लार्ड कर्जन का जीवन परिचय (Lord Curzon Biography in Hindi )

भारत की सत्ता ईस्ट इंडिया कम्पनी से ब्रिटिश सरकार के पास स्थानांतरण के बाद से  गवर्नर जनरल के पद को समाप्त कर दिया गया था और उसकी जगह एक नया पद वायसराय निर्धारित किया गया था. जिस पर लार्ड कर्ज़न की नियुक्ति 1899 में हुयी थी,इनसे पहले लार्ड एल्गिन द्वितीय थे जिनका कार्यकाल 1884 से शुरू हुआ था, लेकिन लार्ड कर्जन का समय इतना ज्यादा नहीं रहा था.1905 मे उनके बाद  लार्ड मिन्टो द्वितीय वायसराय बन गए. लार्ड कर्जन का कार्यकाल भारत में वायसराय के तौर पर 6 जनवरी 1899 से लेकर 18 नवंबर 1905 तक था.

 

लार्ड कर्जन इतिहास (Lord Curzon History )

1898 में ये घोषणा हुई कि लार्ड कर्जन को भारत का वायसराय बनाया जाएगा. उनकी पहचान भारत के सबसे युवा वायसराय की थी. उस समय क्वीन विक्टोरिया के लिए भारत सबसे महत्वपूर्ण उपनिवेश था, इसलिए कर्जन की यहाँ नियुक्ति उसकी उपलब्धि थी. उस समय भारत अकाल, प्लेग और मलेरिया जैसी समस्याओं से जूझ रहा था.

लार्ड कर्जन द्वारा किये गये सुधार कार्य (Lord curzon reforms)

लार्ड कर्जन ने भारत के हित में काफी कार्य करने की कोशिश की लेकिन उसकी बनाई नीतियां भारतीयों को कुछ ख़ास पसंद नहीं आई जिसके कारण देश में असंतोष की लहर फ़ैल गयी थी. इसलिए ही उसे सबसे कुख्यात वायसराय माना गया,और उसके कार्यकाल को कर्ज़नशाही कहा गया. विभिन्न क्षेत्रों में कर्जन द्वारा किए गए सुधार निम्न है .

पुलिस विभाग

तत्कालीन भारत के प्रत्येक प्रांत में पुलिस प्रशासन को सख्त करते हुए इसकी पूछताछ के लिए सर एंड्रयू फ्रैज़र की अध्यक्षता में एक पुलिस कमीशन नियुक्त किया गया था. इन्होने अपनी रिपोर्ट में पुलिस बल को “प्रशिक्षण से दूर, प्रशिक्षण और संगठन में भ्रष्ट और दमनकारी” बताया. इस तरह कमीशन ने सभी प्रांतों में पुलिस बल की वेतन और ताकत में वृद्धि की सिफारिश की, केंद्र में और कुछ प्रांतों में आपराधिक खुफिया विभाग बनाने का प्रस्ताव भी रखा. 

शिक्षा विभाग

भारत में उस समय यूनिवर्सिटी में अंग्रेजों के खिलाफ माहौल बनने लगा था इसलिए लार्ड कर्ज़न ने रॉली कमीशन  बनाया. इस कमीशन में सैयद हुसैन बेलग्रामी नाम का केवल एक भारतीय सदस्य था,जब हिन्दुओं ने इसका विरोध किया तो जस्टिस गुरूदास बनर्जी को भी कलकत्ता हाई कोर्ट से बुलाकर इसका सदस्य बनाया गया.1902 में कमीशन  ने अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसके बाद रॉली बिल आया,जब 1904 में ये बिल एक्ट बना तो ये इंडियन यूनिवर्सिटी एक्ट कहलाया. इस एक्ट ने सिंडिकेट्स के संविधान का पुनर्गठन किया,जिसमें  कॉलेजों के आधिकारिक निरीक्षण के लिए भारत सरकार को अधिकार दिया गया और उनके हाथों में ही कॉलेजों के संबद्धता और असहमति से संबंधित अंतिम निर्णय रखा. गोपाल कृष्ण गोखले ने इस एक्ट का विरोध किया, इस अधिनियम का पहला प्रावधान विश्वविद्यालयों के शासकिय निकायों का पुनर्गठन करना था, जिससे सीनेटों की संख्या कम होकर न्यूनतम 50 हो गयी थी जबकि अधिकतम 100 थी. बॉम्बे,कलकत्ता और मद्रास की यूनिवर्सिटी के लिए चुने हुए व्यक्तियों की संख्या 50 जबकि अन्य के लिए 15 निर्धारित की गयी. गवर्नर जनरल को विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय सीमा का निर्धारण और विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के बीच संबद्धता का फैसला करने का अधिकार दिया गया था. वास्तव में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में कर दिया था हालांकि, बेहतर शिक्षा और शोध हेतु 5 साल के लिए प्रति वर्ष 5 लाख रूपये की राशि भी स्वीकार की गई थी. यह भारत में विश्वविद्यालय अनुदान की शुरुआत थी जो बाद में भारत शिक्षा के ढांचे में एक विशेष आवश्यकता बन गई. 

रेलवे  विभाग

कर्ज़न ने भारत में रेलवे सुविधाओं में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए, उन्होंने 1901 में सर रॉबर्टसन की अध्यक्षता में एक रेलवे कमीशन नियुक्त किया. इस आयोग ने दो साल बाद अपनी रिपोर्ट जमा की जिसकी सभी सिफारिशें कर्ज़न ने स्वीकार की. इन सबसे भारत में रेलवे का विकास हुआ हुआ. रेलवे विभाग को समाप्त कर दिया गया और रेलवे के प्रबंधन को सार्वजनिक कार्य विभाग के हाथों से हटाकर एक नया  रेलवे बोर्ड बनाकर उसको सौंप दिया गया जिसमें तीन सदस्य निर्धारित किये गये. हालांकि रेलवे विभाग वाणिज्यिक आधार पर बनाया गया था जिससे आर्थिक  लाभ प्राप्त करना ही इसका प्राथमिक उद्देश्य था.

