जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय (Jawaharlal Nehru Biography in Hindi)

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी के मुख्य सहयोगी रहे जवाहर लाल नेहरू  ही वो व्यक्ति थे जो स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने थे. इसके अतिरिक्त वो लेखक,कवि और दूरदर्शी भी थे, और इन प्रतिभाओं के साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता  के बाद देश में शैक्षिक,सामजिक और विभिन्न क्षेत्रों विकास की नींव रखी थी. हालांकि उस समय देश को संस्कृति, भाषा और धर्म में विविध आबादी को एकजुट करने के लिए उन्हें बहुत सी बाधाओं का  सामना करना पड़ रहा था, लेकिन उन्होंने सफलतापूर्वक विभिन्न आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सुधार के कार्य करके लाखों भारतीयों से सम्मान और प्रशंसा अर्जित की.

 

जवाहरलाल नेहरू  की जन्म और पारिवारिक जानकारी (Birth and Family Details)

जन्मदिन (Birth date) 14 नवम्बर 1889
जन्मस्थान (Birth Place) इलाहबाद,उत्तर-प्रदेश
पिता (Father) मोतीलाल नेहरू
माता (Mother) स्वरूप्रनी थुस्सू
पत्नी (Wife) कमला नेहरू
बेटी (Daughter) इंदिरा गांधी
  • नेहरू जी के दादा दिल्ली के आखिरी कोतवाल थे,उन्होंने 1857 की क्रान्ति से पहले कोतवाल के तौर में काम शुरू किया था और अपने जीवन के अंतिम समय 1861 तक वो आगरा शिफ्ट हो गये थे.
  • नेहरू  का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन उनका जन्मस्थान कश्मीर नहीं हैं. उनका पारिवारिक परिवेश समृद्ध,शिक्षित और राजनीतिक था,और उनके बाद उनकी पुत्री और दोहते भी क्रमश: राजनीति में सक्रिय थे.
  • 1912 में इंग्लैंड से लौटने के 4 वर्षों बाद 26 वर्ष की उम्र में नेहरू ने कमला कॉल से शादी की,कमला इनसे 10 वर्ष छोटी थी. इस दंपत्ति की पहले 1917 में एक बेटी हुई, इसके बाद 1924 में कमला ने एक लड़के को जन्म दिया था लेकिन वो केवल एक सप्ताह ही जीवित रह सका. 1936 में स्विट्जरलैंड के लुसाने (Lausanne) में ट्यूबरकुलोसिस से इनकी पत्नी का देहांत हो गया.
  • नेहरूजी की बहिन विजयलक्ष्मी पंडित भी यूएन जनरल असेम्बली में महिला प्रेसिडेंट बनने वाली पहली भारतीय महिला थी.    

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Early life and Education)

15 वर्ष की उम्र तक इनके लिए घर पर ही एक शिक्षक बुलाया गया. इसके बाद उन्हे पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया. इंग्लैंड में वो पहले हैरो स्कूल गए फिर कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गये,जहां से उन्होंने नेचुरल साइंस में ऑनर्स की डिग्री ली. उसके बाद उन्होंने लंदन के इनर टेम्पल में लॉ की पढाई की और 1912 में भारत लौटकर उन्होंने अपने पिता मोतीलाल नेहरू के साथ प्रैक्टिस शुरू की

जवाहर लाल नेहरू का राजनीतिक जीवन का प्रारम्भ (Jawaharlal Nehru: Political awakening)

