भारत के गवर्नर जनरल और वाइसराय की सूची | List of all Governor General and Viceroy of India
सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत की आजादी के पहले ब्रिटिश शासन काल था. भारत पर अंग्रेजों ने पूर्ण आधिपत्य जमाया था पर कहा जाता कि नियम कानून के बहुत पक्के होते थे. इन्होंने सन् 1773 के विनियामक अधिनियम बनाया जिसमे इन्होंने गवर्नर जनरल का पद रखा. सबसे पहले, ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को नियुक्त किया गया था। उसके बाद निश्चित समयावधि के बाद पद किसी और कों सौप दिया जाता था.
कार्यकाल | गवर्नर जनरल | महत्वपूर्ण योगदान |
1772-1785 | वारेन हेस्टिंग्स | यह भारत के पहले गवर्नर जनरल थे, इन्होंने अपने कार्यालय में काफी बदलाव किये दोहरी सरकार प्रणाली कों समाप्त किया. जमीनदार कों उसके अधिकार दिये जिसमें उसे उसकी न्यायिक शक्तियाँ प्रदान की गई. यह सुप्रीम काउंसिल ऑफ बंगाल जों कि पांच सदस्यों से मिल कर बनी थी, उस काउन्सिल के सदस्य थे.इन्होंने भगवत गीता का इंग्लिश में अनुवाद किया.
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1785-1786 | सर जॉन मैकफेर्सन | मैकफेर्सन जब बॉम्बे तथा मद्रास के दौरे से लौट रहे थे तब हेस्टिंग्स के अचानक इस्तीफा देने के बाद इनको गवर्नर जनरल का पद अस्थायी रूप से मिला था, जों मात्र एक वर्ष के लिये था. |
1786-1793 | लार्ड कॉर्नवालिस | इन्होंने बंगाल के समझोते में स्थायी रूप से योगदान दिया. यह उस समय एक बहुत बड़ा मुद्दा था राजस्व कों लेकर जों कि जमीदारों और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच चल रहा था. इन्होंने अपने कार्यालय में भारत में सिविल सेवाओं को शुरू किया. इसी के साथ लोअर कोर्ट और अपीलीय कोर्ट की स्थापना कर उसकी शुरुवात करी. ये तीसरे मैसूर युद्ध के प्रमुख थे. |
1793-1798 | सर जॉन शोर | इन्होंने चार्टर अधिनियम,1793 का प्रारंभ किया. इन्होंने शुरुवाती दौर में कॉर्नवालिस के नेतृत्व में कई कार्य किये तथा बहुत हद तक सफल भी रहे. |
1798-1805 | लार्ड वेल्सले | इन्होंने अपनी ब्रिटिश शक्ति कों सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिये भारतीय शासकों कों अपने नियंत्रण में रखा जिसके लिये इन्होंने एक प्रणाली बनाई जिसे सहायक गठबंधन नीति कहा जाता है. इसी के साथ कलकत्ता में कर्चारियों के प्रशिक्षण के लिये फोर्ट विलियम कॉलेज खोला. इन्होंने सिविल सर्विसेज कों बहुत बढ़ावा दिया जिसके कारण इनको भारत में , सिविल सेवा के पिता (Father of Civil Services) की उपाधि दी गई. इसके अलावा इन्होंने चौथे एंग्लो मैसूर युद्ध,1799 तथा द्वितीय एंग्लो मराठा युद्ध में भी अपना योगदान दिया. |
1805-1807 | सर जार्ज बार्लो | सन् 1806 में , वेल्लोर का विद्रोह जिसमें , भारतीय सैनिकों ने अनेक अंग्रेजी अधिकारियों की हत्या की थी, यह घटना इनके कार्यकाल में हुई थी. |
1807-1813 | लार्ड मिंटो आई | इन्होंने अपने कार्यकाल में सन् 1809 में , महाराजा रणजीत सिंह के साथ अमृतसर संधि की थी और चार्टर एक्ट,1813 कों मंजूरी दी थी. |
1813-1823 | लार्ड हेस्टिंग्स | इन्होंने अपने कार्यकाल में गैर हस्तक्षेप की नीति को समाप्त कर दिया तथा उसी के साथ तृतीय एग्लो-मराठा युद्ध,(1816-1818), सुगौली की संधि में योगदान दिया. मध्य भारत, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा पंजाब में महालवाडी प्रणाली तथा मद्रास में रायोतवाडी प्रणाली की शुरुवात की. सन् 1818 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी की नीव रखी , |
1823-1828 | लार्ड एमहेर्स्ट | इनके कार्यकाल में , प्रथम एंग्लो बर्मी युद्ध(1824-1826) और बैरकपुर विद्रोह 1824 हुआ था जिसमें इन्होंने अपना योगदान दिया था. |
