प्राचीन भारत का इतिहास- बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे इन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ (ऋषिपतनम) में दिया था बुद्ध ने सांसारिक दुखों के बारे मेंचार आर्य सतय बताये हैं ये हैं दुख, दुख समुदय, दुख निरोध तथा निरोध गामिनी प्रतिपदा
दुखों से छुटकारा पाने के लिए अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया ये है- सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाक, सम्यक कर्मानत, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति तथा सम्यक समाधि
प्रतीत्यसमुत्पाद को गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का सार कहा जाता है बौद्ध धर्म अनीश्वरवादी तथा अनात्मावादी है बुद्ध धर्म में के तीन रत्नहै – *बुद्ध, संघ एवं धम्म
जातक कथाओं में गौतम बुद्ध की जीवनी संबंधित कहानियां है बौद्ध ग्रंथों- सूत पिटक, विनयपिटक तथा अभिधम्म पिटक को सामुहिक रूप से त्रिपिटक कहा गया है त्रिपिटक पाली भाषा में लिखा गया है महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा में ही दिए हैं
कालांतर, कनिष्क के शासन काल में बौद्ध धर्म का विभाजन हीनयान तथा महायान दो शाखाओं में हो गया हीनयान शाखा का अनुयायियों ने गौतम बुद्ध के मूल उपदेशों को स्वीकार किया जबकि महायान शाखा के अनुयायियों ने बुद्ध की मूर्ति-पूजा का प्रचलन शुरू किया
गौतम बुद्ध के जीवन का संक्षिप्त परिचय
बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध बचपन का नाम सिद्धार्थ का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के लुंबिनी ( आधुनिक रुम्मिनदेई ) ग्राम में शाक्य क्षत्रिय कुल में हुआ। सिद्धार्थ का गोत्र गौतम था अतः इन्हें गौतम भी कहा गया है शाक्य अपने आप को इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय मानते थे इनके पिता का नाम शुद्धोधन (शाक्य गण के प्रधान) तथा माता का नाम महामाया( कोलियगण की राजकुमारी) थी बुद्ध की माता महामाया कोलिय वंश की राजकन्या का देहांत बुद्ध के जन्म के सातवें दिन हो गया अतः उनका लालन-पालन उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया ।
कालदेवल एवं कौडिन्य ने भविष्यवाणी की की सिद्धार्थ चक्रवर्ती राजा या सन्यासी होगा बाल्यकाल से ही सिद्धार्थ की आध्यात्मिक रुचि के कारण उनका विवाह 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह शाक्य कुल गणराज्य की कन्या यशोधरा से कर दिया जिनका बौद्ध ग्रंथों मेंबिम्बा, गोपा , भद्कच्छनानाम भी मिलता है। 28वे वर्ष में सिद्धार्थ को यशोधरा से राहुल नामक पुत्र प्राप्त हुआ लेकिन सांसारिक दुखों से द्रवित होकर उन्होंने 29 वर्ष में गृह त्याग कर दिया जिसे महाभिनिष्क्रमण कहते हैं सिद्धार्थ ने अपने घोड़े कन्थक और सारथी छंदक को लेकर गृह त्याग किया
गौतम बुद्ध में वैराग्य उत्पन्न करने वाले चार दृश्य।
1 जर्जर शरीर वाला वृद्ध व्यक्ति
2 रोगी व्यक्ति
3 व्यक्ति
4 प्रसन्न मुद्रा में सन्यासी
गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ ने अनोमा नदी के किनारे सिर मुंडवाकर भिक्षुकों के वस्त्र धारण किए। गृह त्याग के पश्चात उनके प्रथम गुरु वैशाली के समीप आलारकालाम नामक सन्यासी थे जो सांख्य दर्शन के आचार्य थे इसी कारण बौद्ध धर्म पर सांख्य दर्शन का प्रभाव है ।आलारकलाम के बाद राजगृह के रुद्रक (उद्रक) रामपुत सिद्धार्थ के गुरु बने किंतु सिद्धार्थ संतुष्ट नहीं हुए ।
35 वर्ष की आयु मैं उरुवेला में एक वट वृक्ष के नीचे समाधि की अवस्था में 49वे दिन वैशाख पूर्णिमा की रात निरंजना (पुनपुन) नदी के तट पर सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ ज्ञान प्राप्ति की इस घटना को संबोधि कहा जाता है ज्ञान प्राप्ति घटना के 2 दिन बाद ही सिद्धार्थ तथागत हो गए व गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए उरुवेला से बुद्ध वाराणसी के पास स्थित सारनाथ आए वहां ऋषिपत्तनम (उषावदन) व मृगदाव आश्रम में पांच ब्राह्मण सन्यासियों को पाली भाषा में प्रथम उपदेश दिया ।