  • 1917 में सम्मानित थियोसोफिस्टएनी बेसेंट की गिरफ्तारी के बाद  नेहरू भी “ऑल इंडिया होम रूल लीग” में शामिल हो गए,इस संगठन का उद्देश ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त कर स्व-शासन लागू करना था.
  • जलियांवाला बाग हत्या कांडमें हजारों देशवासियों को बिना कारण मौत के सुप्रद कर दिया गया. अमृतसर के इस नरसंहार(जिसमें 379 भारतीय मारे गए और हजारों से ज्यादा लोग घायल हो गए) की खबर नेहरू  को ट्रेन में चलते हुए पता चली,इस जानकारी से वो काफी आहत हुए और भारत की आजादी के लिए उनका संकल्प और मजबूत हो गया.
  • वास्तव में ये हत्याकांड भारत के इतिहास में वो घटना थी जिससे कई क्रांतिकारियों का जन्म हुआ था, ऐसे में नेहरूजी का भी इस घटनाक्रम से प्रभावित होना स्वाभाविक था. इसके बाद नेहरू इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गये, वो गांधीजी के विचारों  से बहुत प्रभावित हुए जो कि अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश में से अंग्रेजों को हटाकर स्वराज्य लाना चाहते थे.
  • 1921 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं पर जब प्रतिबन्ध लगाया गया था,तब नेहरू  पहली बार जेल गए थे और इसके बाद अगले 24 वर्षों में वो कुल 9 बार जेल गए. नेहरू  ने जेल में मार्क्सवाद का अध्ययन किया,हालांकि उनकी रूचि फिलोसोफी में थी लेकिन इसके कुछ मेथड उन्हें पंसद नहीं थे, इस कारण नेहरू  की इकॉनोमिक थिंकिंग मार्क्सिस्ट की हो गई, जिसे उन्होंने भारतीय पस्थितियों के साथ एडजस्ट किया.
  • इस तरह 1930 के दशक में, नेहरूजी नेसुभाष चंद्र बोस,गांधी जैसे बड़े नेताओं और स्वतंत्रता  सेनानियों के साथ  मिलकर देश-हित में काम किया लेकिन बाद में वो बोस से अलग हो गए.

नेहरू जी और भारत की स्वतंत्रता  (Marching Toward Indian Independence)

  • 1928 में किये गये उनके भारत की मुक्ति के लिए आवश्यक स्ट्रगल के कई वर्षों बाद वो इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रेसिडेंट बने. बल्कि उस समय महात्मा गांधी ने इस उम्मीद के साथ नेहरू  को आगे किया था कि इससे भारत का युवा वर्ग आगे आएगा. नेहरू  भी गांधीजी की उम्मीदों पर काफी हद तक खरे उतरे,उन्होंने अगले वर्ष लाहौर में आयोजित इंडियन नेशनल कांग्रेस के ऐतिहासिक सेशन में भारत का स्वतंत्रता  के लिए आवश्यक राजनीतिक लक्ष्य सबके सामने रखा. नवम्बर 1930 में लंदन में आयोजित राउंड टेबल कांफ्रेंस में उन्होंने ब्रिटिश और भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर स्वतंत्रता  की रूपरेखा तैयार की.
  • 1931 में  नेहरूजी के पिता के देहांत के बाद उनकी कांग्रेस में सक्रियता और स्थान ज्यादा हो गया, वो गांधीजी के निकट हो गए और गाँधी-इरविन पैक्ट के दौरान भी वो वहाँ उपस्थित थे. मार्च 1931 में गांधी और इरविन के मध्य हुए इस समझौते के अनुसार इरविन सभी क्रांतिकारियों को रिहा करने के लिए राजी हुए जबकि गांधी नेअसहयोग आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की. हालांकि दुर्भाग्यवश इस समझौते से ब्रिटिश नियंत्रित भारत में शांतिपूर्ण माहौल नही बन सका , और नेहरू और गांधी दोनों को 1932 की शुरुआत में एक और नागरिक अवज्ञा आंदोलन को चलाने की कोशिश के आरोप में जेल भेजा दिया गया. जिससे वो तीसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग नही ले सके. 
  • हांलाकी तीसरे और अंतिम सम्मेलन के परिणामस्वरूप  गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 बना, जिससे भारतीय प्रांतों में स्वायत्त सरकार की व्यवस्था के लिए चुनाव की घोषणा हुई. 1935 के अधिनियम में कानून में हस्ताक्षर किए जाने के बाद, भारतीयों ने नेहरू को गांधी के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में देखना शुरू कर दिया,जबकि वास्तव में गांधीजी ने नेहरू को 1940 के दशक तक अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में नामांकित नहीं किया था. गांधी ने जनवरी 1941 में नेहरू  को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया.

