भारत में विभिन्न प्रकार के खनिजों का भंडार है। प्रायद्वीपीय पहाड़ियों में अधिकतम कोयले की खदानें, धातु खनिज एवं कुछ अन्य अधातु खनिज पाए जाते हैं। पश्चिमी एवं पूर्वीय प्रायद्वीपों की तलछटी चट्टानों विशेषत: गुजरात तथा असम में पैट्रोलियम पदार्थ अधिक पाए जाते हैं। राजस्थान के प्रायद्वीपीय चट्टानों में ग़ैर-लौह खनिज का भंडार है। यदि हम भारत की स्थिति व्यक्तिगत तौर पर देखें तो यह संसाधनों के विषय में पूरे विश्व में चौथे स्थान पर आता है। मैनगनीज एवं चूना पत्थर जो स्टील उद्योग में प्रयोग किए जाते हैं वह भारत में पाए जाते हैं। भारत में कोयला भी प्रचुर मात्रा में मौजूद है। यही स्थिति बॉक्साइट के साथ भी है। यह भारत के लिए अच्छी बात है कि यहाँ कोयला, लौह अयस्क बॉक्साइट, मैगनीज चूना पत्थर आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। हमारे भारत में ग़ैर-लौह धातुएँ कम पार्इ जाती हैं। इनमें से कुछ जिंक, लैंड तथा तांबा है।

हमारे देश में 100 से अधिक खनिजों के प्रकार मिलते हैं। इनमें से 30 खनिज पदार्थ ऐसे हैं जिनका आर्थिक महत्व बहुत अधिक है। उदाहरणस्वरूप कोयला, लोहा, मेंगनीज़, बाक्साइट, अभ्रक इत्यादि। दूसरे खनिज जैसे फेल्सपार, क्लोराइड, चूनापत्थर, डोलोमाइट, जिप्सम इत्यादि के मामले में भारत में इनकी स्थिति संतोषप्रद है। परन्तु पेट्रोलियम तथा अन्य अलौह धातु के अयस्क जैसे ताँबा, जस्ता, टिन, ग्रेफाइट इत्यादि में भारत में इनकी स्थिति संतोषप्रद नहीं है। अलौह खनिज वे हैं जिनमें लौह तत्व नहीं होता है। हमारे देश में इन खनिजों की आन्तरिक माँगों की आपूर्ति बाहर के देशों से आयात करके की जाती है।

भारत के खनिज संसाधन

भारत के खनिज संसाधन (bharat ke khanij sansadhan) भारत के खनिज संसाधन इस प्रकार हैं –
  1. कोयला
  2. पेट्रोलियम
  3. प्राकृतिक गैस
  4. आण्विक खनिज
  5. लौह अयस्क
  6. मेंगनीज अयस्क
  7. बॉक्साइट
  8. अभ्रक
  9. चूना पत्थर

1. कोयला – भारत में कोयला ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। देश के सभी कारखानों में र्इंधन के रूप में कोयला, घरेलू-र्इंधन के रूप में प्रयुक्त हो रहा है। भारत में कोयला दो प्रमुख क्षेत्रों में उपलब्ध है। पहला क्षेत्र-गोन्डवाना कोयला क्षेत्र कहलाता है तथा दूसरा टरशियरी कोयला क्षेत्र कहलाता है। भारत के कुल कोयला भण्डार एवं उसके उत्पादनों का 98% गोन्डवाना कोयला क्षेत्रों से प्राप्त होता है तथा शेष 2: टरशियरी कोयला क्षेत्रों से मिलता है।