1828-1835 | लार्ड विलियम बेंटिक | इनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह व्यवहार में बहुत अच्छे तथा उदार प्रवृत्ति के थे इसलिये लोग इनको लिबरल गवर्नर जनरल कहते थे. इन्होंने अपने कार्यकाल में रहते हुए बहुत अच्छे कार्य किये. राजाराम मोहन रॉय के साथ मिल कर सती प्रथा,जैसी प्रथाओं तथा कन्या भ्रूणहत्या कों समाप्त कर सामाजिक सुधार पर ध्यान दिया. इसी के साथ कलकत्ता में पहला मेडिकल कॉलेज खोला. |
1835-1836 | सर चार्ल्स में टकाल्फ | इन्होंने अपने शासनकाल में सन् 1823 में लाईसेंसिंग निमयों को पुन: लाया गया तथा प्रेस प्रतिबंधों कों हटाया. |
1836-1842 | लार्ड ऑकलैंड | इन्होंने अपने कार्यकाल में प्रथम अफगान युद्ध लड़ा था. |
1848-1856 | लार्ड डलहोजी | इन्होंने अपने शासनकाल में ऐसे कार्य किये जिसके लिये इनको आज भी याद किया जाता है जैसे – सन् 1853 में पहली रेलवे लाइन बनाई जों बॉम्बे से ठाणे तक की थी. इसके अलावा पहली टेलीग्राफ लाइन सन् 1853 में कलकत्ता से आगरा तक डाली थी. यह बहुत ही शक्तिशाली गवर्नर थे जिन्होंने अपनी डॉक्टेरिन ऑफ़ लेप्स की नीति के कारण सन् 1848 में सतारा, सन् 1849 में जयपुर और संभलपुर तथा सन् 1852 उदयपुर पर, सन् 1853 रानी लक्ष्मीबाई झाँसी पर, सन् 1854 नागपुर पर कब्ज़ा किया. इन्होंने आने-जाने के लिये कई पुल का निर्माण किया तथा ग्रैंड ट्रंक रोड की शुरुआत की. इसी के साथ स्थापित डाक प्रणाली शुरू की जिससे संचार किया जा सके और संदेश आसानी से एक दूसरे तक पहुच जाये. इसके साथ विश्वविद्यालय खोल कर शिक्षा को बढ़ावा दिया तथा सबसे बड़ा बदलाव विधवा पुनर्विवाह अधिनियम,1856 बनाया. लोक निर्माण विभाग की स्थापना करी, इसी के साथ इंजीनियरिंग कॉलेज खोला गया. |
भारत के वाइसराय की लिस्ट (List of Viceroy of India)
समय के साथ बहुत सारे परिवर्तन हुए जिसमें भारत सरकार अधिनियम 1858 बना जिस को अपनाने के बाद, गवर्नर जनरल भारत के वाइसराय बन गए.
कार्यकाल | वाइसराय | महत्वपूर्ण योगदान |
1856-1862 | लॉर्ड कैनिंग | यह भारत के पहले वाइसराय बने थे, इन्होंने विलंब के सिद्धांत को वापस लिया था. इन्होने सन् 1857 में बॉम्बे, मद्रास तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय की स्थापना की थी और सन् 1961 में इंडियन काउंसिल एक्ट को पारित किया था. |
1864-1869 | लॉर्ड लॉरेंस | इनके कार्यकाल के दौरान इन्होंने 1865 में पहली बार कलकत्ता, बॉम्बे, व मद्रास में उच्च न्यायालय की स्थापना की थी. इन्होंने वन विभाग का निर्माण किया तथा यूरोप के साथ मित्रता कों बढ़ाने के लिये टेलीग्राफ लाइन खोली. इन्होंने भारत की स्थिति में बहुत सुधार किये तथा सिक्खों के लिये विशेष रूप से पंजाब बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के सदस्य बन कर उसके लिये काम किया. |
1869-1872 | लॉर्ड मायो | इन्होंने भारत में वित्तीय विकेंद्रीकरण की शुरुआत की थी तथा भारतीय राजकुमारी के लिये अजमेर में यो कॉलेज तथा राजकोट में कथियावार की स्थापना की थी. भारत में पहली बार सांख्यिकीय सर्वेक्षण किया गया जिससे भारत की जनसंख्या का पता लगाया जा सके. यह एक मात्र ऐसे वाइसराय थे जिन्होंने सन् 1872 में अंडमान में अपने कार्यकाल के दौरान एक हत्या की थी. |
1876-1880 | लॉर्ड लिट्टन | इनके समय में सन् 1877 में “कैसर-ए-हिंद” का ख़िताब रानी विक्टोरिया को दिया गया. 1878 में वैधानिक सिविल सेवा, इंडियन आर्म्स एक्ट, वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट को पारित किया गया. |
1880-1884 | लॉर्ड रिपॉन
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इन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत अच्छे कार्य किये जिसमें सबसे पहले इन्होंने सन् 1881 में पहला कारखाना अधिनियम बनाया तथा बाल श्रम कों प्रतिबंधित किया. सन् 1882 में स्थानीय स्व सरकारी अधिनियम पारित किया. सन् 1883 में इल्बर्ट बिल कों मंजूरी दी. सबसे अच्छा निर्णय सिविल सेवा परीक्षा में प्रवेश के लिए आयु 21 साल तक बढ़ा दी गई, जिससे सिविल सेवा परीक्षा कों बहुत बढ़ावा मिला. |
