लार्ड कैनिंग का जीवन परिचय  (Lord Canning Biography in Hindi)

लार्ड कैनिंग भारत के प्रथम वाइसरॉय थे, और गवर्नर के रूप में उनका कार्यकाल 1856 से 1862 तक रहा. इस दौरान ही गवर्नर ऑफ़ इंडिया 1858 एक्ट पास हुआ जिसके अनुसार गवर्नर ऑफ़ जनरल ऑफ़ इंडिया को ही वायसराय घोषित किया गया. उनके कार्यकाल में  हुयी 1857 की क्रांति का सफलतापुर्वक दमन उनकी बड़ी उपलब्धियों में से मानी जाती हैं.

लार्ड कैनिंग का जन्म (Birth Details)

सुप्रसिद्ध राजनेता जॉर्ज कैनिंग के तीसरे बेटे लार्ड कैनिंग का जन्म 14 दिसम्बर 1812 में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा पुतनी (putney),ईटन(eton) और क्राइस्ट चर्च ऑक्सफ़ोर्ड से ली थी. 5 सितम्बर 1835 को कारलोट कैनिंग ने लार्ड कैनिंग से शादी की थी.

लार्ड कैनिंग के बारे में जानकारी:

अन्य नाम चार्ल्स जॉन कैनिंग,अर्ल कैनिंग,वाइसकाउंट कैनिंग ऑफ़ किल्ब्राहन (Viscount Canning of Kilbrahan, )
पिता जोर्ज कैनिंग
माता जॉन(joan) कैनिंग,प्रथम विकांटेस कैनिंग (Viscountess canning)
पत्नी कार्लोट कैनिंग(Charlotte)
भाई जोर्ज चार्ल्स,केप्टन विल्लिय्म पिट कैनिंग(1st अर्ल कैनिंग,हेरिएटदीबुर्घ,मार्चिओनिज ऑफ़ क्लान्रिकार्दे (Marchioness of Clanricarde)

गवर्नर जनरल का पद (Post of Governor General)

1836 में उन्होंने अपनी रुढ़िवादी विचारधरा के साथ वार्विक (Warwick) कस्बे के सदस्य के तौर पर पार्लियामेंट जॉइन किया था. पार्लियामेंट पहुचने के बाद भी कैनिंग हाउस ऑफ़ कॉमन में नही बैठ सके, लेकिन 1837 में उनकी माँ के देहांत के बाद, उन्हें ब्रिटेन में कुलीन जन समुदाय की आरक्षित सीट पर अपनी माँ की जगह हाउस ऑफ़ लार्ड में सीट मिली. उनकी पहली नियुक्ति सर रोबर्ट पील के एडमिनिस्ट्रेशन के अंतर्गत विदेश मंत्रालय में अंडर-सेक्रेटरी के तौर पर हुई. इस पोस्ट पर वो जनवरी से जुलाई तक 1846 तक कार्यरत रहे, जब रोबर्ट पील का एडमिनिस्ट्रेशन (administration )खत्म हुआ तब लार्ड कैनिंग को वूड एंड फारेस्ट(food and forest) कमिश्नर बनाया गया. उन्होंने अर्ल ऑफ़ डर्बी (Earl of Derby) के अंतर्गत अपॉइंटमेंट लेने से इनकार कर दिया. जनवरी 1853 में अर्ल ऑफ़ एबरडीन (Earl of Aberdeen) के गठबंधन पर उन्हें पोस्टमॉस्टर जनरल के तौर पर नियुक्त किया गया. इस ऑफिस में उन्होंने ना केवल कठोर मेहनत की,बल्कि जनरल एडमिनिस्ट्रेटिव (General Administrative )मे योग्यता भी हासिल की. जुलाई 1855 तक वो लार्ड पालमेर्स्टोन की मिनिस्ट्री के अंतर्गत रहे,जब लार्ड डलहौजी (Famous for doctrine of lapse) ने भारत का गवर्नर जनरल ऑफ़ इंडिया का पद छोड़ा तो लार्ड पालमेर्स्टोन ने कैनिंग को इस पोजीशन के लिए चुन लिया. लार्ड कैनिंग भारत के पहले वायसराय होने से पहले आखिरी गवर्नर जनरल ऑफ़ इंडिया बने थे. 

