सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय (Sarojani Naidu  Biography in Hindi)

देश की स्वतंत्रता में योगदान देने वाली क्रांतिकारी महिलाओं में से एक सुप्रसिद्ध नाम सरोजिनी नायडू का भी हैं. सरोजनी नायडू ना केवल राजनीतिज्ञ और स्वतन्त्रता सेनानी थी बल्कि वो फेमिनिस्ट(feminist),कवियत्री और इंडियन नेशनल कांग्रेस की पहली प्रेसिडेंट एवं इंडियन स्टेट की गवर्नर भी थी. उन्हें भारत की नाइटिंगेल या भारतीय कोकिला भी कहा जाता हैं.

 

जन्म और परिवार (Sarojani Naidu Birth and Family details)

नाम (Name) सरोजनी नायडू
पेशा (Occupation) स्वत्न्र्ता सेनानी,राजनीतिज्ञ
जन्मदिन (Birth day) 13 फरवरी 1879
जन्मस्थान (Birth place) हैदराबाद
पिता (Father) अघोरिनाथ चट्टोपाध्याय
माता (Mother) बरदा सुंदरी देवी

उनके पिता साइंटिस्ट(Scientist), फिलोसोफर(Philoshpher) और शिक्षक थे. उन्होंने ही हैदराबाद में निज़ाम कॉलेज की स्थापना की थी,हालांकि बाद में उनके पिता को प्रिंसिपल पद से हटा दिया गया था.उनकी माँ बंगाली भाषा की कवियत्री थी. सरोजनी के भाई वीरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय ने बर्लिन कमिटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी,उनके पिता देश को स्वतंत्र कराने की मुहीम में शामिल थे,उस समय वो कम्युनिज्म से प्रभावित थे. सरोजनी के दुसरे भाई हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय भी जाने-माने कवि थे जो कि सफल प्लेराईटर भी थे. उनकी बहिन सुनालिनी देवी भी डांसर और एक्ट्रेस थी.

 भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में भूमिका (Role in Indian Freedom Movement)

  • सरोजिनी ने जब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना शुरू किया तो उन्हें गोपाल कृष्ण गोखले और महात्मा गाँधी जैसे प्रतिष्ठित स्वतन्त्रता सेनानियों से राजनीतिक प्रेरणा मिली.वास्तव में 1905 में हुए बंगाल के विभाजन से सरोजनी भीतर तक  आहत हुई थी और उन्होंने तुरंत ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का फैसला कर लिया था. इसके बाद उन्होंने नियमित रूप से गोपाल कृष्ण गोखले के साथ मुलाकात और विचार-विमर्श करना शुरू किया. जिससे उनकी पहचान  भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल अन्य प्रबुद्ध व्यक्तियों से हुयी, और उन्हें आगे दिशा मिलती गई. 
  • गोपाल कृष्णगोखलेने उन्हें  अपनी बुद्धि और शिक्षा को पूरी तरह देश को समर्पित करने के लिए प्रेरित किया. जिसके प्रभाव से उन्होंने प्रोफेशनल लेखन  को बंद करके खुद को राजनीति में पूरी तरह से समर्पित कर दिया.  महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सी पी रामस्वामी अय्यर और मुहम्मद अली जिन्ना से भी मिलती रहती थी,जिससे देश की स्वतंन्त्रता के लिए आगे की रूप-रेखा तैयार हो सके. 
  • मार्च 1919  में जब ब्रिटिश सरकार ने रोलट एक्ट पारित किया जिसके अनुसार राजद्रोह दस्तावेजों का कब्जा अवैध माना गया था, महात्मा गांधी ने इस एक्ट के विरोध मेंअसहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया तब नायडू का नाम भी आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों में शामिल था. सरोजिनी नायडू ने  हमेशा  गांधी को आदर्श माना था और उनके बनाये सिद्धांतों का पलना किया था. उन्होंने सक्रिय रूप से मोंटगु-चेम्सफोर्ड सुधार, खिलफत आन्दोलन, साबरमती संधि, सत्याग्रह और नागरिक अवज्ञा आंदोलन जैसे अन्य आंदोलनों का समर्थन भी किया.
  • 1930 में साल्ट मार्च के दौरान जब दांडी में गांधी को गिरफ्तार किया गया, तो उन्होंने अन्य सत्याग्रहों के साथ धारासना सत्याग्रह का नेतृत्व किया.
  • 1931 में ब्रिटिश सरकार के साथ राउंड टेबल वार्ता में भाग लेने के लिएमहात्मा गाँधी के साथ लंदन भी गई. इस तरह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान  वो1930, 1932 और 1942 में जेल तक गयी. 1942 में उनको गिरफ्तार किया गया  और उन्होंने 21 महीने तक कारावास में जीवन व्यतीत किया. 1919 में वह आल इंडिया होम रुल डेप्युटेशन (All-India Home Rule Deputation) के सदस्य के रूप में इंग्लैंड गईं.
  • जनवरी 1924 में, वह पूर्वी अफ्रीकी भारतीय कांग्रेस में भाग लेने के लिए गए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो प्रतिनिधियों में से एक थीं.स्वतंत्रता के लिए दिए जाने वाले उनके निःस्वार्थ योगदान के परिणामस्वरूप, उन्हें 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था. 
  • नायडू ने दुनिया भर में भारत की स्वतंत्रता के लिए भारतीयों द्वारा किये जाने वाले  अहिंसक संघर्ष की बारीकियों को प्रस्तुत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने गांधीवादी सिद्धांतों का प्रसार करने के लिए यूरोप और यहां तक ​​की संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा की.भारत की आजादी के बाद, वह यूनाइटेड प्रोविंस (अब उत्तर प्रदेश) की पहली गवर्नर बनी,और अपने देहांत तक इस पद पर बनी रही.

