Arora IAS
552 में से 549 रियासतें भारत में शामिल हो गईं
(549 out of 552 princely states joined India)
राजव्यवस्था नोट्स
(Polity Notes in Hindi)
भारत की स्वतंत्रता के बाद, 552 रियासतें जो ब्रिटिश शासन के अधीन थीं, उन्हें भारतीय संघ में शामिल किया जाना था।
यह एक जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया थी, जिसमें कई कारकों पर विचार करना पड़ा, जैसे कि:
- रियासतों का आकार और जनसंख्या
- रियासतों के शासकों की इच्छा
- जनता की राय
- भौगोलिक और रणनीतिक कारक
राजनीतिक एकीकरण की इस प्रक्रिया को सरदार वल्लभभाई पटेल ने “स्टील मैन ऑफ इंडिया” के रूप में जाना जाता है, ने कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया।
उन्होंने निम्नलिखित रणनीति का उपयोग किया:
- रियासतों के शासकों को भारतीय संघ में शामिल होने के लिए राजनीतिक और आर्थिक प्रोत्साहन देना।
- कुछ रियासतों को एक दूसरे में विलय करने के लिए राजी करना, जिससे बड़े और अधिक व्यवहार्य राज्य बन गए।
- जहां आवश्यक हो, बल का प्रयोग करना।
परिणामस्वरूप:
- 552 में से 549 रियासतें 1949 तक भारतीय संघ में शामिल हो गईं।
- हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर और मणिपुर ने स्वतंत्रता के बाद भारत में शामिल होने का फैसला किया।
- गोवा, दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली को 1961 में भारत में मिला लिया गया था।
उदाहरण:
- जुनागढ़, एक मुस्लिम बहुल रियासत, पाकिस्तान में शामिल होने का प्रयास किया, लेकिन भारतीय सेना के हस्तक्षेप के बाद भारत का हिस्सा बन गया।
- ट्रावनकोर और कोच्चि दो मलयालम भाषी रियासतें थीं जिन्हें 1949 में केरल राज्य बनाने के लिए विलय कर दिया गया था।
- भोपाल, इंदौर और ग्वालियर जैसी कई मध्य भारतीय रियासतों को मध्य प्रदेश राज्य बनाने के लिए विलय कर दिया गया था।
महत्व:
भारतीय रियासतों का एकीकरण भारतीय संघ के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम था।
इसने:
- एक एकीकृत और मजबूत राष्ट्र बनाने में मदद की।
- विभाजन के बाद देश में स्थिरता बनाए रखने में मदद की।
- भारत को एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने में मदद की।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह 552 में से 549 रियासतें भारत में शामिल हो गईं के बारे में एक संक्षिप्त विवरण है।