1857 की क्रांति और लार्ड कैनिंग (1857 Revolt and Lord Canning)

लार्ड कैनिंग के शासन में जो सबसे महत्वपूर्ण बात हुयी वो 1857 की क्रान्ति थी,जिसे कैनिंग ने बहुत अच्छे से सम्भाला था, उन्होंने ना केवल इस क्रांति का दमन किया बल्कि 1858 के पार्लियामेंट्री एक्ट को भी पारित करवाया. इस तरह रानी विक्टोरिया के शासन शुरू होने के साथ ही ईस्ट इंडिया कम्पनी का देश में हस्तक्षेप ख़त्म हो गया. सत्ता परिवर्तन और क्रान्ति के बाद कैनिंग के सामने जीवित बचे क्रांतिकारियों और उनके सहयोगियों को सम्भालना बड़ा मुद्दा था, लेकिन इन लोगों पर उनके कोई क्रूर एक्शन नहीं लेने के कारण उन्हें “दयालु कैनिंग” की पहचान मिल गयी. क्रान्ति के बाद कैनिंग ने भारत में कानून के नए नियम बनाए और नए तरीके से शासन करना शुरू किया.

वास्तव में जब अवध में ब्रिटिश सरकार के विरोध की आवाज़ मुखर हो रही थी तब कैनिंग ने इस प्रांत की भूमि को जब्त करने की घोषणा की, उनके इस एक्शन को अंग्रेजों के बीच  भी काफी विरोध का सामना करना पडा.  लार्ड एलेन्बोरौघ राइटर (Lord Ellenborough) द्वारा एक  गुप्त आक्रामक लेटर वायसराय और डर्बी (Derby) के एडमिनिस्ट्रेशन को भेजा गया जिनमे उनके एक्शन पर सवाल लगाए गये थे. जिसमें गवर्नर जनरल से इस्तीफे की मांग भी की गयी थी लेकिन वायसराय अपनी बात पर बने रहे और आखिर में राइटर को ऑफिस से रिजाइन करना पड़ा, क्युकी लार्ड कैनिंग ने अपनी नीति को सही ठहराते हुए जो एक्सप्लेनेशन (application) भेजा था, उसे ब्रिटेन की महारानी ने भी पसंद किया था. 1858 में उन्हें इसके लिए सममानित भी किया गया. उनके सैन्य विद्रोह को अच्छे से सम्भालने के लिए अप्रैल 1859 में उन्हें दोनों पार्लियामेंट हाउस से धन्यवाद भेजा गया. 

लार्ड कैनिंग द्वारा लागू किये गये महत्वपूर्ण एक्ट ( Important Acts by Lord Canning)

इंडियन काउंसिल एक्ट 1861-इस एक्ट के अनुसार  गवर्नर जनरल की टीम में नए सदस्य जोड़े गये. इस एक्ट का उद्देश्य गवर्नर जनरल ऑफ़ इंडिया के कार्यभार को कम करना था,नयी टीम में 6 से 12 सदस्यों की नियुक्ति की गयी थी.

इंडियन सर्विसेज एक्ट 1861-इस एक्ट के अनुसार कोई भी भारतीय या यूरोपियन व्यक्ति किसी भी ऑफिस में नियुक्ति पाने का हकदार होगा बशर्ते वो कम सेकम 7 वर्ष भारत में रहा हो. इसी दौरान भारतीय कॉन्वेंटेड सिविल सर्विसेज में एंट्री की भी मांग करने लगे.

इंडियन हाई कोर्ट 1861-यह एक्ट सुप्रीम कोर्ट, सदर दीवान अदालत और सदर फौजदारी अदालत को मिलाने के के लिए पास हुआ था, और कलकता मद्रास और बोम्बे में  हाईकोर्ट्स की मांग भी की गयी.

इंडियन पैनल कोड 1862– इंडियन पेनल कोड को 1860 में ही ड्राफ्ट कर लिया गया था,1861 में ये पास हुआ और 1862 में आईपीसी एक्शन शुरू हुआ. आईपीसी से पहले भारत में कानून के लिए इंग्लिश क्रिमिनल लॉ का उपयोग होता था, भारत के बाद पकिस्तान,श्रीलंका,बांग्लादेश और  अन्य सभी ब्रिटिश शासन में आने वाले एशियन देशोंमें पेनल कोड स्थापित किया गया,जैसे पाकिस्तान पेनल कोड,बांग्लादेश पेनल कोड

इनकम टैक्स और अन्य आर्थिक प्रगति– इंडियन काउंसिल एक्ट 1861 में गवर्नर जनरल एग्जीक्यूटिव काउंसिल में 5वां सदस्य जोड़ा गया. पांचवे सदस्य को काउंसिल का फाइनेंस सदस्य नियुक्त किया गया. पहले फाइनेंस सदस्य का नाम जेम्स विल्सन था,जिसने बहुत से टैक्स का प्रस्ताव दिया लेकिन इनकम टैक्स ही लागू हो सका. जिन लोगों की आय 500 रूपये से ज्यादा होती उन्हें अपने कुल आय का 5% इनकम टैक्स भरना होता था.