आर्थिक विकास 

आर्थिक सुधार कार्यों के अंतर्गत फेमीन कमीशन ,कृषि के लिए,मुद्रा स्फीति के लिये जैसे कुछ महत्वपूर्ण कमीशन  स्थापित किये गये. कृषि के क्षेत्र और पशुधन के रख-रखाव में सुधार और खेती के लिए नये-नये वैज्ञानिक तरीकों के आविष्कार के लिए भी एक शाही कृषि विभाग स्थापित करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के अलावा वाणिज्य और उद्योग संबंधित विभाग भी स्थापित किया गया था.

आयोगों की स्थापना 

उनके कार्यकाल में 1899-1900 में छपनिया अकाल पड़ा,जिसके बाद सर एंथोनी मेकडोनेल के नेतृत्व में अकाल कमीशन  का गठन किया गया,इसके अतिरिक्त क्रमश: कोलिन स्कॉट मोंक्रिएफ़ के अंडर में सिंचाई विभाग और एंड्रयू फ्राज़ेर के अंतर्गत पुलिस कमीशन का गठन भी किया गया. एक शिक्षा कमीशन (जिसे रॉली कमीशन  भी कहा जाता हैं) भी बनाया गया. 1904 में इंडियन यूनिवर्सिटी एक्ट लागू होना,1902 में लैंड रिजोल्यूशन,1900 में पंजाब भूमि अलगाव अधिनियम (Punjab Land Alienation Act),कृषि और वाणिज्य के शाही विभागों की स्थापना,इंडस्ट्री;भारतीय सिक्का और पेपर मुद्रा अधिनियम 1899 में  क्वेटा (quetta) में आर्मी ऑफिसर के लिए ट्रेनिंग कॉलेज,कलकत्ता कारपोरेशन एक्ट 1899 में प्राचीन स्मारक संरक्षक अधिनियम,1904 में तिब्बत में सैन्य अभियान, चुम्बी घाटी का व्यवसाय और बंगाल का विभाजन जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी उनके कार्यकाल में हुए

कलकत्ता अधिनियम 

वायसराय ने 1899 में कलकत्ता निगम अधिनियम लागू किया जिसके कारण निगम में निर्वाचित सदस्यों की ताकत कम हो गई और आधिकारिक सदस्यों की संख्या में बढ़ गयी. कर्जन ने कलकत्ता निगम में भी भारतीयों के खिलाफ अंग्रेजी लोगों को अधिक महत्व देते हुए पद दिए. कर्ज़न के भारत विरोधी नीतियों के खिलाफ भारतीय सदस्यों में नाराजगी बढने लगी.

बंगाल विभाजन  

4 जुलाई 1905 को बंगाल का विभाजन दो प्रांतों में हुआ, हालांकि कर्ज़न ने प्रशासनिक स्तर पर अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया. लेकिन इस विभाजन ने बंगाल में हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित कर दिया. पूरे देश में विभाजन के विरोध में आंदोलन हुआ.

कर्जन से जुड़े रोचक तथ्य (Unknown Facts )

  • लार्ड कर्जन को प्राचीन और पुरातत्व सम्बन्धित वस्तुओं का काफी शौक था,इसलिए वो अपना समय प्राचीन स्थलों बिताते थे,और पुरात्तविक चीजों की देख-रेख के लिए समय के साथ निजी धन और सरकारी धन भी लगाते थे.
  • देश की अमूल्य धरोहर ताजमहल में मुमताज के मकबरे के पास लटकता कांसे का लैंप लार्ड कर्जन ने ही दिया हैं.
  • लार्ड कर्जन वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत में एग्रीकल्चर के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग की स्थापना की, आज ये विभाग बिहार में प्यूसा (pusa) इंस्टिट्यूट के नाम से स्थित हैं.
  • इसके अलावा उन्होंने भारत में को-ऑपरेटिव बैंक भी स्थापित किये.

 लार्ड कर्जन की मृत्यु (Lord Curzon Death)

9 मार्च 1925 को कर्जन का किसी समस्या के कारण ओपरेशन हुआ था,जिसके कुछ दिनों बाद ब्लीडिंग के कारण लंदन में 20 मार्च 1925 को उनको देहांत हो गया.

कर्जन के नाम पर धरोहर(Monuments based on his name)

  • उत्तरप्रदेश के इलाहबाद में लार्ड कर्जन के नाम पर एक पूल हैं, और कलकत्ता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में उनकी प्रतिमा लगी हुई हैं
  • इसके अलावा लन्दन में भी उनका एक स्मारक बना हुआ हैं.
  • कुआरी पास को लार्ड कर्ज़न ट्रेल भी कहा जाता हैं जो कि ट्रेकिंग करने वाले भारतीयों और विदेशियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. 1905 में जब लार्ड कर्ज़न यहाँ कुआरी-पास आये तब उन्होंने इससे आगे ट्रैक बनवाया जिसे कर्ज़न ट्रेल कहा जाता है.

लार्ड कर्ज़न ने भी अन्य वायसराय की तरह भारत में काफी सुधार-कार्य किये थे और इसके लिए परिवर्तन की नीतियां लाये थे,इसी कारण उस दौरान बदलते भारत में उनका महत्वपूर्ण योगदान माना जा सकता हैं.

 

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