विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- बायोमैट्रिक नाविक पहचान दस्तावेज़ (BSID)
चर्चा में क्यों?
भारत विश्व का पहला देश बन गया है जिसने नाविकों के फेशियल बायोमैट्रिक डेटा का संग्रह कर बायोमैट्रिक नाविक पहचान दस्तावेज़ (Biometric Seafarer Identity Document-BSID) जारी किया है।
बीएसआईडी(BSID) की सुरक्षा विशेषताएं–
- नया पहचान पत्र BSID परअंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization-ILO) के समझौता संख्या-185 के अनुरूप है। भारत ने अक्तूबर 2015 में इस समझौते पर सहमति व्यक्त की थी।
- नई फेशियल बायोमैट्रिक तकनीक दो अंगुली या आँख की पुतली पर आधारित बायोमैट्रिक डेटा से बेहतर है।
- इससे SID कार्ड प्राप्त नाविक की पहचान अधिक विश्वसनीय होगी साथ ही नाविक की गरीमा एवं निजता भी सुरक्षित होगी।
- BSID आधुनिक सुरक्षा उपाय है। इसमें एक बायोमैट्रिक चिप लगा होगा। BSID कार्ड की सुरक्षा विभिन्न स्तरों और विभिन्न तकनीकों द्वारा सुनिश्चित की गई है।
- डेटा संग्रह के दौरान चेहरे को पासपोर्ट आकार के फोटो के साथ मिलान किया जाता है। इसके लिये फोटो मिलान सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है। फेशियल बायोमैट्रिक संग्रह तथा इसके प्रमाणन के लिये एक सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है।
- जारी किये जाने वाले प्रत्येक SID कार्ड से संबंधित जानकारी राष्ट्रीय डेटाबेस में संग्रह की जाएंगी और इससे संबंधित जानकारी विश्व के किसे भी कोने से प्राप्त की जा सकती है।
- भारत में BSID परियोजनासी-डैक (Centre for Development of Advanced Computing-CDAC) मुंबई के सहयोग से चलाई जा रही है।
- सरकार ने वर्ष 2016 में मर्चेंट शिपिंग (नाविक बायोमैट्रिक पहचान दस्तावेज़) नियम [Merchant Shipping (Seafarers Bio-metric Identification Document) Rules] अधिसूचित किया था।
- BSID कार्ड जारी करने के लिये मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, नोएडा, गोवा, मंगलौर, कोच्चि, विशाखापत्तन और कांडला में 9 डेटा संग्रह केंद्र बनाए गए हैं।