1884-1888 | लॉर्ड डफरिन | इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नीव रखी तथा कांग्रेस कों पहचान दी तथा तृतीय एंग्लो-बर्मी युद्ध में सहभागिता दी. |
1888-1894 | लॉर्ड लांसडाउन | सन् 1891 में इन्होंने द्वितीय कारखाना अधिनियम पारित किया. सन् 1892 में इन्होंने भारतीय परिषद अधिनियम पारित किया. इन्होंने ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच एक सीमा तय की जिसके लिये उन्होंने दुरंद आयोग की स्थापना की. |
1899-1905 | लॉर्ड कर्ज़न | इन्होंने अपने कार्यकाल में सन् 1902 में रालेघ विश्वविद्यालय आयोग की नियुक्ति की थी. इसके अलावा सर एंड्रयू फ्रैज़र के तहत पुलिस आयोग की नियुक्ति की थी तथा सन् 1905 में एक बड़ा निर्णय लिया जिसमें बंगाल का दो भागों में विभाजन किया पहला भाग बंगाल तथा दूसरा पूर्वी बंगाल था. भारत की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिये प्राचीन स्मारक अधिनियम, 1904 पारित किया. |
1905-1910 | लॉर्ड मिंटो | 1907 में काँग्रेस के विभाजन में हिस्सा लिया, 1909 में मोर्ले-मिंटो सुधार नियम पारित किया. |
1910-1916 | लॉर्ड हार्डिंग | सन् 1911 में कई अभूतपूर्व कार्य किये जिसमें , बंगाल का विभाजन रद्द किया तथा उसी साल कलकत्ता से दिल्ली तक राजधानी का स्थानान्तरण किया उसके बाद सन् 1915 में गदर विद्रोह में हिस्सा लिया. |
1916-1921 | लॉर्ड चेम्सफोर्ड | इनके कार्यकाल में सन् 1916 में भारतीय गृह नियम आंदोलन का गठन किया. 1916 में ही लखनऊ संधि की थी. उसके बाद सन् 1919 में रोलट एक्ट, भारत सरकार अधिनियम, मोंटगु-चेम्सफोर्ड सुधार नियम पारित किया तथा सबसे बड़ा आंदोलन जालियावाला बाग नरसंहार पर कार्य किया. |
1921-1926 | लॉर्ड रीडिंग | इनके समय में सन् 1921 में मालाबार विद्रोह,सन् 1921 में हीअसहयोग आंदोलन तथा सन् 1922 में चौरा-चौरी घटना हुई. |
1926-1931 | लॉर्ड इरविन | इन्होंने कई बड़े आंदोलन किये जिसमें इनको सफलता भी हासिल हुई जैसे – सबसे पहले सन् 1928
में साइमन कमीशन, लाला लाजपत राय की मृत्यु, नेहरु रिपोर्ट यह एक साल में ही किये. उसके बाद सन् 1929 में जिन्ना के चौदह अंक, सन् 1930 में नमक आंदोलन, धारसन सत्याग्रह, इलाहाबाद पता, प्रथम तथा द्वितीय राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस किया. सन् 1931 में गाँधी-इरविन संधि की. |
1931-1936 | लॉर्ड विलिंगडन | इन्होंने अपने शासन के दौरान पूना संधि पर हस्ताक्षर कर मंजूरी दी. दूसरे तथा तीसरे राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. सन् 1933 में पाकिस्तान घोषणा तथा सन् 1935 में भारत सरकार अधिनियम की घोषणा की. |
1936-1944 | लॉर्ड लिनलिथगो | इन्होंने भारत सरकार अधिनियम कों प्रान्तों में लागू किया. इसके अलावा इन्होंने कई कार्य किये जैसे- सन् 1937 में भारतीय प्रांतीय चुनाव, सन् 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध, सन् 1940 में लाहौर संकल्प, सन् 1942 में क्रिप्स मिशन, भारत सेना का गठन, भारत छोड़ो आदोलन, भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया. |
1944-1947 | लॉर्ड वेवेल | इन्होंने अपने कार्यकाल में कई कार्य किये जिसमें – सन् 1944 में सी.आर फार्मूला तथा सन् 1945 में शिमला सम्मेलन,सन् 1946 में डायरेक्ट एक्शन डे व कैबिनेट मिशन 1946 की शुरुआत करी. |
मार्च 1947–अगस्त 1947 | लॉर्ड माउंटबेटन | ये आजाद भारत के पहले वाइसराय थे, इन्होंने स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 पारित किया. |
1948-1950 | सी. राजगोपालाचारी | यह अंतिम वायसराय थे. |
इस प्रकार भारत के सभी गवर्नर जनरल और वायसराय ने भारत में बहुत अच्छे कानून तथा नियम बनाये जो कि सरहानीय है. समय के साथ कुछ में परिवर्तन हुए पर कुछ कों बिना किसी परिवर्तन के आज तक अपनाया जा रहा है.