भारतीय परिषद अधिनियम 1909 (मॉर्ले-मिंटो सुधार): विशेषताएं, विश्लेषण और आलोचना 

परिचय:

भारतीय परिषद अधिनियम 1909, जिसे मॉर्ले-मिंटो सुधार के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश भारत में शासन सुधारों की एक श्रृंखला में चौथा महत्वपूर्ण अधिनियम था। इसने 1892 के भारतीय परिषद अधिनियम द्वारा स्थापित ढांचे का विस्तार किया और भारतीयों को शासन में अधिक भागीदारी प्रदान करने का प्रयास किया।

मुख्य विशेषताएं:

  • अलग निर्वाचक मंडल: मुसलमानों, सिखों और यूरोपीय लोगों के लिए अलग निर्वाचक मंडल बनाए गए, जिससे उन्हें विधायी परिषदों में प्रतिनिधित्व मिला।
  • बढ़ी हुई सदस्य संख्या: विधायी परिषदों में सदस्यों की संख्या में वृद्धि की गई, जिसमें अधिक गैर-आधिकारिक सदस्य शामिल थे।
  • विषयों का विस्तार: विधायी परिषदों को बजट, कराधान और पुलिस सहित अधिक विषयों पर चर्चा करने और कानून बनाने की शक्तियां दी गईं।
  • गवर्नर-जनरल की कार्यकारी परिषद में भारतीय: भारतीयों को पहली बार गवर्नर-जनरल की कार्यकारी परिषद में नियुक्त किया गया, जिसमें उन्हें प्रशासन में भाग लेने का अवसर मिला।

विश्लेषण:

भारतीय परिषद अधिनियम 1909 को भारतीयों को शासन में अधिक भागीदारी प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। इसने अलग निर्वाचक मंडल बनाकर और भारतीयों को गवर्नर-जनरल की कार्यकारी परिषद में शामिल करके भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव लाए।

आलोचना:

हालांकि, इस अधिनियम की कई आलोचनाएं भी हैं:

  • अलग निर्वाचक मंडल: अलग निर्वाचक मंडलों ने साम्प्रदायिक विभाजन को बढ़ावा दिया और हिंदू-मुस्लिम एकता को कमजोर किया।
  • सीमित प्रतिनिधित्व: गैर-आधिकारिक सदस्यों की संख्या अभी भी सीमित थी और उनका चुनाव अप्रत्यक्ष था, जिससे ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण बना रहा।
  • कमजोर शक्तियां: विधायी परिषदों की शक्तियां अभी भी सीमित थीं और राज्यपालों के पास उन पर अंतिम अधिकार था।
  • औपनिवेशिक नियंत्रण: ब्रिटिश नियंत्रण बना रहा और भारतीयों के पास वास्तविक शक्ति नहीं थी।

निष्कर्ष:

भारतीय परिषद अधिनियम 1909 ने भारत में ब्रिटिश शासन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित किया। इसने भारतीयों को शासन में अधिक भागीदारी प्रदान करने का प्रयास किया, लेकिन यह एक सीमित सुधार था।

यह अधिनियम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के विकास में एक महत्वपूर्ण कारक था, जिसने भारतीयों में आत्म-शासन और स्वतंत्रता की इच्छा को और मजबूत किया।

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