लॉर्ड इरविन जीवन परिचय (Lord Irwin Biography in hindi)
वैसे तो स्वतंत्रता के पूर्व ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में नियुक्त गवर्नर जनरल और वायसराय के कार्यकाल में बहुत से महत्वपूर्ण कार्य और घटनाएँ हुयी, लेकिन कुछ वायसराय के समय में देश में बड़े परिवर्तन की नीव रखी गयी, ऐसे ही वायसराय के नामों की सूची में एक नाम लार्ड इरविन का भी हैं.
लार्ड इरविन का बचपन और प्रारम्भिक जीवन (Lord Irwin’s Childhood and Early life)
इरविन अपने पिता की चौथी सन्तान थे. उनके पिता योर्कशायर में एंग्लो-कैथोलिक आंदोलन में नेता थे. लॉर्ड इरविन का जन्म से बाया हाथ नहीं था.
पूरा नाम (Full name) | एडवर्ड फ्रेडेरिक लिंडले वुड ,विस्काउंट हेलिफेक्स |
पेशा (Occupation) | भारत में ब्रिटिश वायसराय(1925-31),विदेश सेक्रेटरी (1938-44),यूनाइटेड स्टेट्स में एम्बेसडर (1941-46) |
लार्ड इरविन का भारत में कार्यकाल (Lord Irwin in India)
- 1925 में लॉर्ड इरविन को भारत का वायसराय नियुक्त किया और यहाँ उन्हें बेरोन इरविन का नाम मिला. 1925-29 तक भारत में उन्होंने धार्मिक द्वंदों का सामना किया जबकि वो खुद एक धार्मिक व्यक्ति थे.
- इरविन का भारत से आनुवंशिक कनेक्शन कहा जा सकता हैं क्योंकि उनके दादा ने भारत में सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट फॉर इण्डिया के तौर पर काम किया था. इरविन एक धार्मिक व्यक्ति थे और ऐसा कहा जाता हैं कि शायद इस कारण ही उन्हें भारत में नियुक्त किया गया था जिससे कि वो धार्मिक प्रवृति के महात्मा गांधी को सम्भाल सके. लेकिन उम्मीद से विपरीत 19 महीनों तक इरविन ने महात्मा गांधी को नजर-अंदाज किया था.
- 31 अक्टूबर 1929 को लार्ड इरविन ने ब्रिटिश सरकार की तरफ से भारत में एक महत्वपूर्ण घोषणा की जिसे इरविन डिक्लेरेशन भी कहा जाता हैं. इस घोषणा में कहा गया कि ब्रिटिश सरकार भारत को स्वतंत्र-उपनिवेश बनाने के लिए तैयार हैं. पांच पंक्ति की इस घोषणा ने ब्रिटेन और भारत दोनों जगह हलचल कर दी. ब्रिटेन में जहां इसका विरोध हुआ वही भारत में राष्ट्रवादी नेताओं ने इसका स्वागत किया,लेकिन बाद मेंपूर्ण स्वराज की मांग की गयी.
- 1930 के अप्रैल मेंगांधीजी के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की. मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा ना करने पर असहयोग आंदोलन की चेतावनी दी. लार्ड इरविन इन सभी राजनीतिक समस्याओं को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की कोशिश कर रहे थे,लेकिन परिस्थितियाँ जटिल होती जा रही थी.
- अंतत: 5 मार्च 1931 को इरविन और गाँधी के बीच एक संधि हुयी जिसेगांधी इरविन पैक्ट कहा जाता हैं.
- इस संधि के मुख्य बिंदु थे-
- कांग्रेस को राउंड टेबल कांफ्रेंस में भाग लेना होगा और कांग्रेस असहयोग आंदोलन समाप्त करेगी.
- सरकार कांग्रेस नेताओं पर चलाए सभी मुकदमे और अभियोग समाप्त करेगी और उन्हें जेल से मुक्त करेगी.
- कांग्रेस ने पहले गोलमेज सम्मेलन का बहिष्कार किया और गाँधी-इरविन पैक्ट के एक महीने बाद ही इरविन सेवानिवृत हो गये. इरविन महात्मा गांधी का सम्मान करते थे और देश छोड़ने से पहले कई औपचारिक जगहों पर उन्होंने गांधीजी के प्रति सम्मान जताया था.
भारत में लार्ड इरविन के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुयी.
- 1926 में धनबाद में स्कूल ऑफ़ माइंस की शुरुआत हुयी, अगले वर्ष कृषि में रॉयल कमिशन बना.
- 1928 मेंसाइमन कमिशन बोम्बे पहुंचा.
- 1929 में इंपीरियल काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च बना, औरभगत सिंहऔर बटुकेश्वर दत्त ने असेम्बली में बम फैंका.
- 1930 में साइमन रिपोर्ट प्रकाशित हुयी तो अगले वर्ष पहला गोलमेज सम्मेलन हुआ.
इस तरह ये वो समय था जब देश की स्वतंत्रता के लिए सभी आवश्यक कार्य सम्पन्न हो रहे थे, इसमें इरविन ने भी योगदान दिया था.