द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) में भारत का भीतरी एवं बाहरी संघर्ष

  • इस विश्व युद्ध के समय  ब्रिटिश वाइसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने तत्कालीन स्वायत्त प्रांतीय मंत्रालयों से सलाह किए बिना युद्ध के प्रयास में भारत को शामिल कर दिया. जिसके जवाब में, कांग्रेस पार्टी ने प्रांतों से अपने प्रतिनिधियों को वापस बुला लिया और गांधी ने सीमित नागरिक अवज्ञा आंदोलन (लिमिटेड सिविल डिसओबीडीएंस) का नेतृत्व किया जिसमें उन्हे और नेहरू को फिर से जेल में डाल दिया गया,लगभग एक डेढ़ साल बाद उन्हें रिहा किया गया.
  • 1942 में, नेहरू ने गांधी के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में साथ दिया, नेहरू जी अपने जीवन में नौवी बार जेल गए थे,और इस बार उन्होंने 1030 दिन जेल में बिताये, 9 अगस्त 1942 से लेकर 28 मार्च 1945 तक का समय उन्होंने अहमदनगर किले की जेल में बिताया,इसके बाद उन्हें बरेली सेंट्रल जेल में डाल दिया गया जहां वो 30 मार्च 1945 से लेकर 9 जून 1945 तक रहे. 10 जून को उन्हें अल्मोरा जेल ले जाया गया,जहां से उन्हें 15 जून को रिहा किया गया. उन्होंने अहमदनगर जेल में “दी डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया” नाम की किताब लिखी थी,जिसे 1946 में प्रकाशित किया गया था.
  • जेल से रिहा होने पर, नेहरू ने देखा किमुहम्मद अली जिन्ना का मुस्लिम लीग बहुत मजबूत हो चूका हैं और  विभाजन का माहौल बन चुका है. शुरुआत में इन्होंने भारत के विभाजन  का विरोध किया  था, लेकिन अंतत: अंतिम ब्रिटिश वाइसराय के दबाव में, नेहरू बिना इच्छा से सहमत हुए.
  • वास्तव में नेहरू  के जेल से बाहर आने के बाद अगले 2 वर्षों में कांग्रेस पार्टी औरमुस्लि लीग के बीच का तनाव बहुत बढ़ गया था,जबकि दोनों ही पक्ष स्वतंत्र भारत की मांग कर रहे थे,लेकिन दोनों को ही स्वतंत्र भारत में ज्यादा शक्ति मिलने की लालसा थी. आखिर में 1947 में नेहरू  ने अपनी इच्छा के विपरीत मुस्लिम लीग और माउंटबेटन की बात को माँन लिया और भारत स्वतंत्र तो हो गया लेकिन धर्म के आधार पर दो टुकड़ों में बंट गया  जिसमें मुस्लिम बहुल क्षेत्र भारत से अलग होकर एक नया देश पाकिस्तान बना जबकि हिन्दू बहुल क्षेत्र भारत ही रहा. 

 नेहरू एक प्रधानमंत्री के रूप में   (Nehru as Prime Minister)

