बांध सुरक्षा विधेयक 2019

पृष्ठभूमि:

  • नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में 5,264 बड़े बांध हैं, जबकि 437 बांध निर्माणाधीन हैं। इन बांधों के अलावा, देश में हजारों अन्य छोटे और मध्यम बांध हैं। कुल बड़े बांधों में से, 293 बांध 100 साल से अधिक पुराने हैं और 1,041 बांध 50 साल से अधिक पुराने हैं।
  • उचित कानूनी ढांचे के अभाव में, इन बड़ी संख्या में बांधों की सुरक्षा और रखरखाव चिंता का एक कारण है।
  • बांध सुरक्षा विधेयक, 2019 में देश के सभी निर्दिष्ट बांधों की उचित समुचित निरीक्षण, संचालन और रखरखाव का प्रावधान है।
  • केन्द्र का कहना है कि उसे इस विषय पर कानून बनाने का अधिकार दिया गया है, विशेष ये है कि देश मे 92% बांधों में दो या दो से अधिक राज्य (कोई भी) शामिल हैं और संविधान मे अनुच्छेद 246 और 56 केन्द्र को इस मामले मे हस्तक्षेप करने का अधिकार देता है।

विधेयक की विशेषताएं:

  • यह देश भर के उन सभी बांधों पर लागू है जो विशिष्ट डिजाइन और संरचनात्मक स्थितियों के अध्यधीन 10 मीटर से अधिक ऊंचाई पर हैं।
  • यह विधेयक, बांध सुरक्षा मानकों के संबंध में नीतियां व विनियम तैयार करने, सुरक्षा पद्धतियों में परिवर्तनों का सुझाव देने के लिए प्रमुख और बांध विफलताओं के कारणों का विश्लेषण करने के लिए बांध सुरक्षा संबंधी राष्ट्रीय समिति (NCDS) की स्थापना करने में सक्षम बनाता है।
  • इन नीतियों को कार्यान्वित करने के लिए एक राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी।
  • राज्य स्तर पर, इस विधेयक में बांधों की देखभाल करने के लिए राज्य बांध सुरक्षा संगठन के गठन और बांध सुरक्षा संबंधी एक राज्य समिति के गठन का प्रावधान है ताकि अन्य बातों के साथ-साथ इसके कार्य की समीक्षा की जा सके।
  • इस विधेयक का ध्यान संरचनात्मक सुरक्षा पर ज्यादा केंद्रित किया गया है और परिचालन सुरक्षा पर नहीं।

राज्य इसके खिलाफ क्यों हैं?

  • विधेयक पहले कई राज्यों के विरोध के कारण लोकसभा में पारित होने में विफल रहा।
  • भारत के राज्य कहते हैं कि ‘पानी’ राज्य सूची के अंतर्गत आता है, यह उनके बांधों पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से एक असंवैधानिक कदम है।
  • कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और ओडिशा सहित कई राज्यों ने इस विधेयक का विरोध किया है क्योंकि वे कहते हैं कि यह अपने बांधों का प्रबंधन करने के लिए राज्यों की संप्रभुता का अतिक्रमण करता है और संविधान में निहित संघवाद के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
  • तमिलनाडु की मुख्य चिंता विधेयक की धारा 23 (1) से है, जिसके अनुसार यदि एक राज्य के बांध दूसरे के क्षेत्र में आते हैं, तो राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण राज्य बांध सुरक्षा संगठन की भूमिका निभाएगा, इससे अंतर-राज्य संघर्ष का संभावित कारण समाप्त हो जाएगा।
  • यह खंड विशेष रूप से इस राज्य के लिए चिंताजनक है जिसके चार बांध हैं – मुल्लापेरियार, परम्बिकुलम, थुक्कक्कडवु और पेरुवरपल्लम – जो इसके स्वामित्व में हैं, लेकिन पड़ोसी केरल में स्थित हैं।
  • वर्तमान में, इन बांधों पर अधिकार राज्यों के बीच पूर्व-मौजूदा दीर्घकालिक समझौतों द्वारा शासित होते हैं।
  • विधेयक मे उपबंध है कि बांध निर्माण करने वाले राज्य को किसी अन्य राज्य में स्थित बांध की सुरक्षा और रख-रखाव के अधिकार नहीं होंगे।

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