्तीय और अन्य संसाधनों की आवश्यकता होती है। सरकार के पास इन संसाधनों की कमी हो सकती है, खासकर विकासशील देशों में।
  • सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताएं: निर्देशात्मक सिद्धांत आदर्शवादी हो सकते हैं, लेकिन उन्हें सामाजिक और आर्थिक वास्तविकताओं के साथ संतुलित करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, सरकार सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर अधिक खर्च नहीं कर पाएगी यदि अर्थव्यवस्था कमजोर हो।

निर्देशात्मक सरकार को मजबूत बनाने के उपाय:

  • जागरूक नागरिक समाज: एक सक्रिय और जागरूक नागरिक समाज सरकार को निर्देशात्मक सिद्धांतों को लागू करने के लिए जवाबदेह ठहरा सकता है। नागरिक समाज संगठन सरकार पर दबाव डाल सकते हैं कि वह निर्देशात्मक सिद्धांतों को लागू करने के लिए नीतियां बनाए और संसाधन आवंटित करे।
  • न्यायिक समीक्षा की भूमिका: कुछ देशों में, न्यायालयों को यह अधिकार होता है कि वे निर्देशात्मक सिद्धांतों के उल्लंघन की समीक्षा करें। हालांकि, यह एक विवादास्पद मुद्दा है, क्योंकि कुछ लोग तर्क देते हैं कि न्यायालयों को नीति निर्माण में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
  • सार्वजनिक चर्चा: निर्देशात्मक सिद्धांतों के बारे में सार्वजनिक चर्चा यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है कि वे प्रासंगिक बने रहें और जनता की आकांक्षाओं को दर्शाते हों। सार्वजनिक चर्चा के माध्यम से, निर्देशात्मक सिद्धांतों को समय-समय पर अद्यतन किया जा सकता है।

निर्देशात्मक सरकार और कार्यकारी सरकार के बीच अंतर:

निर्देशात्मक सरकार और कार्यकारी सरकार शासन के दो अलग-अलग रूप हैं।

  • निर्देशात्मक सरकार: निर्देशात्मक सरकार में, सरकार संविधान में निर्धारित निर्देशात्मक सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होती है। ये सिद्धांत सरकार को सामाजिक और आर्थिक नीतियां बनाने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करते हैं, लेकिन वे कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते हैं।
  • कार्यकारी सरकार: कार्यकारी सरकार में, निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा चुनी गई सरकार शासन का प्रमुख होता है। कार्यकारी सरकार कानून बनाती है और सरकारी नीतियों को लागू करती है।

निर्देशात्मक सरकार कार्यकारी सरकार को यह बताती है कि उसे क्या हासिल करने का प्रयास करना चाहिए, जबकि कार्यकारी सरकार यह तय करती है कि लक्ष्यों को कैसे प्राप्त किया जाए।

निर्देशात्मक सरकार का भविष्य:

निर्देशात्मक सरकार का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि वह लोकतंत्र और विकास के लक्ष्यों को कितनी अच्छी तरह से संतुलित कर सकती है।

  • लोकतंत्र और जवाबदेही: निर्देशात्मक सरकारें लोकतंत्र और जवाबदेही को बढ़ावा दे सकती हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सरकार निर्देशात्मक सिद्धांतों को लागू करने के लिए जवाबदेह है।
  • सामाजिक और आर्थिक विकास: निर्देशात्मक सरकारें सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि निर्देशात्मक सिद्धांत यथार्थवादी और प्राप्त करने योग्य हों।

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