सिकन्दर का भारत अभियान (Sikandar India Campaign)
- सिकंदर का जन्म 356 ईस्वी पूर्व में मेसोडोनिया(मकदूनिया) के शासक फिलिप के घर हुआ था मेसोडोनिया(मकदूनिया) के क्षत्रप फिलिप द्वितीय का लड़का तथा अरस्तू का शिष्य सिकन्दर महान ने अपनी विश्व विजय के लिए रणनीति के तहत 20 वर्ष की अल्पायु में ईरान विजय के लिए 330 ईसा पूर्व में निकला और 327 ईसा पूर्व पूर्वी ईरान पर कब्जा कर लिया ।
- पूर्वी ईरान को जीतने के बाद सिकन्दर ने अफगानिस्तान पर चढ़ाई की और उसे जीता तथा कंधार में सिकन्दरिया नामक नगर की स्थापना की । अगले वर्ष अपनी विशाल सेना लेकर काबुल की घाटी में आ पहुंचा ।यहाँ उसने अपनी सेना को दो भागों में बाँट दिया ।स्वयं सिकन्दर विभक्त सेना के एक भाग के साथ बल्ख (बैक्ट्रिया )तक जा पहुंचा तथा उन सभी एरिया को जीता ।सेना के दूसरे भाग का नेतृत्व अपना सेनापति हेफिस्तियान और परिडिक्स के नेतृत्व में सिंध पर विजय करने के लिए भेजा ।
- 326 ईसा पूर्व बैक्ट्रिया से वह भारत विजय के अभियान पर निकला और काबुल होते हुए हिन्दुकुश पर्वत को पारकर सिन्धु नदी के तट पर पहुँचा ।यहाँ पर उसने सेना को दो भाग में बाट दिया ।स्वयं विभक्त सेना के एक भाग को लेकर सर्वप्रथम पर्वतीय जाति अश्वक /अश्मक पर आक्रमण किया ।इस आक्रमण में सिकन्दर घायल हुए प्रतिशोध उसने वहाँ जजनसंहार किया ।अश्वक राजा के मरने के बाद रानी ने मोर्चा संभाला और उसकी देखा-देखी में पर्वतीय स्त्रियां लड़ाई में कूद पड़ी ।कई दिनों के विस्तारपूर्वक प्रतिरोध के बाद अस्सक की राजधानी मसग का पतन हो गया ।
- यूनानी लेखक ‘ अस्सक ‘के सुदृढ दुर्ग आरनास प्रकार कब्जे को सिकन्दर के भारतीय अभियान का सबसे बड़ा करिश्मा बताते हैं
- सिकंदर ने अपने विश्व विजय की योजना के अंतर्गत 326 ईसवी पूर्व में भारत पर आक्रमण किया था इस समय भारत के पश्चिमोत्तर भारत की स्थिति 28 राज्यों में विभाजित थी ( पुरु, अभिसार, पूर्वी व पश्चिमी गांधार, कंठ, सौभती, मालव, क्षुद्रक, अंबष्ट, भद्र, ग्लौगनिकाय आदि )
- इरानियों के माध्यम से यूनानियों को भारत की अपार सम्पदा की जानकारी हुई जिसकी परिणति सिकन्दर के आक्रमण में हुई । भारत पर सिकन्दर का आक्रमण दूसरा विदेशी व पहला यूरोपीय आक्रमण था ।
- तक्षशिला के शासक आम्भी ने बिना लड़े आत्मसमर्पण कर दिया व सिकंदर को सहयोग दिया। आंम्भी के अलावा शशीगुप्त पुशकरावती एवं संजय नामक राजाओं ने भी सिकंदर का साथ दिया।
- सबसे पहले 326 ई पू में सिकंदर एवं पोरस के बीच झेलम नदी के किनारे भीषण युद्ध हुआ जिसमें पोरस की हार हुई इस युद्ध को वितस्ता का युद्ध या हाईडेस्पीज का युद्ध के नाम से जाना जाता है तथा इस युद्ध में सिकंदर पोरस की वीरता से प्रभावित होकर उसने उसका राज्य वापस दे दिया था पोरस का राज्य झेलम और चिनाब नदियों के बीच था
- सिकंदर के सामने जब पोरस को बंदी बनाकर लाया गया तो सिकंदर ने पूछा कि पोरस अपने साथ कैसा बर्ताव चाहते हो तो पोरस ने जवाब दिया “जैसा एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है”। सिकंदर ने इस उत्तर से खुश होकर पोरस का राज्य लौटा दिया।