2. पेट्रोलियम – पेट्रोलियम के महत्वपूर्ण उत्पादों में पेट्रोल, मिट्टी का तेल, डीजल हैं। पेट्रोलियम अधिकांश क्षेत्र असम, गुजरात तथा पश्चिमी तट के अपतटीय क्षेत्रों में पाए गए हैं। अब तक भारत में पेट्रोलियम का उत्पादन असाम पट्टी, गुजरात-खम्बात की पट्टी तथा बाम्बे-हाई में हो रहा है। असम की पट्टी का विस्तार सुदूर उत्तर-पूर्वी छोर पर अवस्थित देहाँग-बेसिन से लेकर पहाड़ियों के बाहरी छोर के साथ-साथ सूरमा-घाटी की पूर्वी सीमा तक विस्तृत है। गुजरात-खम्बात पट्टी गुजरात के उत्तर में मेहसाना से लेकर दक्षिण में रत्नागिरि (महाराष्ट्र) के महाद्वीपीय निमग्न तट तक फैली है। इसी के अन्तर्गत बाम्बे हाई भी आता है जो भारत का सबसे बड़ा पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र है।
असाम में उत्पादक क्षेत्र लखीमपुर तथा शिवसागर जिलों में स्थित हैं। पेट्रोलियम के उत्पादन के लिये खननकूप डिग्बोई, नहरकटिया, शिवसागर एवं रुद्र सागर के आसपास स्थित हैं। इसी प्रकार गुजरात राज्य में तेल उत्पादक स्थान वड़ोदरा, भरोच, खेड़ा, मेहसाना एवं सूरत जिलों में स्थित हैं। हाल ही में पेट्रोलियम के भण्डार की खोज राजस्थान के बीकानेर जिलान्तर्गत बहुत बड़े क्षेत्र में तथा बाड़मेर एवं जैसलमेर क्षेत्रों में की गई है। इसी प्रकार आन्ध्रप्रदेश के पूर्वी तटवर्ती गोदावरी डेल्टा तथा कृष्णा डेल्टा में अन्वेषण के दौरान प्राकृतिक गैस मिली है।
3. प्राकृतिक गैस – प्राकृतिक गैस ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में उभर कर आ रहा है। पेट्रोलियम उत्पादन में आनुषंगिक रूप में प्राकृतिक गैस के मिलने की संभावना बनती ही है। वर्ष 2003.2004 में प्राकृतिक गैस का भारत में उत्पादन करीब 31 अरब घनमीटर था। भारत में प्राकृतिक गैस प्राधिकरण की स्थापना 1984 में की गई थी।
4. आण्विक खनिज – परमाणु शक्ति का उत्सर्जन इन खनिजों के अन्दर व्याप्त परमाणुओं के विखंडन या विलयनीकरण से होता है। इन खनिजों के अंतर्गत यूरेनियम, थोरियम एवं रेडियम आते हैं। भारत में विश्व का सबसे बड़ा भण्डार मोनाजाइट का है, जो थोरियम का स्रोत है। इसके अलावा यूरेनियम के भण्डार हैं।

  1. यूरेनियम – भारत में यूरेनियम आग्नेय एवं रूपान्तरित शैलों में अन्त:स्थापित होकर पाए जाते हैं। ऐसे विशिष्ट खनिजयुक्त शैल झारखण्ड, राजस्थान, आन्ध्रप्रदेश तथा हिमालय के कुछ भागों में पाए जाते हैं। केरल के तटवर्ती क्षेत्रों में काफी बड़ी मात्रा में यूरेनियम, मोनाजाइट-बालुओं के ढेरों में उपलब्ध हैं।
  2. थोरियम – थोरियम मुख्य रूप से मोनाजाइट बालू में मिलते हैं। केरल के पालघाट तथा कोल्लम (क्विलोन) जिलों में पाए जाने बालुओं में विश्व का सर्वाधिक मोनाजाइट खनिज मिलता है। आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में भी बालुओं में मोनाजाइट मिलता है।

5. लौह अयस्क – भारत पूरे विश्व के गिने-चुने ऐसे देशों में से एक है जहाँ उत्तम कोटि के लौह-अयस्क के विशाल भण्डार हैं। विश्व के सकल लौह अयस्क भण्डार का 20 प्रतिशत से अधिक भण्डार भारत में है। भारत में मिलने वाले लौह अयस्कों में लौह धातु के अंश 60 प्रतिशत से कुछ ज्यादा है। इसलिए भारत के लौह अयस्क उच्च कोटि के माने जाते हैं। भारत में पाए जाने वाले लौह अयस्क तीन प्रकार के हैं-

  1. हेमेटाइट – हेमेटाइट नामक अयस्क में लोहे का अंश 68% तक होता है। इस अयस्क का रंग लाल होता है। इसलिए प्राय: इसे ‘‘लाल अयस्क’’ के नाम से भी जाना जाता है।
  2. मेग्नेटाइट – मेग्नेटाइट नामक लौह अयस्क आता है जिसका रंग काला होता है, इसलिए इसे ‘‘काला अयस्क’’ भी कहते हैं।
  3. लिमोनाइट – लौह अयस्क ‘‘लिमोनाइट’’ कहलाता है। जिसमें लौह धातु 35-40 प्रतिशत तक होता है। इसका रंग पीला होता है। चूँकि हेमेटाइट तथा मेग्नेटाइट अयस्क के इतने विशाल भण्डार हैं अत: लिमोनाइट अयस्क का दोहन भारत में फिलहाल नहीं हो रहा है।
6. मेंगनीज अयस्क – मेंगनीज अयस्क के उत्पादन में भारत का स्थान विश्वस्तर पर रूस एवं दक्षिण अफ्रीका के बाद तीसरा है। भारत के सकल मेंगनीज अयस्क उत्पादन का लगभग एक चौथाई भाग निर्यात किया जाता है। मेंगनीज उत्पादन के प्रमुख खेत्रा उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश के अन्तर्गत आते हैं। भारत के 78 प्रतिशत से ज्यादा मेंगनीज अयस्क के भण्डार महाराष्ट्र के नागपुर तथा भण्डारा जिलों से लेकर मध्य प्रदेश के बालाघाट एवं छिन्दवाड़ा जिलों तक फैली पट्टी में मिलते हैं।
 