यह पांच शिष्य थे
1 आंज
2 कोडिन्य
3 अस्सजि वप्प
4 महानाम
5 भद्दिय
उनका प्रथम उपदेश धर्मचक्रप्रवर्तन कहलाता है यह सारनाथ में बुद्ध ने बौद्ध संघ की स्थापना कर बौध्दसंघ में प्रवेश प्रारंभ किया । mबुद्ध ने अपने जीवन के सर्वाधिक उपदेश कोशल की राजधानी श्रावस्ती में दिए । उन्होंने मगध को अपना प्रचार केंद्र बनाया। बुध्द ने तपस्सू एवम भल्ली नामक दो बंजारों को बौद्ध धर्म का सर्वप्रथम अनुनाई बनाया ।
बुद्ध के प्रधान शिष्य उपाली एवं सर्वाधिक प्रिय शिष्य आनंद थे । बुद्ध ने चुंद नामक लोहार के घर पावा में भोजन ग्रहण किया जिससे वे उदर विकार से पीड़ित हो गए और बीमारी की अवस्था में ही कुशीनगर आए । महात्मा बुद्ध का निधन 883 ईसा पूर्व में 80 वर्ष की आयु में हिरण्यवती नदी के तट पर कुशीनारा कुशीनगर में हुआ। बुद्ध के निधन को महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है । मृत्यु से पूर्व बुद्ध ने कुशीनारा में परिव्राजक सुबच्छ ( सुभद्द ) को अपना अंतिम उपदेश दिया।
महापरिनिर्वाण के बाद बुद्ध के अवशेषों को निनाद लोगों ने 8 भागों में विभाजित किया उन पर आठ स्थूप बनाए।
1 मगध नरेश अजातशत्रु
2 वैशाली के लिच्छवी
3 कपिलवस्तु के शाक्य
4 अलका अल्लकप्प के बुली
5 रामग्राम के कोलिय
6 वेठद्वीप के ब्राह्मण
7 पाव व कुशीनगर के मल्ल
8 पिप्पलिवन के मौर्य
बुद्ध के जीवन में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुई उनके प्रतिक निम्न है
घटना – प्रतीक चिह्न
जन्म – कमल एवं सांड
गृह त्याग – घोड़ा
ज्ञान – पीपल
निर्वाण – पदचिन्ह
मृत्यु – स्तूप
बौद्ध संगतिया
प्रथम बौद्ध संगीति – अजातशत्रु के काल मे राजगृह में 483 ई पू में हुई इनका अध्यक्ष महाकस्सप था
द्वितीय बौद्ध संगीति- कालाशोक के काल मे वैशाली में 383 ईसवी पूर्व में हुई जिसका अध्यक्ष सर्वकामी (सबबकामी ) था
तृतीय बौद्ध संगीति -पाटलिपुत्र में अशोक के शासनकाल में 251 पूर्व में हुई इसका अध्यक्ष मोग्गलीपुत्त तिसम था
चतुर्थ बौद्ध संगीति – कनिष्क के शासनकाल में कुंडल वन में ई की प्रथम शताब्दी में हुई इसका अध्यक्ष वसुमित्र था
बौद्ध धर्म महत्वपूर्ण तथ्य/शब्दावली (Buddhism Important Facts / Glossary)
- नत्ति – बौद्ध संघ की सभा में प्रस्ताव को नत्ति कहा जाता है।
- अनुस्सावन – प्रस्ताव के पाठ को अनुस्सावन कहते थे। इसे कम्मवाचा भी कहते थे।
- आसन प्रज्ञापक – सभा में बैठाने वाला अधिकारी ।
- मत को छंद तथा गुप्त मतदान को गुल्लहक कहा जाता था।
- उपोसथ – किसी विशेष अवसर पर सभी भिक्षु उपस्थित होकर धर्म चर्चा का करते थे तो वह उपोसथ या उपावस्था कहलाता था।
- प्रवारणा (पवारणा) – वर्षावास के अंत में संघ में सम्मिलित होकर अपने अपराध की स्वीकृति करना आवश्यक था इसको प्रवारणा कहा जाता था।
- पतिमोक्ख – समय-समय पर भिक्षुओं की सभा में किया जाने वाला विधि निषादों का पाठ पतिमोक्ख (प्रतिमोक्ष) कहलाता था।
- कन्थिन – यह को वस्त्र वितरण के लिए होने वाला समारोह था।
- उपासक – गृहस्थ जीवन में रहकर बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग।
- वसा/आश्रय –गौतम बुद्ध बौद्ध भिक्षु वर्षा काल में उपदेश नहीं देते थे। अन्य समय में उपदेश देते हुए भ्रमण करते थे। वर्षा काल के चार महीनों में भिक्षु एक जगह रहकर ही समाधि या धध्यान लगाते थे। जिसे वसा या आश्रय कहते थे।
महात्मा बुद्ध की शिष्यायें
- महाप्रजापति गौतमी – बुद्ध की मौसी व विमाता, बुद्ध की पहली शिष्या ।
- यशोधरा- बुध्द की पत्नी थी ।
- नन्दा – यह नन्द की बहन व महाप्रजापति गौतमी की लड़की थी ।
- आम्रपाली – वैशाली की नगरवधु थी ।
- विशाखा – अंग महाजनपद के भछियग्राम के श्रेष्ठी की लड़की ।
- क्षेमा – मद्र देश की राजकुमारी ।बिम्बिसार से विवाह किया था ।
- मल्लिका – कोशल नरेश प्रशेनजित की पत्नी ।
- सामावती – कौशांबी के राजा उदयन की पत्नी