  • नेहरू  जब देश के प्रधानमंत्री बने तब 57 वर्ष के थे,इसके बाद वो लगातार अगले 17 वर्षों तक इस पद पर बने रहे. 1952,1957 और 1962 में 3 बार वो देश के प्रधानमंत्री चुने गए. उन्होंने पूर्व ब्रिटिश कमांडर और चीफ के घर को अपना घर बनाया था. वो अपने ऑफिस सफेद एम्बेसडर कार में आते-जाते थे. नेहरू  ने सबसे पहले उत्तर-प्रदेश में इलाहाबाद के फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. इसके बाद वो और उनकी पुत्री इंदिरा गांधी ने 1952 से लेकर 1984 तक लगातार रायबरेली की सीट जीती थी.और अब तो नेहरू जी और इंदिराजी के वंशजों की पारम्परिक सीट अमेठी बन गयी हैं,जहाँ से हर बार कांग्रेस की जीत निश्चित मानी जाती हैं.
  • नेहरू  के 4 सिद्धांत थे जिनमें मैत्री,सेक्युलरिज्म,सामाजिकता और डेमोक्रेसी मुख्य थे. विदेश में पढ़े हुए नेहरू  भारत में ऐसा संविधान बनाना चाहते थे जो की जाति-आधारित ना हो और जिसमे सबको समान अधिकार मिले. उनका मानना था कि कैपीटेलिज्म भारत जैसे गरीब देश के लिए सही नहीं हैं,
  • 1951 में नेहरू  ने एक कार्यक्रम बनाया जिसका नाम “टेम्पल्स ऑफ़ मॉडर्न इंडिया” था. जिसमें सड़कें, बाँध और पॉवर प्लांट बनाने के काम शुरू किए गए जिससे कि गरीबों को रोजगार मिलने के साथ ही देश में आवश्यक सुविधाओं का भी विकास हो. इसी साल नेहरू  सरकार ने देश के पहले परिवार नियोजन कार्यक्रम की घोषणा की. जिसका उद्देश्य 21 वी शताब्दी के शुरुआत तक जनसंख्या वृद्धि की दर को शून्य तक पहुँचाना था.
  • 1956 में सामंतों के शासन को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया और उनकी संपत्ति को सरकार के संरक्षण में ले लिया गया.
  • लाल क्रान्ति के अंतर्गत देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ने से होने वाली क्रान्ति की सम्भावनाएं भी बढ़ने लगी थी,क्योंकि आर्थिक असमानताएं भी बढ़ रही थी.
  • नेहरू  ने पार्लियामेंट में किसानों के भूमि संरक्षण और प्रॉपर्टि सम्बन्धित मामलों में न्याय के लिए कई नए कानून पास करवाए,जिनसे दस्तावेज तैयार करने में आसानी होने लगी. उनके दिशा निर्देशन में ही कुटीर उद्योग पुनर्जीवित हुए,केन्द्रीय योजना आयोग ने इस्पात संयंत्रों और जल विद्युत परियोजनाओं जैसे भारी उद्योगों को भी संसाधन आवंटित किये,चाहे रक्षा उत्पादों का निर्माण हो या या रोजमर्रा की जरूरत के सामान का निर्माण,इन सबके लिए देश भर में बहुत सी इंडस्ट्रीयां स्थापित की गयी. इसके अलावा रिसर्च के लिए बहुत सी यूनिवर्सिटी,इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी और रिसर्च सेंटर भी खोले गए.
  • एक राजनेता के नेशनल जिओग्राफी को दिए बयान के अनुसार 1947 में केवल 10 प्रतिशत जनसंख्या ही बाज़ार में एक्टिव थी,हमारी समस्या ये थी की बची हुयी 90 प्रतिशत जनसंख्या को भी इस क्षेत्र में लाया जाए, इसके लिए नेहरूजी को धन्यवाद देना बनता हैं क्योंकि उन्होंने ना केवल 30 प्रतिशत जनता को इस क्षेत्र में शामिल किया बल्कि बची हुयी 70 प्रतिशत जनता को भी अपनी स्थिति सुधारने में मदद की.

नेहरू जी की घरेलू नीति (Domestic Policy of Nehru)

  • भारतीय इतिहास में जवाहर लाल नेहरू  के महत्व को इस बात से ही समझा सकता हैं,उन्होंने आधुनिक विचारों और वेल्यूज को महत्व दिया था,उन्होंने सेक्ल्युरेजिम के साथ ही भारत में एकता के महत्व को भी समझाया,यहाँ की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को ताकत बनाया,
  • भारत को विज्ञान और टेक्नोलॉजी की खोज की दुनिया में आगे बढाया, उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान दिया.और ये सब ही उनकी घरेलू नीतियों के आवश्यक घटक थे.
  • उन्होंने सबसे पुराने हिन्दू सिविल कोड में भी सुधार किया,जिससे हिन्दू महिलाओं को हिन्दू पुरुषों के समान ही प्रॉपर्टि में अधिकार मिल गए,नेहरू  ने जातिवाद को दूर करने के लिए भी लॉ में परिवर्तन किए.
  • नेहरू  ने भारत में कई बड़े इंस्टीट्यूट जैसे ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस,दी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी आदि की स्थापना के साथ ही भारत में प्राइमरी स्तर तक बच्चो की शिक्षा की अनिवार्यता पर भी ध्यान दिया

नेहरू जी की नेशनल सिक्योरिटी एंड विदेश नीति (National Security and International Policy of Nehru)