सरोजनी नायडू की साहित्यिक उपलब्धियाँ (Literary Achievements of Sarojini Naidu)

  • सरोजिनी नायडू ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और राजनीति में भाग लेने की अलावा भारतीय कविताओं के क्षेत्र में भी ख्याति अर्जित की. उनकी बहुत से रचनाओं पर गानें बनाये गए. वो प्रकृति के अलावा अपने आस पास के दैनिक जीवन से भी प्रेरणा लेती थी. उनकी कविताओं में देशभक्ति की झलक भी देखने को मिलती हैं.
  • 1905 में उनकी कविताओं का संग्रह “गोल्डन थ्रेसहोल्ड” नाम के टाइटल से प्रकाशित हुआ, इसके बाद उन्होंने अपने 2 अन्य पब्लिकेशन जिनके नाम क्रमश: “दी बर्ड ऑफ़ टाइम” और “दी ब्रोकन विंग्स” थे,भी प्रकाशित किये. इन दोनों ही किताबों के भारत और इंग्लैंड में बहुत बड़ी संख्या में पाठक और प्रशंसक मिले.
  • कविताओं के अतिरिक्त उन्होंने कुछ आर्टिकल और निबंध भी इल्हे थे जैस “ वर्ड्स ऑफ़ फ्रीडम” जो कि उनके राजनीतिक विचारों पर आधारित थी इसके अतिरिक्त उन्होंने महिला सशक्तिकरण जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी लिखा था.  दी फेदर ऑफ़ दी डॉन को उनकी बेटी पद्मजा ने 1961 में एडिट करके पब्लिश करवाया था.
  • उनके कुछ अन्य साहित्य “दी बर्ड ऑफ़ टाइम: सोंग ऑफ़ लाइफ,डेथ एंड दी स्प्रिंग,दी ब्रोकन विंग: सोंग ऑफ़ लव, डेथ एंड स्प्रिंग,मुहम्मद जिन्ना:अन एम्बेसडर ऑफ़ यूनिटी,दी सेप्ट्रेड फ्लूट: सोंग्स ऑफ़ इंडिया,इलाहबाद: किताबिस्तान,दी इंडियन वीवर्स,फीस्ट ऑफ़ यूथ,दी मैजिक ट्री एंड दी विज़ार्ड मास्क भी काफी चर्चित और प्रसिद्द रहे हैं.

सरोजनी नायडू की मृत्यु (Death of Sarojini Naidu)

2 मार्च 1949 के दिन सरोजनी नायडू की मृत्यु हुयी थी. उस दिन वो काफी बीमार थी,इसलिए उनके डॉक्टर ने नींद की दवाइयां दी थी,जिसके बारे में सरोजनी ने कहा कि उम्मीद करती हूँ कि ये आखिरी नींद ना हो,लेकिन वास्तव में उस रात उनकी नींद में ही मृत्यु हो गयी,उन्होंने एक सम्मानीय जीवन जिया था,और काफी ख्याति अर्जित की थी,इसलिए आज तक देश में उनके नाम की धरोहर सुरक्षित हैं.

 

सरोजनी नायडू से जुड़े रोचक तथ्य (Unknown Facts about Sarojini Naidu)

  • सरोजनी नायडू ना केवल इंग्लिश की लेखिका थी बल्कि उन्हें कई अन्य भाषाओं जैसे बंगाली,उर्दू,तेलुगु और पर्शियन भाषाओं की जानकारी भी थी. उनके पिता ने भी एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट ऑफ़ साइंस कर रखी थी.
  • गांधीजी के साथ उनका रिश्ता पारस्परिक सम्मान के साथ-साथ सौम्य हास्य का भी था. उन्होंने गांधी को ‘मिकी माउस’ कहकर सम्बोधित किया था और ये भी कहा था कि “गांधी को गरीब रखने के लिए बहुत कुछ खर्च होता है”

 

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