सेना का पुनर्गठन– ईस्ट इंडिया कम्पनी को ब्रिटिश आर्मी में शामिल कर लिया गया और भारतीय सिपाहियों को ब्रिटिश आर्मी में रेगुलर बेसिस पर रख लिया गया,भारतीय और अंग्रेज सैनिकों की संख्या का अनुपात भी निर्धारित किया गया.

बंगाल रेंट एक्ट– 1859 में बंगाल रेंट एक्ट शुरू किया जिसके अंतर्गत जमीन के मलिक कोर्ट या किसी सरकार को बिना सूचित किये जमीन का किराया नहीं बढ़ा सकते थे,इस एक्ट के कारण किसानों को बहुत राहत मिली.

दी टी मेनिया– 1850 से 1860 के दशक में आसाम में चाय के बागानों पर अंग्रेजों ने ध्यान दिया,लार्ड कैनिंग ने इन बागानों के सेल और रीसेल के आदेस दिया जिससे कि चाय की खेती बढाई जा सके,इसे ही टीमेनिया कहा गया.

 

लार्ड कैनिंग द्वारा किये गये महत्वपूर्ण काम (Important work done by Lord Canning)

  • भारत के वाइसरॉय की हैसियत से लार्ड कैनिंग ने देश की आर्थिक व्यवस्था,आर्मी,एग्रीकल्चर और कई अन्य क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन किये,जिससे कि देश में शैक्षणिक,सामाजिक और आर्थिक विकास की दर बढ़ी.
  • उन्होंने ब्रिटिश इंडियन आर्मी को वापिस इकठ्ठा किया और आर्थिक स्थायित्व लाने के लिए इनकम टैक्स,10 प्रतिशत का एक समान टेरिफ, और कनवर्टिबल पेपर करेंसी शुरू किया, 1857 में उनके कार्यकाल में ही कलकता,मद्रास और बोम्बे यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई.

लार्ड कैनिंग से जुड़े रोचक तथ्य (Unknown Facts about Lord Canning)

  • इलाह्बाद के मिन्टो पार्क में 1858 में लार्ड कैनिंग ने रानी विक्टोरिया की उस घोषणा को पढ़ा था,जिसके अनुसार भारत उप्म्हाध्विप सीधा महारनी के नियन्त्रण में हो गया था.
  • 1861 में लार्ड कैनिंग की पत्नी की मृत्यु मलेरिया से हुई थी, उन्हें बेर्कौर में दफनाया गया, बंगाल में लेडी केनिंग के नाम पर एक प्रकार की मिठाई प्रसिद्ध हैं जिसका नाम हैं लेडीकेनी. उनकी कब्र कलकता में सेंट जोन्स चर्च के पास बनाई गयी है.

लार्ड कैनिंग की मृत्यु (Lord Canning death)

लगतार काम करने और दबाव के कारण लार्ड कैनिंग की तबियत खराब रहने लगी थी, उनकी पत्नी के देहांत ने भी उन्हें काफी कमजोर कर दिया था, अपनी मातृभूमि पर बचा हुआ जीवन बिताने और प्राण त्याग की इच्छा के साथ ही वो अप्रैल 1862 में भारत छोड़कर इंग्लॅण्ड चले गये थे.लन्दन में 17 जून को उनका देहांत हुआ था,और उन्हें वेस्ट मिनिस्ट्री ऑफ़ अबे(abey)में दफनाया गया था.

लार्ड कैनिंग के नाम पर भारत में धरोहर

लार्ड कैनिंग के नाम पर पश्चिम बंगाल में मतलब नदी के दक्षिणी किनारे पर 24 परगने का एक शहर बसा हुआ हैं, यह शहर सुंदरबन का द्वारा कहलाता हैं. ये कैनिंग सबडिविजन का हेडक्वार्टर हैं और सब-डिविजन कोर्ट की सीट हैं. 

 

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