  • नेहरूजी के नेतृत्व के दिनों में कश्मीर एक बहुत बड़ी समस्या थी,जिस पर भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपना-अपना दावा करते थे,और इस मुद्दे को सुलझाने में उनके प्रयास ज्यादा सफल नहीं हो रहे थे, 1948 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जे की असफल कोशिश भी की थी.1940 में ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यूनाइटेड स्टेट और यू.एस.एस.आर ने शीत युद्ध के दौरान भारत से मैत्री की कोशिशें शुरू कर दी थी,लेकिन नेहरूजी के प्रयासों से भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई,जिसके अंतर्गत भारत किसी भी देश या संघ का पक्ष नहीं लेता था.
  • नेहरू, सुकर्णो, नासर और टीटो गैर-गठबंधन(उदासीन) राष्ट्र आंदोलन में प्रमुख नेता थे, जिन्होंने विश्व में एक तीसरा पक्ष स्थापित करने का प्रयास किया,इस पक्ष ने विभिन्न देशों में गर्व, एकता और ताकत की भावना विकसित करने की कोशिश की. चीन के पहले परमाणु परीक्षण के बाद भारत में भी परमाणु शक्ति बनाने के लिए परमाणु कार्यक्रम को लॉन्च करने का फैसला किया.
  • नेहरू ने उस समय नए स्वतंत्र हुए एशियन और अफ्रीकन देशों के बीच भारत का नैतिक नेतृत्व  किया और शीत युद्ध के माहौल में जब दुनिया के विभिन्न देशों का ध्रुवीकरण हो चूका था और परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी दी जा रही थी तब उन्होंने राष्ट्रवाद, एंटीकॉलोनीलिज्म (anticolonialism) अंतर्राष्ट्रीयवाद, और गुटनिरपेक्षता की वकालत की.  
  • वैसे तो उन्होंने अपने कार्यकाल के पहले दशक में ही काफी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली थी, लेकिन 1956 में सोवियत के हंगरी पर हमला करने के बाद  जब नई दिल्ली का झुकाव मास्को की तरफ हुआ तो पशिमी देशों ने उनकी आलोचना की.इसके अलावा  पाकिस्तान से निपटने में भी  नेहरू एक सतत नीति तैयार करने में नाकाम रहे.
  • चीन के साथ संबंधों में सुधार करने के प्रयासों और पांच मुख्य सिद्धांतों क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, गैर-उल्लंघन, गैर-अंतरण, समानता और सहयोग, और शांतिपूर्ण सहअस्तित् के बावजूद, 1962 में भारत और चीन के मध्य युद्ध की स्थिति बन गयी. यह युद्ध भारत के लिए एक कठिन और जागने का समय था क्योंकि इससे पहले भारत अपनी उत्तरी सीमाओं की रक्षा के लिए तैयार नहीं था. इस संघर्ष के समापन पर, चीनी सेनाओं को आंशिक रूप से वापस ले लिया गया  और एक अनौपचारिक गैर-मिलिट्री(demilitarized) क्षेत्र स्थापित किया गया, लेकिन इन सबसे भारत की प्रतिष्ठा और आत्म-सम्मान को बहुत चोट लगी.

नेहरू जी की आर्थिक नीति (Economic Policy of Nehru)

  • नेहरू  के 1951 में शुरू किए गये “पंचवर्षीय योजना” को उनकी सबसे अच्छी आर्थिक नीति माना जा सकता हैं. इसे सरकार द्वारा कृषि,उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में किये गये खर्चे को निर्धारित करने के लिए बनाया गया था.
  • वो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के मध्य आर्थिक नीतियों के अंतर को कम करना चाहते थे, उनका मानना था कि दोनों का ही विकास आवश्यक हैं. उन्होंने हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी पर जोर दिया,और बहुत से बाँध बनवाये, वो इन बांधों को भारत के विकास का प्रतीक मानते थे,क्योंकि ये बाँध ही इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग और एग्रीकल्चर के लिए आवश्यक प्लेटफ़ॉर्म थे.