- निसा के गणतांत्रिक राज्य ने बिना युद्ध के ही सिकंदर की अधीनता स्वीकार कर ली व अपने को यूनानियों का वंशज बताया।
- सिकंदर के यूनानी सेना ने कुछ महामारी एवं प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए व्यास नदी के आगे जाने से इंकार कर के विद्रोह कर दिया था इस समय मगध नंद वंश के राजा धनानंद के अधीन था और सेना के विद्रोह को देखते हुए सिकंदर को वापस लौटना पड़ा
- कोनोस नामक सेनापति के सुझाव पर सिकंदर ने वापस लौटने का निर्णय लिया। सिकंदर ने वापस लौटने से पूर्व यूनानी देवताओं की स्मृति में व्यास नदी के तट पर विजय सीमा अंकित करने के लिए 12 विशाल वेदियां स्थापित की तथा उनकी विधिवत पूजा की। सिकंदर भारतीय दार्शनिक कालानास को अपने साथ ले गया। मेगस्थनीज के अनुसार मंडनिस नामक दार्शनिक ने सिकंदर को अपने ज्ञान से प्रभावित किया।
- सिकंदर ने 2 नगरों की स्थापना की थी पहला नगर निकैया (विजयनगर) अपनी जीत के उपलक्ष में तथा झेलम नदी के तट पर दूसरा नगर अपने प्रिय घोड़े बुकफेला नाम पर बसाया। सिकंदर ने विजित भारतीयों का क्षत्रप अपने सेनापति फिलिप को बनाया। लौटते समय323 ईसापूर्व बेबीलोन में सिकंदर का मस्तिष्क ज्वर के कारण निधन हो गया
- सिकन्दर अकेला इतिहास पुरूष है जिसका जन्म, मरण व दफन तीन अलग – अलग महादेशों में हुआ ।
जन्म – मकदूनिया -यूरोप -356 ईसा पूर्व
मरण – बेबीलोनिया -एशिया -323 ईसा पूर्व
दफन – अफ्रीका – सिकन्दरिया -323 ईसा पूर्व
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय स्रोतों में सिकंदर के आक्रमण का कोई उल्लेख नहीं मिलता है।
सिकंदर के आक्रमण का भारत पर प्रभाव
- इसके आक्रमण से भारत में राजनीतिक एकता की स्थापना हुई जिसके अंतर्गत पश्चिमोत्तर उत्तर भारत के छोटे छोटे राज्य का विलय हो गया और 3 प्रांतों का गठन हुआ
- भारतीय इतिहास के तिथिक्रम में सहायता मिली क्योंकि यूनानी साथ इतिहासकारों ने सिकंदर के आक्रमण की सही तिथि दी थी
- भारत में यूनानी राज्यों की स्थापना हुई इसके अंतर्गत पश्चिमी पंजाब सिंध आदि सीमावर्ती प्रदेशों में सम्मिलित हुए
- भारत और यूनान के बीच व्यापारिक मार्ग खुल गया इस आक्रमण से 1 जलमार्ग तथा 3 स्थलमार्ग खुले
- यूनानी इतिहासकारों ने भारत का भौगोलिक विवरण बनाया
- शासन व्यवस्था में क्षत्रप शासन प्रणाली की स्थापना हुई
- भारत में यूनानी प्रभाव वाले उलूक शैली के सिक्कों का ज्ञान बढ़ा भारत में यूनानी शैली की मूर्तियों का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ
- पुस्तक, कलम, फलक, सुरंग यवनिक आदि संस्कृत भाषा का शामिल किए गए
- चिकित्सा पद्धति यूनानियों से सीखने को मिली जो बहुत कारगर साबित हुई
- यूनानी ज्योतिष के ज्ञाता थे उनसे राशिचक्र, होरोस्कोप का ज्ञान, रोमक एवं पोलीस सिद्धांतों का ज्ञान सीखने को मिला