7. बॉक्साइट – यह एक अलौह खनिज निक्षेप है जिससे अल्यूमिनियम नामक धातु निकाली जाती है। भारत में बॉक्साइट खनिज के इतने निक्षेपों के भण्डार हैं कि भारत अल्यूमिनियम के मामले में आत्म निर्भर रह सकता है। अल्यूमिनियम धातु, जो बॉक्साट खनिज से निकाला जाता है, का बहुमुखी उपयोग वायुयान निर्माण, विद्युत उपकरणों के निर्माण, बिजली के घरेलू उपयोगी सामान बनाने में, घरेलू साज-सज्जा के सामान के निर्माण में होता है। बाक्साइट का उपयोग सफेद सीमेन्ट के निर्माण में तथा कुछ रासायनिक वस्तुएं बनाने में भी होता है। भारत में सभी प्रकार के बाक्साइट का अनुमानित भण्डार 3037 मिलियन टन है। बॉक्साइट के निक्षेपों का वितरण देश के अनेक क्षेत्रों में है। परन्तु विपुल राशि में इसके भण्डार महाराष्ट्र, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा एवं उत्तर प्रदेश में अवस्थित हैं।
मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ को मिलाकर देखा जाए तो देश के कुल बॉक्साइट भण्डार के 22 प्रतिशत भाग तथा उत्पादन में देश के कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत भाग इन दोनों राज्यों के निक्षेपों से प्राप्त होते हैं। इन राज्यों में बॉक्साइट के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं- अमरकंटक पठार में सरगुजा, रायगढ़ एवं बिलासपुर जिले; मैकल पर्वत श्रृंखला के अन्तर्गत बिलासपुर, दुर्ग, (दोनों छत्तीसगढ़) एवं मण्डला, शहडोल व बालाघाट जिले (मध्यप्रदेश) तथा कटनी जिला (मध्यप्रदेश) सम्मिलित हैं।
8. अभ्रक – भारत पूरे विश्व में शीट अभ्रक का अग्रणी उत्पादक देश है। अब तक इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में अभ्रक अपरिहार्य रूप से उपयोग में आते रहे हैं। परन्तु जब से इसका कृित्राम रूप से संश्लेषित विकल्प आ गया, अभ्रक खनिज का उत्पादन एवं निर्यात दोनों कम हो गया है। भारत में यद्यपि अभ्रक का वितरण बहुत विस्तृत है, किन्तु उत्पादन की दृष्टि से महत्वपूर्ण निक्षेप तीन प्रमुख पट्टियों में सीमित हैं। ये तीनों पट्टियां बिहार, झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश एवं राजस्थान राज्यों के अन्तर्गत आती हैं।
बिहार और झारखण्ड में उत्तम कोटि के रूबी अभ्रक का उत्पादन होता है। बिहार, झारखण्ड के मिले जुले भूभाग में अभ्रक खनिज की निक्षेप पट्टी का विस्तार पश्चिम में गया जिला से हजारीबाग, मुँगेर होते हुए पूर्व में भागलपुर जिले तक फैला हुआ है। इस पट्टी के बाहरी क्षेत्र में धनबाद, पालामू, राँची एवं सिंहभूमि जिलों में भी अभ्रक के भण्डार मिलते हैं। बिहार, झारखण्ड मिलाकर भारत के कुल अभ्रक उत्पादन का 80 प्रतिशत भाग उत्पादित करते हैं। आन्ध्रप्रदेश में अभ्रक की पट्टी नैलूर जिले में ही सीमित है। राजस्थान देश का तीसरा प्रमुख अभ्रक उत्पादक राज्य है। इस राज्य में अभ्रक खनिज से सम्पन्न पट्टी का विस्तार जयपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर और किशनगढ़ जिलों में फैला है। यहाँ अभ्रक की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। इन तीन प्रमुख पट्टियों के अलावा अभ्रक के निक्षेप केरल, तमिलनाडु एवं मध्य प्रदेश में भी मिलते हैं।

भारत में अभ्रक खनिज का उत्खनन निर्यात के लिय होता रहा है। भारत के अभ्रक का आयात प्रमुख रूप से (कुल निर्यात का 50 प्रतिशत भाग) संयुक्त राज्य अमेरिका करता रहा।

9. चूना पत्थर – इस खनिज का उपयोग कई प्रकार के उद्योगों में होता है। सीमेन्ट उद्योग भारत के 76 प्रतिशत चूने पत्थर के खपत का प्रमुख स्रोत है। चूने के पत्थर की खपत लौह इस्पात उद्योग में 16 प्रतिशत और रासायनिक उद्योगों में 4 प्रतिशत होती है। शेष 4 प्रतिशत उर्वरक, कागज, शक्कर, फेरो-मेंगनीज उद्योगों में खप जाता है। मध्यप्रदेश में चूना पत्थर के कुल भण्डार का 35 प्रतिशत अंश पाया जाता है।
दूसरे उत्पादक राज्य में छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, झारखण्ड, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश है। शेष चूना पत्थर के भण्डार के अंश असम, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, केरल एवं मेघालय राज्यों में है। कर्नाटक में कुल भण्डार का 10 प्रतिशत उत्पादन होता है। इस खनिज के निक्षेप कर्नाटक में बीजापुर, बेलगाम और शिमोगा जिलों में मिलते हैं।

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