जवाहरलाल नेहरू  से जुड़े रोचक तथ्य (Some Interesting facts about Jawaharlal Nehru)

  • 1935 में नेहरू ने अपनी जीवनी लिखी थी जिसका नाम “टुवर्ड फ्रीडम (Toward Freedom)रखा गया था,इस किताब को 1936 में यूएसए में प्रकाशित किया गया.
  • आज के राजनेताओं द्वारा पहनी जाने वाली नेहरू जेकेट को जवाहरलाल नेहरू ने ही शुरू किया था,यह आइडिया उन्होंने पश्चिमी दुनिया से लिया था. वास्तव में स्वतंत्रता  से पहले ज्यादातर राजनेता सिर्फ सफेद कपडे ही पहनते थे,लेकिन नेहरू  पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने ये ट्रेंड चेंज किया था,इस जेकेट में वो गुलाब का फूल लगाते थे,और यही उनकी पहचान भी थी.
  • नेहरू भी गांधीजी की तरह शांति और अहिंसा के समर्थक थे, इस कारण उनका देश-विदेश में बहुत सम्मान था.
  • उन्हें भारत की बहुत जानकारी थी,जिसे उनकी लिखी किताब “डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया” में देखा जा सकता हैं”. इसलिए ही उनके बारे में कहा जाता हैं कि वो केवल कश्मीरी पंडित परिवार से होने के कारण ही नहीं बल्कि अपनी बुद्धिमता और ज्ञान के कारण वो वास्तव में पंडित कहलाते थे.
  • वो अपने आस-पास सिक्योरिटी रखना पसंद नहीं करते थे,और ना उन्हें ये पसंद था कि उनके कारण ट्रेफिक जाम हो. हालांकि इसके कारण उनकी सुरक्षा को खतरा बना रहता था. उन पर 4 बार हमला हुआ था,जिसमे सबसे पहले हमला 1947 के विभाजन के दौरान,दूसरा 1955 में एक रिक्शा चालक ने किया, तीसरी बार 1956 में मुंबई में और चौथी बार 1961 में हुआ था,सबमें वो सुरक्षित रहे थे.
  • भारतीय संविधान का 44 आर्टिकल नेहरूजी ने लिखा हैं जो कि भारत में सेक्युलेरिज्म का आधार हैं, वो भारत को कट्टर धार्मिक देश की जगह सेक्युलर देश बनाना चाहते थे.
  • वास्तव मेंसरदार पटेल वो व्यक्ति थे जो मेजोरिटी के साथ चुनाव जीते थे, लेकिन गांधीजी,जवाहर लाल नेहरू की प्रतिभा पर विशवास करते थे इसलिए उन्होंने नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री घोषित किया..

जवाहरलाल नेहरू  की मृत्यु (Death of Jawahar Lal Nehru)

नेहरू  जी की मृत्यु 27 मई 1964 के दिन हृदयाघात के कारण हुयी थी, उनके अंतिम-संस्कार में 1.5 मिलियन लोग इकट्ठा हुए थे,गांधीजी के बाद किसी के अंतिम यात्रा में आये लोगों की ये सर्वाधिक संख्या थी.

जवाहरलाल नेहरू  के नाम पर धरोहर (Monuments based on Jawahar Lal Nehru)

  • नेहरूजी के नाम पर देश में बहुत सी जगहे,संस्थाए,यूनिवर्सिटी,हॉस्पिटल,मार्ग,चौराहें हैं. जैसे दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू  यूनिवर्सिटी, मुंबई में जवाहारलाल नेहरू  पोर्ट, उनकी याद में नई दिल्ली में एक म्यूजियम नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी भी बनाई गयी हैं,जो कि  सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर के अधीन हैं.
  • उनकी लिखी किताब पर उनके नाम का एक शो भी बनाया जिसमें भारत के वैदिक काल से लेकर स्वतंत्रता  तक के सफर को दिखाया गया,इस कार्यक्रम का नाम “भारत एक खोज” था.

जवाहरलाल नेहरू  के प्रेरक वाक्य (Jawahar Lal Nehru’quotes)

  • एक नेता या कर्मठ व्यक्तिसंकट के समय लगभग हमेशा ही अवचेतन रूप में कार्य करता है और फिर अपने किये गए कार्यों के लिए तर्क सोचता है.
  • एक ऐसाक्षण जो इतिहास में बहुत ही कम आता है,  जब हम पुराने को छोड़ नए की तरफ जाते हैं,जब एक युग का अंत होता है,और जब वर्षों से शोषित एक देश की आत्मा, अपनी बात कह सकती है.
  • संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है.
  • असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य, और सिद्धांत भूल जाते हैं.
  • संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है.
  • एक सिद्धांत कोवास्तविकता के साथ संतुलित किया जाना चाहिए.

 

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *